हाल ही में एनआईए (NIA – राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की विशेष अदालत ने मालेगांव बम विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी करार दिए गए हैं। जिन लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया गया था, उनमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित और अन्य प्रमुख नाम शामिल थे। कोर्ट ने कहा कि इनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं।
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव शहर में एक विस्फोट हुआ था। यह धमाका एक मोटरसाइकिल में रखे विस्फोटक से किया गया था, जो एक मस्जिद के पास खड़ी थी। इस धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे।
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यह घटना उस समय देशभर में बड़ी चर्चा का विषय बनी थी क्योंकि इसे 'हिंदू आतंकवाद' से जोड़ा गया था और इस आधार पर साध्वी प्रज्ञा और अन्य को गिरफ्तार किया गया था।
साध्वी प्रज्ञा अदालत में कही यह बात
फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने अदालत में भावुक होकर कहा कि ‘मैंने शुरुआत से कहा था कि किसी को भी जांच के लिए बुलाने के पीछे ठोस आधार होना चाहिए। मुझे गलत तरीके से बुलाया गया, गिरफ्तार किया गया और शारीरिक व मानसिक यातनाएं दी गईं। मेरी पूरी जिंदगी तबाह कर दी गई। मैं एक साध्वी के रूप में जीवन जी रही थी, लेकिन मुझे एक अपराधी की तरह पेश किया गया।’
उन्होंने आगे कहा ‘भगवा को बदनाम करने की साजिश रची गई। हालांकि आज भगवा की जीत हुई है, हिंदुत्व की जीत हुई है। मैं आज भी जिंदा हूं क्योंकि मैं एक सन्यासी हूं। जिन्होंने देश और भगवा को बदनाम किया, उन्हें ऊपरवाला सजा देगा। हालांकि, इनको आपने गलत साबित नहीं किया है।’
इसके साथ एनआईए कोर्ट से बरी होने के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित ने कोर्ट में भावुक होकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि वह न्याय मिलने के लिए आभार व्यक्त करते हैं और अब एक बार फिर उसी निष्ठा से देश और अपनी संस्था की सेवा कर सकेंगे, जैसे पहले करते थे।
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उन्होंने किसी संस्था को दोष नहीं दिया, बल्कि यह कहा कि संस्थाएं गलत नहीं होतीं, उनमें काम करने वाले कुछ लोग गलत होते हैं जो दूसरों को फंसाते हैं। साथ ही उन्होंने न्यायपालिका का धन्यवाद करते हुए कहा कि कोर्ट ने आम आदमी का न्याय और सिस्टम पर विश्वास फिर से मजबूत किया है।