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21 दिनों में ही मणिपुर में आ गई शांति, थम गई हिंसा, क्या-क्या बदला?

मणिपुर में 3 मई 2023 को राज्य में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़की थी। महीनों तक अशांति रही, सीएम बीरेन ने इस्तीफा दिया, अब हालात कैसे हैं, पढ़ें।

Manipur Police

मणिपुर पुलिस ने बरामद किया हथियार। (Photo Credit: Manipur Police)

मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा 3 मई 2023 को भड़की थी। हिंसा के करीब 1 साल 9 महीने बाद मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि राज्य में जारी हिंसा रोकने में वह बुरी तरह असफल रहे।654 दिनों तक मणिपुर अस्थिर रहा। पूर्वी इंफाल से लेकर चुराचांदपुर तक हिंसक वारदातें हुईं, ड्रोन हमले हुए, बम बरसे। कुकी और मैतेई उग्रवादियों के संगठनों ने जमकर तोड़फोड़ और हिंसा की।

654 दिनों की अशांति तब जाकर थमी, जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने राज्य में विद्रोही संगठनों से अपील थी कि वे हथियार सरेंडर करें। उनकी यह अपील काम आई और करीब 17 प्रतिशत सुरक्षाबलों से लूटे गए हथियारों को विद्रोही संगठनों ने वापस कर दिया।  

अब तक क्या-क्या सरेंडर हुआ है?
मणिपुर के विद्रोहियों ने करीब 6500 हथियार पुलिस और सुरक्षाबलों से लूट लिया था। 6 लाख से ज्यादा हथियारों पार्ट्स लूटे गए थे। फरवरी से अब तक कुल 1,077 हथियारों को विद्रोहियों ने सरेंडर किया है। हेलमेट, बंदूक, हथियार और गोलियां सरेंडर की गई हैं। राज्यपाल ने 6 फरवरी से लेकर 20 फरवरी से लेकर 6 मार्च तक की समयसीमा तय की थी। 

मणिपुर पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि अब तक 116 पोम्पी मोटर, 101 देसी राइफल, सिंगल बोर और डबल बोर पिस्टल, 88 बम, 32 चाइनीज हैंड ग्रेनेड, टोपियां, दो दर्जन से ज्यादा देसी बम, 90 ग्रेनेड, 100 से ज्यादा कार्रबाइन, स्टेन गन, बूट, देसी एके-47 सौंपे गए हैं।

Photo Credit: Manipur Police

क्या सारे लूटे गए हथियार हैं?
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ये सभी लूटे गए हथियार नहीं हैं। हथियारों के भंडार से करीब 6,500 हथियार और 600,000 राउंड गोला-बारूद लूटे गए थे, जिनमें से अभी भी बहुतायत हिस्सा, उग्रवादी समूहों के पास हैं। मई, जून और अगस्त 2023 में अलग-अलग समय पर राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद हथियार लूटे गए थे। 9 फरवरी, 2025 को भीड़ ने थौबल जिले में कम से कम 9 बंदूकें और गोला-बारूद लूट लिया था। 

क्या मणिपुर में बहाल हो गई है शांति?
मणिपुर में बीते 2 सप्ताह से कोई भी मुठभेड़ नहीं हुई है। विद्रोहियों के खिलाफ अभियान नहीं चलाया गया है। मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच तल्खियां कम नहीं हुई हैं। दोनों समुदाय के अतिवादी संगठन, अपने-अपने वर्चस्व वाले क्षेत्रों में नहीं चाहते हैं कि दूसरे समुदाय के लोग दाखिल हों। कुकी समुदाय पहाड़ी क्षेत्रों पर एकधिकार चाह रहा है, मैतेई समुदाय भी नहीं चाहता कि कुकी मैदानी इलाकों में नजर आएं। हजारों लोग विस्थापितों की तरह जिंदगी काट रहे हैं। हिंसा अब जाकर थमी है, जब मणिपुर ने अपना अमन-चैन खो दिया है। 

Photo Credit: Manipur Police



मणिपुर में शुरू होने वाली है बस सर्विस
मणिपुर में बस सेवाएं शुरू होने वाली हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने, राज्यपाल अजय कुमार भल्ला और अन्य अधिकारियों के साथ अहम बैठक की थी, उसके बाद आदेश दिया था कि सड़कों पर सारी गतिविधियां ठीक की जाएं, जल्द से जल्द शांति बहाली हो। अब चुराचांदपुर से इंफाल हवाई अड्डे तक लोगों को ले जाने के लिए हेलीकॉप्टर सुविधाओं का इस्तेमला होगा। इंफाल, चुराचांदपुर, गांकपोकपी, बिष्णिपुर जैसे जिलों में बस सेवाएं शुरू की जा रही हैं। सुबह 9 बजे से केंद्रीय शस्त्र बलों की देखरेख में बसें चलेंगी। इंफाल, चुराचांदपुर में बस और हेलीकॉप्टर सेवाएं 12 मार्च से शुरू हो जाएंगे। 

क्या पहले ही लागू होना चाहिए था राष्ट्रपति शासन?
विपक्षी दलों की मानें तो जो स्थितियां 20 फरवरी के बाद संभली हैं, वे पहले भी सुधर सकती थीं। राज्य में हिंसा थम सकती थी। राज्य का प्रशासन हिंसा रोकने में 22 महीने तक नाकाम रहा। एन बीरेन सिंह के आवास के बाहर तक प्रदर्शनकारियों ने आग लगाई, तोड़फोड़ की। विपक्ष लगातार मांग कर रहा था कि बीरेन सिंह इस्तीफा दें। जब तक उन्होंने इस्तीफा दिया, 221 से ज्यादा लोग मारे जा चुके थे। हजारों लोग बेघर हैं, पलायन कर चुके हैं। अब भी रह-रहकर तनाव होता है, आर्थिक नुकसानों की गिनती भी नहीं हो पाई है।

Photo Credit: Manipur Police



क्यों भड़के थे कुकी और मैतेई?
मैतेई समुदाय ने अपने लिए अनुसूचित जाति का दर्जा मांगा था। मैतेई और कुकी समुदाय के बीच अनबन बुरानी है। मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की 10 साल पुरानी सिफारिश पर विचार करे। मैतेई, मणिपुर की आबादी का लगभग 53% हैं और मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वे इस दर्जे की मांग कर रहे थे जिससे उन्हें आरक्षण और अन्य लाभ मिल सकें।

कुकी और अन्य जनजातीय समुदाय, पहाड़ी इलाके में रहते हैं। इनकी आबादी करीब 40 प्रतिशत है। उन्होने विरोध प्रदर्शन किया। ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 3 मई, 2023 को 'आदिवासी एकता मार्च' बुलाई। चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके से शुरू हुए इस विरोध प्रदर्शन के बाद मैतेई और कुकी समुदायों में हिंसक झड़पें होने लगीं। कई उग्रवादी गुटों ने समुदायों के बीच नफरत की गहरी खाई पैदा कर दी है।

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