मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे-पाटिल ने मंगलवार को घोषणा की कि सरकार ने उनकी मराठा आरक्षण की मांगों को मान लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार के जरूरी आदेश जारी करने के बाद वे दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान को रात 9 बजे तक खाली कर देंगे। जरांगे-पाटिल पिछले पांच दिनों से आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर थे।
जल संसाधन मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल के नेतृत्व में एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने जरांगे-पाटिल से आजाद मैदान में मुलाकात की। इस दौरान सरकार ने मांगों को मानने वाला सरकारी प्रस्ताव (जीआर) का मसौदा उन्हें सौंपा। जरांगे-पाटिल ने कहा, ‘हमने जीआर का मसौदा लिया है। हमारे विशेषज्ञ इसे एक घंटे में जांचेंगे। अगर यह ठीक रहा, तो सरकार एक घंटे में अंतिम आदेश जारी करेगी। इसके बाद हम हड़ताल वापस लेने का फैसला करेंगे। हम नहीं चाहते कि वाशी में जनवरी 2024 की तरह फिर कोई गलती हो।’
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क्या थीं मांगें?
जरांगे-पाटिल के मुताबिक सरकार ने उनकी पांच प्रमुख मांगों को स्वीकार कर लिया है। उनके मुताबिक सबसे पहले, सरकार ने हैदराबाद और सतारा गजट को लागू करने की मांग पर सहमति व्यक्त की है। ये ऐतिहासिक दस्तावेज हैं जो मराठा समुदाय के सदस्यों के लिए कुणबी जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने में सहायक हो सकते हैं। दूसरा, सरकार ने मराठा और कुणबी को एक ही समुदाय मानने की अधिसूचना जारी करने का वादा किया है, जिससे मराठा समुदाय के लोग अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे।
तीसरा, ‘सगे-सोयरे’ (खून और वैवाहिक रिश्तेदार) की अधिसूचना को भी प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा, जिसका अर्थ है कि एक परिवार में यदि किसी एक व्यक्ति के पास कुणबी प्रमाणपत्र है, तो उसके सभी रक्त संबंधी और वैवाहिक रिश्तेदार भी कुणबी प्रमाणपत्र प्राप्त करने के पात्र होंगे। चौथा, सरकार ने इस बात को भी मान लिया है कि मराठवाड़ा के सभी मराठाओं को कुणबी माना जाएगा। यह मांग इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि निजाम शासन के दौरान इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में मराठाओं को कुणबी के रूप में दर्ज किया गया था। अंत में, सरकार ने मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लेने का आश्वासन दिया है, जो आंदोलन को समाप्त करने के लिए एक आवश्यक कदम था।
हैदराबाद गजट तुरंत लागू
जरांगे-पाटिल ने बताया कि सरकार ने हैदराबाद गजट को तुरंत लागू करने का वादा किया है। हालांकि, सतारा और पुणे-औंध गजट को लागू करने में कुछ कानूनी दिक्कतों के कारण एक महीने का समय मांगा गया है।
सरकार ने 2023 और 2024 के मराठा आंदोलनों के दौरान दर्ज बाकी मामलों को वापस लेने का भी आश्वासन दिया है। इसके अलावा, आरक्षण के लिए जान गंवाने वाले मराठा युवाओं के परिवारों को नौकरी और मुआवजा देने का वादा किया गया है। यह नौकरियां राज्य परिवहन और महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम में दी जाएंगी।
तालुका-स्तर पर समितियां
सरकार ने 58 लाख कुणबी रिकॉर्ड के आधार पर तालुका-स्तर पर समितियां बनाने की मांग को भी माना है। ये समितियां कुणबी प्रमाणपत्र जारी करने में मदद करेंगी। साथ ही, जरांगे-पाटिल ने मांग की थी कि जाति सत्यापन समितियां इन प्रमाणपत्रों को तुरंत मंजूरी दें।
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने जरांगे-पाटिल और मराठा प्रदर्शनकारियों को आजाद मैदान खाली करने का आदेश दिया था। जरांगे-पाटिल ने कहा, ‘जीआर जारी होने के बाद हम रात 9 बजे तक मुंबई खाली कर देंगे।’ इस ऐलान के साथ मराठा आरक्षण आंदोलन में एक बड़ा कदम उठा है, और अब सभी की नजरें सरकार के अंतिम आदेश पर टिकी हैं।