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बगैर दस्तावेज के भी भारत में रह सकेंगे इन देशों से आए हिंदू: MHA

गृह मंत्रालय ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न या उसके डर से भारत आए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को लेकर एक अहम आदेश जारी किया है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo Credit: Wikipedia

गृह मंत्रालय (MHA) ने हाल ही में शरणार्थियों के लिए एक अहम आदेश जारी किया है। जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न या उसके डर से भारत आए अल्पसंख्यक समुदायों को देश में रहने की अनुमति दी जाएगी। इसमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग शामिल हैं। यह आदेश विशेष रूप से पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों और उन हजारों लोगों के लिए राहत लेकर आया है, जो 2014 के बाद भारत आए हैं और अपने भविष्य को लेकर असमंजस में थे।

 

मंत्रालय के आदेशानुसार, जो लोग 31 दिसंबर 2024 तक भारत पहुंचे हैं और जिनके पास वैध पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें अब इन दस्तावेजों को दिखाने की बाध्यता से छूट दी जाएगी। गौरतलब है कि पिछले साल लागू हुए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के तहत 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत आए इन उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है। वहीं, हाल ही में लागू आव्रजन एवं विदेशी (नागरिक) अधिनियम, 2025 के तहत मंत्रालय ने नया आदेश जारी कर पासपोर्ट और वीजा की बाध्यता से छूट दी है।

 

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क्या है केंद्रीय गृह मंत्रालय का आदेश

गृह मंत्रालय ने नया आदेश जारी करते हुए कहा है कि जो लोग बिना आधिकारिक दस्तावेज लिए भारत में आए हैं या जिनके दस्तावेज एक्सपायर हो गए हैं, उनकी सहूलियत के लिए नए नियम लागू किए जाएंगे।

 

नेपाल और भूटान के नागरिकों को राहत

 

मंत्रालय ने बताया कि नेपाल और भूटान के नागरिकों को भारत आने या यहां से अपने देश जाने के लिए पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, अगर वे किसी तीसरे देश (जैसे चीन, मकाऊ, हांगकांग या पाकिस्तान) के रास्ते भारत आते हैं या वहां जाते हैं, तो वैध पासपोर्ट अनिवार्य होगा।

 

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श्रीलंकाई तमिलों को भी राहत

 

गृह मंत्रालय ने कहा कि 9 जनवरी 2015 तक भारत में शरण लेने वाले पंजीकृत श्रीलंकाई तमिलों को भारत में उनके रहने की अवधि तक अधिनियम के नियमों से छूट मिलती रहेगी। यह नियम उन पंजीकृत श्रीलंकाई तमिल नागरिकों पर भी लागू नहीं होगा जिन्होंने 9 जनवरी, 2015 तक भारत में शरण ली थी।

 

राज्य और केंद्र की जिम्मेदारी


एक गजट नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अधिनियम को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी। हालांकि, केंद्र सरकार चाहे तो किसी भी राज्य सरकार के आदेश में बदलाव या उसे रद्द कर सकती है। इसके अलावा, कोई भी विदेशी नागरिक तय आप्रवासन चौकियों से ही भारत में आ-जा सकेगा।

 

बिना दस्तावेज के आने पर जुर्माना

 

नए आदेश के मुताबिक, बिना वैध दस्तावेज भारत आने पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा। वहीं, वीजा या उसकी निर्धारित अवधि से ज्यादा समय तक रुकने पर अलग-अलग समय सीमा के हिसाब से जुर्माना तय किया गया है

  • 30 दिन तक रुकने पर – 10 हजार रुपये
  • 31 से 90 दिन तक रुकने पर – 20 हजार रुपये
  • 180 दिन तक रुकने पर – 50 हजार रुपये
  • 1 साल तक रुकने पर – 1 लाख रुपये
  • 1 साल से ज्यादा रुकने पर – 2 से 3 लाख रुपये

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