कई बैंकों में अकाउंट खोलने के साथ एक शर्त रखी जाती है। यह शर्त होती है कि एवरेज मंथली बैलेंस (MAB) की। यानी कि आपको अपने खाते में एक न्यूनतम रकम रखनी होती है। कई बैंक ऐसा न कर पाने वाले ग्राहकों से जुर्माना भी वसूलते हैं। अब राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के एक सवाल पर केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने बताया है कि बैंकों ने इस तरह से पिछले 5 साल में 9 हजार करोड़ से ज्यादा रुपये का जुर्माना लगाया है। ग्राहकों के लिए अच्छी खबर यह है कि अब 7 बैंक इसके लिए कोई जुर्माना नहीं वसूलेंगे।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने सवाल में यह भी पूछा था कि क्या इसके संबंध में वित्त मंत्रालय की ओर से निर्दश या गाइडलाइंस जारी की गई हैं? साथ ही, उन्होंने यह भी पूछा था कि क्या कम आय वाले ग्राहकों के संबंध में अलग से निर्देश हैं? उनका कहना था कि ऐसे गाहकों के लिए यह राशि बोझ जैसी हो सकती है। अब वित्त मंत्रालय ने बताया है कि इसके संबंध में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से 20 नवंबर 2014 और 1 जुलाई 2015 को जारी गाइडलाइंस जारी गई थीं जिनके मुताबिक, बैंक इस तरह से न्यूनतम बैलेंस रखने के नियम बना सकते हैं और ऐसा न होने पर एक तय राशि तक जुर्माना भी ले सकते हैं।
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राज्यसभा में दिए गए जवाब के मुताबिक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर 11 बैंकों ने एवरेज बैलेंस न रखने के चलते जुर्माना लगाया है। हालांकि, इसी में यह भी बताया गया है कि अब केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही से इस तरह का जुर्माना लगाना बंद कर दिया है। यानी 11 में से 7 बैंकों के ग्राहक अगर अब औसत बैलेंस नहीं भी रखते हैं तो उन्हें जुर्माना नहीं देना होगा।
कितना लगा जुर्माना?
5 साल में इन 11 बैंकों ने 8943.58 करोड़ रुपये का कुल जुर्माना लगाया है। सबसे ज्यादा जुर्माना इंडियन बैंक ने लगाया है और पांच साल में कुल 1828.18 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया। इसी तरह, पंजाब नेशनल बैंक ने 1662.42 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा ने 1531.62 करोड़ रुपये और केनरा बैंक ने 1212.92 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
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किन बैंकों ने कितना जुर्माना लगाया?
बैंक का नाम |
जुर्माने की राशि |
बैंक ऑफ बड़ौदा |
1531.62 करोड़ रुपये |
बैंक ऑफ इंडिया |
809.66 करोड़ रुपये |
बैंक ऑफ महाराष्ट्र |
535.20 करोड़ रुपये |
केनरा बैंक |
1212.92 करोड़ रुपये |
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया |
585.36 करोड़ रुपये |
इंडियन बैंक |
1828.18 करोड़ रुपये |
इंडियन ओवरसीज बैंक |
62.04 करोड़ रुपये |
पंजाब एंड सिंध बैंक |
100.92 करोड़ रुपये |
पंजाब नेशनल बैंक |
1662.42 करोड़ रुपये |
यूको बैंक |
119.91 करोड़ रुपये |
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया |
484.75 करोड़ रुपये |
किस साल में कितना जुर्माना?
वित्त वर्ष |
जुर्माने की राशि |
2020-21 |
1142.13 करोड़ रुपये |
2021-22 |
1428.53 करोड़ रुपये |
2022-23 |
1855.43 करोड़ रुपये |
2023-24 |
2341.08 करोड़ रुपये |
2024-25 |
2176.41 करोड़ रुपये |
*सभी आंकड़े वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 के बीच के हैं।
क्या है मिनिमम एवरेज बैलेंस?
इसका मतलब यह होता है कि किसी भी एक महीने के अंदर आपके खाते में औसत राशि होनी ही चाहिए। इसका हिसाब कैसे लगाया जाता है, इसे एक उदाहरण से समझते हैं। आमतौर पर लोगों का लगता है कि अगर आपके बैंक का मिनिमम एवरेज बैलेंस (MAB) 5000 रुपये है तो आपके अपने खाते में 5000 रुपये हमेशा रखने होते हैं। असल में ऐसा नहीं होता है।
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उदाहरण के लिए अगर आपने अपने बैंक खाते में पहली तारीख को ही 30000 रुपये रखे तो इसे 30 से भाग देने के बाद आपका प्रतिदिन का औसत 1000 रुपये हुआ। यानी अगर आपके बैंक ने MAB का राशि 1000 रुपये तय की है तो आपको हमेशा 1000 रुपये नहीं रखने हैं। आप 30 हजार रुपये जमा करके निकाल लें तब भी आपको जुर्माना नहीं देना होगा। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो कुछ बैंक आपसे जुर्माना वसूलते हैं और बैंक खाते में पैसे न होने पर आपका बैलेंस माइनस में जाने लगता है।