मोदी सरकार बुधवार को लोकसभा में तीन नए बिल पेश करने जा रही है। इन बिल का मकसद है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के किसी मंत्री को गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार किया जाता है या हिरासत में लिया जाता है, तो उसे पद से हटा दिया जाएगा।
अगर यह बिल कानून बनते हैं तो गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार या हिरासत में लिए जाने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री या मंत्री को हटाया जा सकता है। अभी संविधान में ऐसे मामलों में पद से हटाने का कोई प्रावधान नहीं है।
पिछले साल दिल्ली के कथित शराब घोटाले के मामले में तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल को ED ने गिरफ्तार किया था। इसके बावजूद केजरीवाल पद पर बने रहे थे। उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया था। इसी तरह तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी में गिरफ्तारी के बावजूद पद पर रहे थे। माना जा रहा है कि यह बिल इसलिए लाया जा रहा है, ताकि गंभीर मामलों में गिरफ्तार मंत्री को पद से हटाया जा सके।
क्या हैं ये 3 नए बिल?
पहला है- गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरिज (अमेंडमेंट) बिल 2025। दूसरा है- द कंस्टीट्यूशन (130वां अमेंडमेंट) बिल 2025। और तीसरा है- जम्मू-कश्मीर रिऑर्गनाइजेशन (अमेंडमेंट) बिल 2025।
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क्या होगा इन बिलों में?
- गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरिज (अमेंडमेंट) बिल 2025: यह बिल मौजूदा कानून की धारा 45 में संशोधन करेगा। अभी ऐसा प्रावधान नहीं है कि गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाया जा सके। यह बिल पुडुचेरी में लागू होगा।
- द कंस्टीट्यूशन (130वां अमेंडमेंट) बिल 2025: यह बिल अनुच्छेद 75 (केंद्रीय मंत्रियों के लिए), अनुच्छेद 165 (राज्य के मंत्रियों के लिए) और अनुच्छेद 239AA (दिल्ली के लिए) में संशोधन करेगा। यह बिल प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री-मंत्रियों पर लागू होगा।
- जम्मू-कश्मीर रिऑर्गनाइजेशन (अमेंडमेंट) बिल 2025: 2019 के कानून की धारा 54 में संशोधन किया जाएगा। यह जम्मू-कश्मीर में लागू होगा। अभी इस कानून में ऐसा नियम नहीं है कि गंभीर अपराधों में हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाया जाए।
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कब हटाए जा सकते हैं PM-CM?
तब जब गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार किया जाता है या हिरासत में लिया जाता है। गंभीर अपराध उन्हें माना जाएगा, जिनमें 5 साल या उससे ज्यादा की सजा का प्रावधान होगा।
इस बिल में प्रावधान है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री या राज्यों के मंत्रियों को गंभीर आपराधिक मामले में 30 दिन से ज्यादा हिरासत में रहता है तो 31वें दिन उसे हटा दिया जाएगा। गिरफ्तारी या हिरासत के 30 दिन होने पर उन्हें खुद ही इस्तीफा देना होगा। अगर वह खुद इस्तीफा नहीं देते हैं तो 31वें दिन उन्हें हटा दिया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री के मामले में प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति उन्हें पद से हटा देंगे। मामला प्रधानमंत्री का है तो उन्हें भी 30 दिन के भीतर इस्तीफा देना होगा। अगर इस्तीफा नहीं दिया तो 31वें दिन उन्हें हटा दिया जाएगा। इसी तरह राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के मामले में मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल उन्हें पद से हटाएंगे।
इस मामले में आगे क्या होगा?
बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन तीनों बिलों को लोकसभा में पेश करेंगे। बताया जा रहा है कि इन बिलों को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा जाएगा।