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नागालैंड के आदिवासी समूहों ने स्वतंत्रता दिवस का बहिष्कार क्यों किया?

नागालैंड में संभावित अशांति और विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए नागालैंड सशस्त्र पुलिस (NAP) इकाइयों और भारतीय रिजर्व बटालियनों के सभी कमांडेंटों को लगातार निगरानी बनाए रखने का निर्देश दिया गया।

Independence Day boycott Nagaland

स्वतंत्रता दिवस पर कार्यक्रम आयोजित करती नागालैंड सरकार। Photo Credit (@dipr_nagaland)

आज यानी 15 अगस्त को भारत अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। देश के हर कोने में और हर राज्य में स्वतंत्रता दिवस को लेकर अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए गए। आज के दिन पूरा भारत देशभक्ति से ओत-प्रोत से सराबोर नजर आया। मगर, जब भारत अपनी आजादी का जश्न मना रहा है तो इसी बीच पूर्वोत्तर के राज्य नागालैंड में 79वें स्वतंत्रता दिवस का बहिष्कार करने का आह्वान किया गया। राज्य में स्वतंत्रता दिवस का बहिष्कार करने का आह्वान दो समूहों ने किया है। इसको देखते हुए सुरक्षा अधिकारियों ने नागालैंड में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।

 

नागालैंड में संभावित अशांति और विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए नागालैंड सशस्त्र पुलिस (NAP) इकाइयों और भारतीय रिजर्व बटालियनों के सभी कमांडेंटों को लगातार निगरानी बनाए रखने का निर्देश दिया गया। सुरक्षाबलों को यह निर्देश विशेष तौर से असम-नागालैंड बॉर्डर और म्यांमार से लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर मौजूद विवादित क्षेत्रों में दिया गया है। एडिशनल पुलिस महानिदेशक (ADGP) रेनचामो पी. किकोन ने इन घटनाओं की पुष्टि की है।

 

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राज्य में सुरक्षा उपाय लागू

रेनचामो किकोन ने बताया है कि नागालैंड में सभी सुरक्षा उपाय लागू कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने आगे कहा कि हालांकि उग्रवादी समूहों के एक वर्ग द्वारा स्वतंत्रता दिवस के बहिष्कार का आह्वान किया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि नागालैंड में कोई अप्रिय घटना नहीं होगी और राज्य भर में समारोह शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होंगे।

 

मगर ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर नागालैंड के उग्रवादी और आदिवासी समूहों ने आम लोगों से स्वतंत्रता दिवस का बहिष्कार करने का आह्वान क्यों किया है? स्वतंत्रता दिवस का बहिष्कार करने का अगर आह्वान किया भी है तो इस के पीछे की वजह क्या है? आइए इस स्टोरी में जानते हैं इस विवाद के पीछे की पूरी वजह क्या है...

क्या है पूरा मामला?

एनएससीएन/जीपीआरएन (युंग आंग) ने यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (उल्फा-आई) के साथ मिलकर नागालैंड के लोगों से स्वतंत्रता दिवस को लेकर आयोजित किए जाने वाले समारोहों का बहिष्कार करने का आग्रह किया। नागालैंड सरकार और यहां मौजूद सुरक्षा एजेंसियों की चिताएं तब और बढ़ गईं जब आरक्षण नीति समीक्षा (CoRRP) की मांग करने वाली पांच जनजातियों की समिति ने भी स्वतंत्रता दिवस समारोह में हिस्सा नहीं लेने का ऐलान कर दिया।

 

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बहिष्कार की वजह क्या है?

यह आरक्षण नीति समीक्षा समिति नागालैंड की अंगमी, आओ, लोथा, रेंगमा और सुमी जैसी शीर्ष जनजातीय निकायों का प्रतिनिधित्व करती है। सीओआरआरपी ने राज्य में स्वतंत्रता दिवस का बहिष्कार करने का आह्वान करने के पीछे का कारण बताया है। सीओआरआरपी ने एक बयान में कहा कि यह कदम नौकरी आरक्षण नीति समीक्षा पर उनकी मांगों पर राज्य सरकार की लगातार दिखाई जा रही उदासीनता के खिलाफ है। साथ ही यह कदम सीओआरआरपी के आंदोलन का हिस्सा है और यह आंदोलन में 'एक और कदम' उठाया गया है।

आम जनता, युवाओं और छात्रों से अपील

सीओआरआरपी और संगठनों ने आम जनता, युवाओं और छात्रों से शांतिपूर्ण तरीके से स्वतंत्रता दिवस के समारोहों में भागीदारी नहीं लेने के माध्यम से राज्य सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा जताने की अपील की है। साथ ही इन संगठनों ने नागालैंड सरकार से नागरिक समाज के नेताओं या जनता पर दबाव डालने से बचने का आग्रह किया।

 

सीओआरआरपी और विरोध करने वाले संगठनों के निर्देशों के बाद पांच जनजातियों के छात्र संगठनों ने छह जिलों- कोहिमा, दीमापुर, मोकोकचुंग, चुमौकेदिमा, निउलैंड और वोखा में शैक्षणिक संस्थानों और छात्रों को समारोह में भाग लेने से रोकने के लिए नोटिस प्रसारित किए।

नागालैंड सरकार का रुख क्या...

हालांकि, नागालैंड सरकार ने इन वहिष्कारों के आह्वान के बीच राज्य भर में स्वतंत्रता दिवस समारोहों में सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की अनिवार्य उपस्थिति के लिए सख्त आदेश जारी किए थे। सीओआरआरपी के सदस्य सचिव जी पी झिमोमी ने बताया, 'हम कल स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग नहीं लेने के अपने रुख पर अड़े हुए हैं क्योंकि राज्य सरकार की ओर से हमारी मांगों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।'

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