NASA के साइंटिस्ट ने बताया थर्मल इन्वर्ज़न से कैसे बढ़ता है प्रदूषण
देश
• DELHI 15 Nov 2024, (अपडेटेड 15 Nov 2024, 1:36 PM IST)
साइंटिस्ट ने बताया कि किस तरह से थर्मल इन्वर्ज़न प्रदूषण को बढ़ावा देता है।

दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति । फोटोः पीटीआई
पिछले कुछ दिनों से पूरा उत्तर भारत वायु प्रदूषण की चपेट में है। कुछ लोगों को सांस लेने में दिक्कतों और आंख में जलन का सामना करना पड़ रहा है तो कुछ लोगों को अस्पताल तक में भर्ती होने की नौबत आ गई।
खास बात है कि यह हाल न सिर्फ बड़े शहरों का है बल्कि टियर-2, टियर-3 शहरों में यही हालत देखने को मिल रही है। वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली के बारे में सबसे ज्यादा बात होती है लेकिन यह स्थिति पूरे गंगा के मैदान में बनी हुई है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड जैसे राज्यों में यही स्थिति देखने को मिली।
नासा गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में एयरोसॉल रिमोट सेंसिंग के साइंटिस्सट हिरेन जेठवा ने इस बारे में सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट डाला और एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में बताया कि इस प्रदूषण का कारण क्या है और कैसे इस अलार्मिंग कंडीशन के बावजूद पंजाब के किसान पराली जलाने से खुद को नहीं रोक पा रहे हैं।
एक्स पर उन्होंने पोस्ट डालते हुए दिखाया कि किस तरह से गंगा का मैदान प्रदूषण की चपेट में है।
Early morning satellite images reveal IGP engulfed in smog. Delhi AQI in severe category. Urban heat island effect over Delhi. Farm fires in Pujab appear to have passed peak burning phase, but still plenty to fuel bad AQI downwind @VishnuNDTV @mohitk1 @CBhattacharji @jksmith34 pic.twitter.com/OTGXyJwVny
— Hiren Jethva (@hjethva05) November 14, 2024
क्या हैं प्रदूषण के मुख्य कारण-
थर्मल इन्वर्ज़न
एनडीटीवी के मुताबिक जेठवा ने बताया कि थर्मल इन्वर्ज़न की वजह से प्रदूषण में तेजी से बढ़ोत्तरी होती है। दरअसल थर्मल इन्वर्ज़न एक प्रक्रिया है जिसके तहत गर्म हवा हमेशा ऊपर रहती है और ठंडी हवा नीचे रहती है। इसकी वजह से प्रदूषण फैलाने वाले तत्व ऊपर की ओर गतिशील नहीं हो पाते और वायुमण्डल में नीचे ही 200 मीटर की ऊंचाई तक फंसे रह जाते हैं। इस कारण से लंबे समय तक प्रदूषणकारी तत्व निचले वातावरण में बन रहते हैं।
थर्मल इन्वर्ज़न जितना ज्यादा होगा उतने ज्यादा ही प्रदूषणकारी तत्व नीचे वायुमण्डल में फंस रह जाएंगे। जेठवा कहते हैं कि पराली जलाने की वजह से धुआं बादलों के साथ मिल जाता है जिससे प्रकाश को अवशोषित करने वाले एयरोसॉल वायुमण्डल में और ज्यादा अवशोषित हो जाते हैं, इससे थर्मल इन्वर्ज़न की प्रक्रिया और तेज़ हो जाती है, जिससे प्रदूषण और ज्यादा बढ़ता है।
किसान नहीं दे रहे ध्यान
एनडीटीवी के मुताबिक जेठवा ने कहा कि पंजाब और हरियाणा ने नासा के इमेज को दरकिनार करते हुए पराली जलाना जारी रखा है। सोमवार को पराली जलाने का मार्क 7000 को पार कर गया ।
जेठवा ने एनडीटीवी से कहा, 'हम जिस उपग्रह डेटा का उपयोग करते हैं वह उपग्रह दोपहर 1:30-2:00 बजे के बीच आसपास के क्षेत्र से गुजरता है, लेकिन किसी तरह उन्होंने (किसानों ने) जान लिया है कि वे इसकी नज़र से बच सकते हैं, इसके लिए वे कोशिश करते हैं कि फसलों के अवशेषों को दोपहर बाद जलाएं। हालांकि, दक्षिण कोरियाई जियो स्टेशनरी उपग्रह द्वारा इसकी पुष्टि की गई है कि अधिकांश फसल जलाना दोपहर 2 बजे के बाद होता है, जब नासा के सैटेलाइट इस क्षेत्र से गुजर चुके होते हैं। लेकिन इस जियो स्टेशनरी उपग्रहों की नज़र से बचा नहीं जा सकता जो हर पांच मिनट में क्षेत्र की तस्वीर लेते हैं।"
Today's GEO-KOMSAT A2 satellite images visually convince of late afternoon burning acticitivities in NW India, avoiding NASA satellite surveillance around 1:30 PM IST @VishnuNDTV @CBhattacharji @parthaabosu @jksmith34 @UrbanEmissions @avoiland @moesgoi pic.twitter.com/BJsidjNqzy
— Hiren Jethva (@hjethva05) October 29, 2024
उन्होंने कहा कि पिछले दो हफ्तों में पोल्यूशन लोडिंग उस स्तर तक पहुंच गया है जो कि पिछले दस सालों में भी नहीं देखा गया। उन्होंने कहा कि जियो स्टेशनरी सैटेलाइट से मिले डेटा के मुताबिक पराली का जलाना कम नहीं हुआ है।
दिल्ली की हालत है काफी खराब
पिछले कुछ दिनों से वाहनों से निकलने वाले धुएं, उत्तर भारत में किसानों द्वारा पराली जलाए जाने और भवन निर्माण कार्यों की वजह से काफी प्रदूषण देखने को मिला है। दीपावली के बाद से पटाखों को फोड़ जाने के बाद इसमें और भी इजाफा हुआ है। प्रदूषण पर नियंत्रण करने वाला पैनल सीएक्यूएम ने इससे निपटने के लिए सभी गैर-ज़रूरी कॉन्स्ट्रक्शन कार्य पर रोक लगा दी है।

पाकिस्तान में भी है स्थिति गंभीर
भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान की भी हालात काफी गंभीर बनी हुई है। कुछ दिन पहले तो यहां पंजाब प्रांत में प्रदूषण का स्तर 2000 के मार्क को पार कर गया था। वहां भी सरकार ने स्कूल, कॉलेज, दुकानें और बाज़ार बंद कर दिए थे। हालांकि, पाकिस्तान ने इसके लिए भारत को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की थी। लेकिन इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है।
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