देश की सेना में योगदान देने वाले वीरों के किस्से अब स्कूलों में पढ़ाए जाएंगे। NCERT ने इसको लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा के वीरता के किस्से अब NCERT की किताबों में शामिल किए जाएंगे। गुरुवार को रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा के जीवन और बलिदान पर चैपटर इस शैक्षणिक सत्र में 8वीं क्लास (उर्दू), 7वीं क्लास (उर्दू) और 8वीं क्लास (अंग्रेजी) में NCERT पाठ्यक्रम में जोड़े गए हैं।
नए चैप्टर NCERT की किताबों में इसलिए जोड़े गए ताकि इन वीरों के साहस, कर्तव्यनिष्ठा और देशभक्ति की प्रेरणादायक कहानियां आने वाली पीढ़ियों को बताई जा सकें। 8वीं क्लास (अंग्रेजी) में मेजर सोमनाथ शर्मा पर आधारित चैप्टर जोड़ा गया है। 8वीं क्लास में ही उर्दू में फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के जीवन पर चैप्टर जोड़ा गया है। इसके अलावा, 7वीं क्लास (उर्दू) में ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान के जीवन पर चैप्टर जोड़ा गया है।
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सैम मानेकशॉ ने निभाई अहम भूमिका
फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ भारतीय सेना के पहले अधिकारी थे जिन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई थी। 1971 के भारत-पाक युद्ध में उनकी रणनीतिक नेतृत्व क्षमता ने भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उन्हें सैम बहादुर के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने 1934 में भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त किया था और अपनी क्षमताओं के बल पर वह भारतीय सेना में अहम भूमिका निभाने लगे। दूसरे विश्व युद्ध और 1965 के भारत-पाक युद्ध में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1973 में उन्हें फील्ड मार्शल का पद मिला था।
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान ने देश के लिए सर्वोच्च योगदान दिया है। उन्हें नौशेरा का शेर भी कहा जाता है। 1948 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में जम्मू और कश्मीर में लड़ाई के दौरान शहीद हो गए थे। 1947-48 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उन्होंने भारतीय सेना की 50 (I) पैरा ब्रिगेड का नेतृत्व किया। 6 फरवरी 1948 को पाकिस्तानी सेना ने नौशेरा पर हमला किया लेकिन ब्रिगेडियर उस्मान के नेतृत्व में भारतीय सेना ने उसे सफलतापूर्वक खदेड़ दिया। उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। वह भारतीय सेना के एक सीनियर अधिकारी थे जिन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख बनने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
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मेजर सोमनाथ शर्मा
मेजर सोमनाथ शर्मा भारतीय सेना के पहले परमवीर चक्र विजेता थे। उन्होंने 1947 में बडगाम की लड़ाई में असाधारण वीरता दिखाई और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। पाकिस्तानी सेना ने जब श्रीनगर हवाई अड्डे पर कब्जा करने के इरादे से हमला किया तो मेजर शर्मा ने अपनी कंपनी के साथ मिलकर उनका मुकाबला किया। हालांकि, उनकी कंपनी संख्या में बहुत कम थी। इनकी जीवन और संघर्ष की कहानी अब स्कूलों में पढ़ाई जाएगी।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इन प्रेरक जीवन कहानियों को पाठ्यक्रम में शामिल करने का उद्देश्य यह है कि छात्र न केवल भारत के सैन्य इतिहास को जानें बल्कि उनके मन में राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की भी भावना पैदा हो।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के बारे में पढ़ेंगे छात्र
इन सब वीरों के अलावा दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य छात्रों को वीरों की वीरता के बारे में बताना है। रक्षा मंत्रालय ने शिक्षा मंत्रालय और NCERT के साथ मिलकर स्कूल पाठ्यक्रम में यह सभी बदलाव किए हैं। राजधानी दिल्ली के सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में स्थित इस स्मारक का उद्देश्य नागरिकों के बीच देशभक्ति, उच्च नैतिक मूल्य, बलिदान और राष्ट्रीय भावना का विकास करना है। इसके साथ ही उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि देना है जिन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।