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'जिन्ना-कांग्रेस विभाजन के दोषी', NCERT के स्पेशल मॉड्यूल पर हंगामा

कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने NCERT को विभाजन की विभीषिका पर बहस के लिए चुनौती दी है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी का NCERT पर नियंत्रण है तो वह कुछ भी दावा कर सकती है। पढ़ें हंगामे की पूरी कहानी।

NCERT

NCERT मॉड्यूल। (Photo Credit: NCERT)

NCERT ने स्कूलों के लिए 'विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस' के लिए एक विशेष मॉड्यूल जारी किया है। इस मॉड्यूल में भारत के विभाजन की 3 वजहें गिनाई गई हैं। मॉड्यूल में कुछ ऐसा है कि कांग्रेस भड़क गई है। कांग्रेस ने कहा है कि अब भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे के हिसाब से राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद काम कर रहा है। NCERT के मॉड्यूल में कांग्रेस, मोहम्मद अली जिन्ना और लार्ड माउंट बेटेन को विभाजन के विलेन के तौर पर दर्शाया गया है। कांग्रेस को इसी बात पर ऐतराज है। 

NCERT ने अपने मॉड्यूल में 3 लोगों के टकराव का जिक्र किया है। मोहम्मद अली जिन्ना ने बंटवारे की मांग की, कांग्रेस ने इसे स्वीकार किया और लार्ड माउंट बेटन ने इसे लागू करने के लिए भेजा। मॉड्यूल में कहा गया है कि बंटवारे ने कश्मीर को पैदा किया, जो भारत की सुरक्षा के लिए चुनौती की तरह है। कश्मीर का इस्तेमाल पाकिस्तान, भारत पर दबाव बनाने के लिए करता है। यह मॉड्यूल कक्षा 6-8 और 9-12 के लिए अलग-अलग तैयार किया गया। यह नियमित पाठ्यपुस्तकों से अलग है।

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लार्ड माउंट बेटन पर विभाजन का ठीकरा  

मॉड्यूल में लॉर्ड माउंटबेटन की आलोचना की गई है। NCERT मॉड्यूल में बताया गया है उन्होंने पहले सत्ता के हस्तातंतरण की तारीख जून 1948 तय की थी। बाद में इसे अगस्त 1947 कर दिया। समय सीमा घटाने की वजह से सीमाओं का निर्धारण जल्दबाजी में हो गया। कई जगहों पर लोगों को यह पता ही नहीं था कि वह किसी और देश का हिस्सा हो गए हैं। उन्हें जरा भी खबर नहीं थी कि वे भारत में हैं या पाकिस्तान में।

हंगामे का वह हिस्सा, जिस पर सबको आपत्ति है

15 अगस्त 1947 को भारत का बंटवारा हुआ, लेकिन यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं था। इसके तीन कारण थे। जिन्ना, जिन्होंने बंटवारे की मांग की; कांग्रेस, जिसने इसे स्वीकार किया और माउंटबेटन, जिन्होंने इसे लागू किया। माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण की तारीख को जून 1948 से आगे बढ़ाकर अगस्त 1947 कर दिया, जो एक बड़ी गलती थी। इससे तैयारी पूरी नहीं हो सकी। बंटवारे की सीमाओं का निर्धारण जल्दबाजी में किया गया। इसके लिए सर सायरिल रेडक्लिफ को सिर्फ पांच सप्ताह मिले। पंजाब में, 15 अगस्त 1947 के दो दिन बाद भी लाखों लोगों को यह नहीं पता था कि वे भारत में हैं या पाकिस्तान में। 



गांधी, पटेल और नेहरू पर NCERT का रुख क्या है?

मॉड्यूल में सरदार वल्लभभाई पटेल के हवाले से कहा गया है कि भारत में हालात विस्फोटक हो गए थे और बंटवारा न होता तो गृहयुद्ध हो सकता था। महात्मा गांधी के बारे में लिखा है कि वे बंटवारे के खिलाफ थे, लेकिन कांग्रेस के फैसले का कड़ा विरोध नहीं करना चाहते थे।

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कांग्रेस ने इस मॉड्यूल पर क्या कहा है?

कांग्रेस ने इस मॉड्यूल पर कड़ा ऐतराज जताया है। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इसे जलाने की बात कही और दावा किया कि यह सच्चाई नहीं बताता। उन्होंने कहा, 'बंटवारा हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग की सांठगांठ से हुआ। हिंदू महासभा ने 1938 में बंटवारे की बात कही थी, जिसे 1940 में मोहम्मद अली जिन्ना ने दोहराया था।' पवन खेड़ा ने आरएसएस को राष्ट्र के लिए खतरा भी बताया।

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हंगामा क्यों बरपा है?

कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित:-

मैं NCERT के इस फैसले को चुनौती देता हूं। उन्होंने इस संस्था को अपने नियंत्रण में ले लिया है। उन्हें विभाजन के बारे में कुछ नहीं पता है।


एनसीईआरटी के इस मॉड्यूल पर हंगामा बरपा है। कांग्रेस और बीजेपी में ठन गई है। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी तथ्यों के साथ छेड़छाड़ कर रही है, एनसीईआरटी की स्वायत्तता खत्म कर दी है। कांग्रेस का कहना है कि राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ विभाजनकारी है, दोष कांग्रेस पर मढ़ा जा रहा है। 

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