NEET पेपर लीक का आरोपी संजीव मुखिया गिरफ्तार, 11 महीने से था फरार
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• PATNA 25 Apr 2025, (अपडेटेड 25 Apr 2025, 12:05 PM IST)
पिछले 11 महीने से फरार चल रहे संजीव मुखिया को गिरफ्तार कर लिया गया है। संजीव मुखिया NEET पेपर लीक केस का मुख्य आरोपी है।

संजीव मुखिया, Photo Credit: Khabargaon
NEET पेपर लीक केस के मुख्य आरोपी संजीव मुखिया को बिहार की राजधानी पटना से गिरफ्तार कर लिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पटना की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने संजीव मुखिया को गुरुवार देर रात ही गिरफ्तार कर लिया था। पिछले साल NEET का पेपर लीक होने के बाद कई अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था लेकिन संजीव मुखिया तब से ही फरार हो गया था। संजीव मुखिया पर 3 लाख का इनाम भी है। आरोप है कि पेपर लीक कराने में सबसे अहम भूमिका संजीव मुखिया की ही थी और उसने ही अन्य आरोपियों को पेपर उपलब्ध करवाया था।
संजीव मुखिया को गिरफ्तार करने के बाद STF के साथ-साथ आर्थिक अपराध शाखा (EOU) भी उससे पूछताछ कर रही है। माना जा रहा है कि अगर संजीव मुखिया अपना मुंह खोलता है तो इस पेपर लीक से जुड़े अन्य आरोपियों और मददगारों के बारे में भी खुलासा हो सकता है। बता दें कि इस केस में संजीव मुखिया के ज्यादातर करीबियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है लेकिन संजीव मुखिया फरार चल रहा था। आशंका जताई जा रही थी कि संजीव मुखिया नेपाल या भूटान भाग गया है।
क्या है NEET पेपर लीक केस?
मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए कराई जाने वाली परीक्षा NEET पिछले साल 5 मई 2024 को कराई गई थी। उसी दिन इस केस से जुड़े कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। शक था कि पेपर लीक हुआ है। 11 मई 2024 को इसी केस में झारखंड के देवघर से 6 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। संजीव मुखिया नीट परीक्षा के दिन अपने नालंदा कॉलेज से गायब हुआ था। पहले वह अस्पताल में एडमिट हुआ था। फिर 6 मई से 14 तक वह कॉलेज नहीं गया।
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जब इसके बारे में कॉलेज ने उससे जवाब मांगा तो संजीव मुखिया ने 18 मई को चिट्ठी लिखी कि 6 मई को अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई थी। इसी पेपर लीक केस में नोएडा के रवि अत्री, प्रयागराज के राजीवन नयन मिश्र, पटना के शुभम मंडल और कई अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया था। रवि अत्री और राजीव नयन मिश्रा के नाम पहले भी कई पेपर लीक केस में आ चुका है।
कौन है संजीव मुखिया?
संजीव मुखिया का पूरा नाम संजीव कुमार सिंह है। संजीव मुखिया का नाम पहले भी ऐसे आरोपों में आ चुका है। वह नालंदा कॉलेज के नूरसराय ब्रांच में टेक्निल असिस्टेंट के तौर पर काम करता था। साल 2016 में जब बिहार लोक सेवा आयोग का पेपर लीक हुआ था तब भी उसका नाम सामने आया था। आरोप है कि वह रवि अत्री के साथ मिलकर एक बड़ा रैकेट चलाता है। इस रैकेट में पेपर सॉल्वर, लीक कराने वाले लोग और पैसों का अवैध लेनदेन करने वाले लोग भी शामिल हैं। असल में संजीव मुखिया की पत्नी ममता देवी ग्राम पंचायत की मुखिया हैं।
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इससे पहले, साल 2010 में ब्लूटूथ डिवाइस की मदद से नकल कराने के मामले में उसका नाम पहली बार सामने आया था। 2016 के BPSC पेपर लीक केस में ही उसके बेटे शिव कुमार को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह जेल में है।
पेपर लीक की पूरी कहानी
इस केस की शुरुआत बिहार और झारखंड से एकसाथ होती है। जिस दिन NEET का पेपर थी, उसी दिन बिहार की EOW ने पटना में कुछ जगहों पर छापे मारे। इसके तार जुड़े झारखंड के हजारी बाग में स्थित ओएसिस स्कूल से। बाद में मामले की जांच CBI को मिली। सीबीआई ने खुलासा किया कि हजारी बार स्कूल के प्रिंसिपल की मदद से पेपर यहीं से लीक किया गया और 5 मई से पहले ही कई अभ्यर्थियों तक पेपर पहुंचा दिया गया था।
जांच के मुताबिक, यह पेपर सॉल्व करवाया गया और पटना में एक जगह पर कई अभ्यर्थियों तो साथ बिठाकर 4 और 5 मई की रात में पेपर रटवाया भी गया था। ऐसे ही एक अभ्यर्थी अनुराग यादव को EOW ने गिरफ्तार किया था। अनुराग ने स्वीकार किया था कि उसके फूफा सिकंदर यादवेंद्र ने उसे कोटा से यह कहकर बुलाया था कि पेपर की सेटिंग हो गई है। अनुराग यादव को परीक्षा देने के तुरंत बाद उसके परीक्षा केंद्र से ही गिरफ्तार कर लिया गया था। अनुराग ने ही स्वीकार किया था कि उसे और कई अन्य अभ्यर्थियों को पेपर रटवाया गया था।
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अनुराग के बयान के बाद सिकंदर यादवेंद्र को गिरफ्तार किया गया। जांच में खुलासा हुआ कि ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल इम्तियाज आलम ने पंकज कुमार नाम के एक शख्स को उस स्ट्रॉन्ग रूम में जाने की परमिशन दी जहां पेपर रखा गया था। पंकज कुमार ने ही पेपर स्कैन किया और यह पेपर हजारी बाग के राज गेस्ट हाउस में ठहरे अपने साथी सुरेंद्र कुमार तक पहुंचा दिया। सुरेंद्र ने पेपर प्रिंट करके उन लोगों तक पहुंचाया जो इसे सॉल्व कर सकते थे।
पेपर सॉल्व करने में करण जैन, चंदन सिंह, राहुल आनंद, कुमार शानू, सुरभि कुमारी, दीपेंद्र शर्मा, रौनक राज, संदीप कुमार और अमित कुमार का नाम आया। ये सभी मेडिकल के स्टूडेंट हैं। इन सभी को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इन लोगों ने पेपर के साथ आंसर तैयार करवाए और अलग-अलग जगह भेजा। जिन लोगों ने पेपर और आंसर के बदले मोटी रकम दी थी उन्हें परीक्षा से पहले ही पूरा पेपर रटवाया दिया गया था। यही वजह रही कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती गई इस केस में गिरफ्तारियों की संख्या बढ़ती गई।
आगे क्या हुआ?
5 मई को पेपर हुआ और 6 मई को ही NTA ने बयान जारी करके कहा कि पेपर लीक ही नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मांग की गई कि रिजल्ट होल्ड किया जाए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया। 4 जून को रिजल्ट आए तो एक ही सेंटर से कई टॉपर निकले, कुछ अभ्यर्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए गए। मामला ने तूल पकड़ा और पूरे देशभर में प्रदर्शन हुआ। तमाम विरोधों के बीच 13 जून को NTA ने कहा कि 1563 कैंडिडेट्स के लिए परीक्षा दोबारा कराई जाएगी। 16 जून को केंद्रीय शिक्षामंत्री ने स्वीकार किया कि इस केस में NTA से गड़बड़ी हुई है। 23 जून को जब 1563 स्टूडेंट्स की परीक्षा फिर से हुआ तो 750 ने परीक्षा ही नहीं दी।
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