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'लिख दो गंगा का पानी नहाने लायक नहीं...', NGT ने ऐसा क्यों कहा?

महाकुंभ से ठीक पहले गंगा जल को लेकर NGT ने बड़े सवाल उठाए हैं और पूछा है कि क्यों न लिख दिया जाए कि गंगा का पानी नहाने और पीने लायक नहीं है।

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वाराणसी में गंगा घाट, Source: Freepik

एक तरफ प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है, दूसरी तरफ गंगा नदी में प्रदूषण और पानी की गंदगी को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। प्रदूषण का स्तर ज्यादा होने के चलते राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने वाराणसी के जिलाधिकारी को सलाह दी है कि वह बोर्ड लगवा दें कि गंगा का जल नहाने या पीने के लायक नहीं है। इतना ही नहीं एनजीटी ने वाराणसी के जिलाधिकारी को फटकार लगाते हुए उनसे ही सवाल पूछ लिया कि क्या वह गंगा का पानी खुद पी सकते हैं? यह सब इस वजह से हो रहा है कि तमाम प्रयासों, नमामि गंगे प्रोजेक्ट और कई अन्य अभियानों के बावजूद गंगा नदी में प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। जून 2024 तक नमामि गंगे प्रोजक्ट में 18 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो चुके हैं और लगभग इतनी ही राशि वाली कई प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं।

 

एनजीटी के दो सदस्यों की बेंच ने सोमवार को इस मामले पर सुनवाई की। इस सुनवाई में वाराणसी के डीएम एस राजालिंगम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए। दरअसल, वकील सौरभ तिवारी ने एक याचिका दायर करके मांग की है कि 21 नवंबर 2021 को जारी किए गए NGT के आदेश का पालन किया जाए। इस आदेश में कहा गया था कि वरुणा और अस्सी नदियों को जीवित किया जाएगा। इस बेंच में अरुण कुमार त्यागी और ए सेंथिल शामिल थे।

NGT ने क्या-क्या कहा?

 

NGT ने कहा कि अधिकारी अपनी सुविधा के मुताबिक काम करते हैं। एनजीटी ने जिलाधिकारी को सलाह दी कि वह खुद को लाचार महसूस करने के बजाय अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करें और एनजीटी के आदेशों का पालन करवाएं। एनजीटी बेंच के सदस्यों ने यह भी कहा कि इस मामले में विस्तृत सुनवाई अभी नहीं हो सकती क्योंकि एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव उपलब्ध नहीं हैं। इस मामले में NGT की ओर से अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी।

नमामि गंगे प्रोजेक्ट क्या है?

 

साल 2014 में शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य गंगा नदी के प्रदूषण में कमी लाना और नदी का कायाकल्प करना है। इसके लिए नदी की सतह की सफाई, नदी में गिरने वाले नालों को राकने, नदी तट का का विकास, जैव विविधिता सुनिश्चित करने और इंडस्ट्रियल वेस्ट को गिरने से रोकने के प्रयास किए जाने हैं। आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, अब तक सीवेज ट्रीटमेंट से जुड़े 200 प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है जिन पर कुल 31,810 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। इसमें से 116 प्रोजेक्ट पूरे भी हो चुके हैं। 

क्यों हो रही समस्या?

 

इस प्रोजेक्ट से जुड़े कामों में देरी हो रही है। यह इस बात से स्पष्ट है कि अब तक 37,550 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं जिसमें से जून 2024 तक सिर्फ 18,033 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सकते हैं। जौनपुर, कासगंज, वाराणसी, बरेली, सलोरी और आगरा में कई प्रोजेक्ट पर काम हुआ है लेकिन काम बेहद धीमी रफ्तार से चला है।

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