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निशिकांत दुबे का एक और बयान, पूर्व CEC कुरैशी को बोला 'मुस्लिम आयुक्त'

निशिकांत दुबे ने एक और विवादित बयान दिया है जिसमें उन्होंने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त वाईएस कुरैशी को मुस्लिम आयुक्त कहा है।

nishikant dubey । Photo Credit: PTI

निशिकांत दुबे । Photo Credit: PTI

बीजेपी नेता निशिकांत दूबे के पिछले बयान से शुरू हुआ विवाद अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि उन्होंने फिर से एक नया बयान दे दिया है। इसको लेकर अब फिर से राजनीति शुरू हो गई है। बीजेपी सांसद निशिकांत ने रविवार को पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी पर हमला करते हुए उन्हें चुनाव आयुक्त की बजाय 'मुस्लिम आयुक्त' कहा। इसके एक दिन पहले ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को 'भारत में होने वाले गृह युद्ध के लिए जिम्मेदार' बताकर विवाद को जन्म दिया था। यह बयान उन्होंने कुरैशी के वक्फ (संशोधन) अधिनियम की आलोचना करने को लेकर दिया है। कुरैशी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम को मुस्लिमों की भूमि हड़पने की सरकार की योजना बताया था।

 

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में कार्य कर चुके कुरैशी ने 17 अप्रैल को एक्स पर पोस्ट किया था। 'वक्फ अधिनियम निस्संदेह मुस्लिम भूमि हड़पने के लिए सरकार की एक डराने वाली और बुरी योजना है। मुझे यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट इस पर सवाल उठाएगा। शरारती प्रोपेगैंडा मशीन द्वारा गलत सूचना ने अपना काम बखूबी किया है।'

 

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कुरैशी को बोला- मुस्लिम आयुक्त

जवाब में दुबे ने कुरैशी पर अपने कार्यकाल के दौरान सांप्रदायिक पक्षपात करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'आप चुनाव आयुक्त नहीं थे, आप मुस्लिम आयुक्त थे। झारखंड के संथाल परगना में सबसे ज़्यादा बांग्लादेशी घुसपैठियों को आपके कार्यकाल में वोटर बनाया गया।' दुबे ने आगे कहा, 'पैगंबर मोहम्मद का इस्लाम 712 में भारत आया। उसके पहले तो यह ज़मीन हिंदुओं की या उस आस्था से जुड़ी आदिवासी,जैन या बौद्ध धर्मावलंबी की थी।मेरे गाँव विक्रमशिला को बख्तियार ख़िलजी ने 1189 में जलाया,विक्रमशिला विश्वविद्यालय ने दुनिया को पहला कुलपति दिया अतिश दीपांकर के तौर पर ।इस देश को जोड़ो,इतिहास पढ़ो,तोड़ने से पाकिस्तान बना,अब बँटवारा नहीं होगा?'


उन्होंने अपनी एक ऐतिहासिक संदर्भ पेश करते हुए कहा, 'इस देश को एकजुट करो, इतिहास पढ़ो। पाकिस्तान को विभाजित करके बनाया गया था। अब कोई विभाजन नहीं होगा।' उन्होंने यह भी कहा, 'मेरे गांव विक्रमशिला को 1189 में बख्तियार खिलजी ने जला दिया था और विक्रमशिला विश्वविद्यालय ने दुनिया को आतिश दीपांकर के रूप में अपना 'पहला कुलपति' दिया।'

 

 

विपक्ष ने की आलोचना

दुबे की टिप्पणियों की कांग्रेस और आप जैसी विपक्षी पार्टियों ने आलोचना की है, जिन्होंने इसे न्यायिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है। इससे पहले उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर निशाना साधा था, जिसमें उन्होंने भारत में 'धार्मिक युद्धों' के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया था, जिसके बाद बीजेपी ने उनके बयानों से खुद को अलग कर लिया था। दुबे वर्तमान में झारखंड के गोड्डा से लोकसभा सांसद के रूप में अपना चौथा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं।

 

पहले भी दिया था बयान

निशिकांत दुबे ने पहले सुप्रीम कोर्ट पर 'धार्मिक युद्धों को भड़काने' का आरोप लगाया था और इसके अधिकार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अगर कोर्ट कानून बना रहा है, तो संसद के काम करने की कोई जरूरत नहीं है।

 

दुबे ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और धार्मिक मामलों को सुलझाने के कोर्ट के पिछले फैसलों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि ज्युडिशियरी देश को अव्यवस्था की ओर ले जा रही है। उन्होंने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहती है। अनुच्छेद 368 में कहा गया है कि इस देश में कानून बनाने का अधिकार केवल संसद के पास है। कानून की व्याख्या करने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट के पास है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर फैसला करना चाहिए और राज्यपाल को तीन महीने के भीतर फैसला करना चाहिए कि क्या करना है।'

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याचिकाओं के लेकर दिया था बयान

ज्युडिशियरी पर उनका हमला एक और टिप्पणी के कुछ ही घंटों बाद आया। 'अगर सुप्रीम कोर्ट कानून बना रहा है, तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए।'

 

ये बयान वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिकता पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के साथ मेल खाते हैं।

 

प्रतिक्रिया के जवाब में, भाजपा ने दुबे के बयानों से खुद को अलग कर लिया। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने स्पष्ट किया कि ये टिप्पणियां दुबे के 'व्यक्तिगत विचार' थे और ज्युडिशियरी को 'लोकतंत्र का अविभाज्य अंग' बताते हुए कहा कि न्यायिक स्वतंत्रता को लेकर पार्टी प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने पार्टी सदस्यों को 'ऐसी टिप्पणियां न करने' की सलाह दी है।

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