देश में आपातकाल साल 1975 में लागू किया गया था। तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने 25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी लगाने की संस्तुति की थी। अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) इमरजेंसी की 50वीं बरसी को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मना रही है। इस मौके पर देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन दिनों को याद करते हुए कहा है कि जिस तरह से लोकतंत्र की हत्या की गई थी, उसे कोई भी भारतीय कभी भूल नहीं सकता है। उन्होंने इमरजेंसी के खिलाफ लड़ाई में डटकर खड़े रहे लोगों को सलाम करते हुए कहा है कि तब लोगों ने मिलकर इसके खिलाफ काम किया और देश के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा की।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने X अकाउंट पर कई पोस्ट की हैं। उन्होंने उस समय को देश के लोकतंत्र का सबसे अंधकारमय अध्याय बताया है। साथ ही, कांग्रेस की जमकर आलोचना की है। मोदी सरकार ने पिछले साल घोषणा की थी कि आपातकाल की बरसी को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाया जाएगा। इस पर पलटवार करते हुए कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि देश में पिछले 11 साल से अघोषित आपातकाल है। कांग्रेस ने आरोप लगाए हैं कि पिछले 11 साल से संवैधानिक संस्थाओं पर हमले हो रहे हैं और संविधान बदलने की कोशिश की जा रही है।
अब पीएम मोदी ने अपने X पोस्ट में कहा है कि आपातकाल में संविधान में निहित मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया था, मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था, प्रेस की स्वतंत्रता को दबा दिया गया और बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पोस्ट में लिखा है, 'ऐसा लग रहा था जैसे उस समय सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को बंधक बना लिया था।'
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PM मोदी ने क्या-क्या लिखा?
अपने पहले X पोस्ट में PM मोदी लिखते हैं, 'आज देश के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे अंधकारमय अध्याय यानी इमरजेंसी लागू करने के 50 साल हो गए। भारत के लोग इसे संविधान हत्या दिवस के रूप में मना रहे हैं। इसी दिन भारतीय संविधान के मूल्यों को किनारे रख दिया गया था। ऐसा लग रहा था जैसे सत्ता पर काबिज कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को ही गिरफ्तार कर लिया हो। कोई भारतीय उसे भूल नहीं सकता कि किस तरह हमारे संविधान की आत्मा का उल्लंघन हुआ, संसद की आवाज दबाई गई और न्यायालय पर नियंत्रण करने की कोशिश की गई। 42वां संशोधन इसी का उदाहरण है। गरीबों और दबे-कुचले लोगों को खासकर निशाना बनाया गया और उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई गई।'
PM मोदी ने आगे लिखा है, 'हम हर उस शख्स को सैल्यूट करते हैं जिसने इमरजेंसी के खिलाफ संघर्ष किया। देश के हर हिस्से क लोग, अलग-अलग विचारधारा के लोग एक लक्ष्य के लिए लड़े ताकि भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को बचाया जा सके और उन मूल्यों की रक्षा की जा सके जिसके लिए हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान गंवा दे। यह उनका सामूहिक प्रयास ही था कि तब की कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को बहाल किया, चुनाव करवाए और बुरी तरह हार गई।'
उन्होंने आगे लिखा है, 'हम प्रतिबद्ध हैं कि हमारे संविधान के मूल्यों को मजबूत करने के लिए काम करें और विकसित भारत के अपने विजन को साकार करें। उम्मीद है कि हम प्रगति की नई ऊंचाइयों को छुएंगे और गरीबो और हाशिए पर मौजूद लोगों के सपनों को पूरा करेंगे।'
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क्या है आपातकाल?
बता दें कि भारत के इतिहास में 25 जून का दिन भारत के लिहाज से एक महत्वपूर्ण घटना का गवाह रहा है। देश में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की 21 महीने की अवधि के लिए आपातकाल लागू किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल की घोषणा की थी। इस दौरान प्रेस का जबरदस्त दमन किया गया था और विपक्ष के नेताओं को जेल में डाल दिया गया था।