क्या दुनिया से खत्म हो जाएंगे धर्म? बढ़ रही न मानने वालों की संख्या
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• NEW DELHI 31 Jul 2025, (अपडेटेड 31 Jul 2025, 8:30 PM IST)
दुनियाभर में धर्म को न मानने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ईसाई और इस्लाम के बाद इन लोगों की संख्या वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर पहुंच गई है।

प्रतीकात्मक फोटो। ( Photo Credit: PTI)
आपने लोगों को अक्सर यह कहते जरूर सुना होगा कि हर शख्स किसी न किसी धर्म से ताल्लुक रखता है। मगर अब बदले परिदृश्य में यह बात बिल्कुल सच नहीं है। दुनिया में हर चार में से एक शख्स ऐसा है, जिसका किसी भी धर्म से संबंध नहीं है। दुनियाभर में किसी भी धर्म को न मानने वाले लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। ईसाई और इस्लाम के बाद सबसे अधिक संख्या इन्हीं की है। अब हिंदू धर्म चौथे स्थान पर पहुंच गया है। दुनियाभर में धर्म का स्वरूप कैसे बदल रहा है और किसी भी धर्म को न मानने वालों की संख्या कहां बढ़ रही है? आज बात इसी मुद्दे पर होगी।
प्यू रिसर्च के सर्वे के मुताबिक नाइजीरिया, भारत, इजरायल और थाईलैंड में धर्म परिवर्तन काफी कठिन है। यहां लगभग 95 फीसदी युवाओं का कहना है कि वह अभी उसी धर्म से जुड़े हैं, जिस में वह पले-बढ़े हैं। इसके इतर पश्चिमी यूरोप, पूर्वी एशिया, दक्षिण और उत्तरी अमेरिका में धर्म परिवर्तन बेहद आम है। अपना धर्म छोड़ने वाले अधिकांश लोग नास्तिक बन रहे हैं। मतलब वह अपने आपको किसी धर्म से बांधकर नहीं रखते हैं।
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दुनिया में तेजी से बढ़ रही धर्म को न मानने वालों की संख्या
प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक दुनियाभर में किसी भी धर्म को न मानने वालों की संख्या तेजी बढ़ी है। अभी तक इनकी संख्या 1.9 बिलियन तक पहुंच गई है। पिछले एक दशक के मुकाबले एक फीसदी का इजाफा हुआ है। वैश्विक आबादी में इनकी हिस्सेदारी 24.2% हो चुकी है। किसी भी धर्म को न मानने वालों की संख्या वैश्विक स्तर पर हिंदुओं से अधिक हो चुकी है। किसी भी धर्म को न मानने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक चीन (1.3 अरब) में है। दूसरे स्थान पर जापान का स्थान है। तीसरे स्थान पर अमेरिका है।
कहां-कहां बढ़ रही आबादी
अमेरिका में 10 करोड़ से अधिक लोग धर्म नहीं मानते हैं। जापान में यह संख्या 7.3 करोड़ हैं। मगर कुल आबादी में प्रतिशत के लिहाज से जापान अमेरिका से आगे है। 2020 तक यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और उरुग्वे में धर्म को न मानने वाले लोगों की आबादी 40 फीसदी से अधिक हो चुकी है। नीदरलैंड में 54%, उरुग्वे में 52% और न्यूजीलैंड 51% फीसदी संख्या नास्तिकों की है।
10 देशों में बहुसंख्यक हुए धर्म न मानने वाले
पहले दुनियाभर में सिर्फ सात ऐसे देश थे, जहां धर्म को न मानने वाले बहुसंख्यक थे। मगर अब यह संख्या बढ़कर 10 हो गई है। इन देशों में चीन, उत्तर कोरिया, चेक गणराज्य, हांगकांग, वियतनाम, मकाओ, नीदरलैंड, उरुग्वे, न्यूजीलैंड और जापान शामिल हैं। अर्जेंटीना में 63 फीसदी लोग अपने आपको धर्म से नहीं जोड़ते हैं। स्वीडन में 52 फीसदी लोगों ने अपनी पहचान धर्म से अलग बताई है।
ईसाई धर्म को उठाना पड़ रहा बड़ा नुकसान
धर्म परिवर्तन का नुकसान सबसे अधिक ईसाई धर्म को उठाना पड़ रहा है। इसके बाद बौद्ध धर्म का स्थान है। सर्वे के मुताबिक ईसाई धर्म को अपनाने वालों से उसे छोड़ने वालों की संख्या अधिक है। हालांकि सर्वेक्षण में शामिल 36 देशों में से 25 में ईसाई धर्म आज भी सबसे बड़ा धर्म है। सिंगापुर में लोग ईसाई धर्म को छोड़ने से ज्यादा उसे अपना रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक यहां अगर एक व्यक्ति ईसाई धर्म छोड़ता है तो उसके बदले 3 लोग अपना रहे हैं। नाइजीरिया में जितने लोग ईसाई धर्म को अपना रहे हैं, उतने ही उसे छोड़ भी रहे हैं।
- स्वीडन में ईसाई धर्म में पले-बढ़े 29 फीसदी युवाओं ने खुद को नास्तिक बताया।
- दक्षिण कोरिया में 50%, नीदरलैंड में 36%, अमेरिका में 28% और ब्राजील में 21% लोगों ने खुद को धर्म से अलग रखा।
- कोलंबिया में 18 से 34 वर्ष के 26% लोगों ने कहा कि उनका जन्म भले ही ईसाई धर्म में हुआ है, लेकिन अब वह किसी धर्म को नहीं मानते।
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जापान और दक्षिण कोरिया में बौद्ध धर्म छोड़ रहे लोग
दुनिया के प्राचीन धर्मों में से एक बौद्ध धर्म के सामने भी संकट है। वह धर्म परिवर्तन की मार झेल रहा है। जापान और दक्षिण कोरिया में तेजी के साथ लोग बौद्ध धर्म छोड़ रहे हैं। प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक जापान में 23 फीसदी और दक्षिण कोरिया में 13 फीसदी युवाओं ने माना कि वह कोई धार्मिक पहचान नहीं रखते हैं, जबिक उनका जन्म बौद्ध धर्म में हुआ था। दक्षिण कोरिया में किसी भी धर्म से ताल्लुक न रखने वाले 9 फीसदी लोगों ने अब धर्म अपना लिया है। इनमें से छह फीसदी का मानना है कि वह अब ईसाई बन चुके हैं।
सिंगापुर में 13, दक्षिण कोरिया में 11 और दक्षिण अफ्रीका में 12 फीसदी लोगों ने धर्म परिवर्तन किया। प्यू रिसर्च सेंटर ने 36 देशों में लगभग 80 हजार लोगों पर सर्वे किया। इसके आधार पर रिपोर्ट तैयार की। भारत और बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं ने अपनी धार्मिक पहचान नहीं छोड़ी है। इस्लाम को छोड़ने वाले लोगों की संख्या भी बहुत कम है।
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