जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला लंबे समय से पूर्ण राज्य का दर्जा केंद्र से मांग रहे हैं। अब मंगलवार को उन्होंने बड़ा बयान दिया। गुलमर्ग में पत्रकारों से बातचीत में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पूर्ण राज्य का दर्जा हमारा अधिकार है। अब विधानसभा भंग करने की धमकी दी जा रही है। अगर पूर्ण राज्य का दर्जा मिलता है तो मैं विधानसभा भंग करने को तैयार हूं।
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त किया था। इसके बाद 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के तौर पर दो केंद्र शासित प्रदेशों का गठन किया। दिल्ली की तरह जम्मू-कश्मीर को विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। 10 साल बाद पिछले साल जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए। तीन चरणों में हुए चुनाव में उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42, भाजपा को 29 कांग्रेस को छह, पीडीपी को तीन और सात सीटों पर निदर्लीयों की जीत मिली।
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विधानसभा भंग करने में कोई आपत्ति नहीं: अब्दुल्ला
उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'अगर जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल होने के बाद विधानसभा को भंग कर नए सिरे से चुनाव कराने पड़ते हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। मैंने अखबार में पढ़ा है कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा, लेकिन विधानसभा चुनाव दोबारा होंगे। उन्हें ऐसा करने से किसने रोका है।'
'खबर किसने छपवाई, मुझे पता है'
उमर अब्दुल्ला का कहना है कि राज्य का दर्जा जम्मू और कश्मीर के लोगों का अधिकार है। उन्होंने आगे कहा, 'मुझे पता है कि यह खबर कहां से आई और अखबार में किसने छपवाई है? इस खबर को सिर्फ विधायकों को डराने की खातिर छापा गया है। राज्य का दर्जा किसी विधायक या सरकार की खातिर नहीं है। यह प्रदेश के लोगों के लिए हैं और हम विधायक इसमें बाधा नहीं बनेंगे।'
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'हमें डराने की कोशिश न करें'
उमर अब्दुल्ला ने एलान किया, 'जिस दिन जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिल जाएगा, उसके अगले दिन राज्यपाल से मुलाकात करूंगा और विधानसभा भंग करने की खुद ही सिफारिश करुंगा। राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए अगर विधायकों को विधानसभा भंग करने की धमकी दी जा रही है तो वह ऐसा करें। हमें डराने की कोशिश मत करो। राज्य का दर्जा हमारा अधिकार है और हमें यह वापस दे दो। अखबारों में खबरें छापना बंद करो। यह काम नहीं आएगा।'