तुलबुल प्रोजेक्ट के लिए CM उमर और महबूबा की बहस, समझिए पूरा विवाद
देश
• SRINAGAR 16 May 2025, (अपडेटेड 16 May 2025, 5:52 PM IST)
तुलबुल नैविगेशन प्रोजेक्ट को लेकर किए गए एक ट्वीट के बाद उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बीच जोरदार बहस हुई। आइए इस प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।

तुलबुल प्रोजेक्ट पर हुई बहस, Photo Credit: Khabargaon
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सिंधु जल समझौते से जुड़ा एक पोस्ट अपने X हैंडल पर पोस्ट किया था। अब इसी पोस्ट को लेकर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। सिंधु जल समझौते और तुलबुल नैविगेशन प्रोजेक्ट को लेकर शुरू हुई यह बहस उमर अब्दुल्ला के दादा शेख अब्दुल्ला तक पहुंच गई। पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी की मुखिया और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने शेख अब्दुल्ला को कोसा तो उमर अब्दुल्ला ने कह दिया कि महबूबा सस्ती राजनीति कर रही हैं और सीमा पार बैठे कुछ लोगों को खुश करने की कोशिश कर रही हैं।
रोचक बात यह है कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने और संविधान के अनुच्छेद 370 को लगभग खत्म किए जाने के बाद महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला की पार्टी ने मिलकर गुपकार गठबंधन बनाया है। वैसे तो दोनों दल एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं लेकिन कई मौकों पर दोनों साथ भी दिखे हैं। मौजूदा स्थिति में भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच जहां उमर अब्दुल्ला मुखर होकर पाकिस्तान का विरोध कर रहे हैं और सैन्य कार्रवाई को सही बता रहे हैं। वहीं, महबूबा मुफ्ती कहती आ रही हैं कि युद्ध से किसी का भला नहीं हुआ है और इससे बचना चाहिए। उन्होंने सिंधु जल समझौता निलंबित करने पर भी नाराजगी जताई थी।
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कैसे शुरू हुआ उमर-महबूबा का विवाद?
उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को एक वीडियो पोस्ट किया गया। यह वीडियो वुलर झील के ऊपर उड़ते एक हेलिकॉप्टर से बनाया गया है। इस वीडियो के साथ उमर अब्दुल्ला ने लिखा, 'उत्तर कश्मीर की वुलर झील। वीडियो में जो सिविल काम आप देख रहे हैं वह तुलबुल नैविगेशन बैराज का है। इसका काम 1980 के दशक में शुरू हुआ था लेकिन पाकिस्तान ने सिंध नदी समझौते का हवाला देकर दबाव डाला और इसे रोक दिया गया। अब जब सिंधु जल समझौता 'अस्थायी तौर पर निलंबित' है, मुझे लगता है कि अब हमें यह प्रोजेक्ट दोबारा शुरू कर देना चाहिए। इससे हमें झेलम नदी में नैविगेशन का फायदा मिलेगा। इससे झेलम नदी के डाउनस्ट्रीम में पावर प्रोजेक्ट में फायदा मिलेगा।'
The Wular lake in North Kashmir. The civil works you see in the video is the Tulbul Navigation Barrage. It was started in the early 1980s but had to be abandoned under pressure from Pakistan citing the Indus Water Treaty. Now that the IWT has been “temporarily suspended” I… pic.twitter.com/MQbGSXJKvq
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) May 15, 2025
उमर अब्दुल्ला का यही ट्वीट विवाद की जड़ बना। महबूबा मुफ्ती ने इसी पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए लिखा, 'जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच तुलबुल नैविगेशन प्रोजेक्ट को शुरू करने की बात कर रहे हैं जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे वक्त में जब दोनों देश लगभग फुल फ्लेज्ड युद्ध पर उतर आए हैं और जम्मू कश्मीर में लोगों की जाने जा रही हैं, तबाही हो रही है और लोग तकलीफ में हैं, उस वक्त इस तरह की बात करना न सिर्फ गैरजिम्मेदाराना है बल्कि खतरनाक रूप से उकसाने वाला भी है। देश के बाकी लोगों की तरह हमारे लोगों को भी शांति चाहिए।'
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जमकर चली जुबानी जंग
इसके बाद तो मामला और आगे बढ़ गया। महबूबा मुफ्ती के पोस्ट पर उमर अब्दुल्ला ने जवाब देते हुए लिखा, 'असल में दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के चक्कर में आप आंख बंद कर ले रही हैं और सीमापार बैठे लोगों को खुश करने की कोशश कर रही हैं। इस कोशिश में आप यह मानने से इनकार कर देती हैं कि सिंधु जल समझौता जम्मू-कश्मीर के लोगों को मिले बड़े धोखों में से एक रहा है। मैंने हमेशा इस समझौते का विरोध किया है और आगे भी करता हूं।'
Actually what is unfortunate is that with your blind lust to try to score cheap publicity points & please some people sitting across the border, you refuse to acknowledge that the IWT has been one of the biggest historic betrayals of the interests of the people of J&K. I have… https://t.co/j55YwE2r39
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) May 16, 2025
उमर के इस ट्वीट पर महबूबा मुफ्ती का भी जवाब आया। उन्होंने लिखा, 'समय बताएगा कि कौन, किसे खुश करने की कोशिश कर रहा है। यहां यह याद करने की जरूरत है कि आपके प्रिय दादा शेख शाहब ही जब दो दशक तक सत्ता से दूर रहे तो एक समय पर उन्होंने ही पाकिस्तान के साथ मिल जाने की बात कही थी। हालांकि, दोबारा मुख्यमंत्री का पद मिल जाने के बाद वह अचानक फिर से भारत के साथ आ गए। पीडीपी ने हमेशा अपने समर्पण और प्रतिबद्धताओं को बरकरार रखा है जबकि आपकी पार्टी की प्रतिबद्धता राजनीतिक परिस्थिति के हिसाब से बदलती रही है। हमें तनाव बढ़ाने या युद्ध का ढोल बजाकर अपना समर्पण दिखाने की जरूरत नहीं है। हमारे लिए हमारा काम ही बोलता है।'
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यह बात यहीं नहीं रुकी। उमर अब्दुल्ला ने एक और जवाब दिया। उन्होंने लिखा, 'सच में, आप यही कर सकती हैं? ऐसे शख्स पर सस्ते कॉमेंट करना जिसे खुद आपने ही कश्मीर का सबसे बड़ा नेता बताया हो। आप इस बहस को गटर में ले जाना चाहती हैं लेकिन मैं इससे ऊपर उठकर जवाब दूंगा और दिवंगत मुफ्ती साहब और 'नॉर्थ पोल साउथ पोल' को इससे दूर ही रखूंगा। आपको जिसके हितों के लिए बोलना है बोलती रहिए और मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए अपनी नदियों के पानी के इस्तेमाल के लिए बोलता रहूंगा। मैं पानी रोकने नहीं जा रहा हूं, हमारे लिए सिर्फ थोड़ा ज्यादा पानी इस्तेमाल करने की बात कर रहा हूं। अब मुझे लगता है कि मैं कुछ काम करूंगा और आप पोस्ट करती रहिए।' खबर लिखे जाने तक महबूबा मुफ्ती की ओर से इस पर कोई जवाब नहीं आया है लेकिन यह मामला दिखाता है कि आखिर यह मुद्दा कितना गंभीर है।
#WATCH | Srinagar, J&K: On CM Omar Abdullah, PDP Chief Mehbooba Mufti says, "I think it is unfortunate that the Indian government has suspended the Indus Water Treaty. Our CM Omar sahab knows that both the countries have come back from the brink of war and America had to… pic.twitter.com/msENrpK8B7
— ANI (@ANI) May 16, 2025
क्या है तुलबुल नैविगेशन प्रोजेक्ट?
पीर-पंजाल ग्लेशियर से निकलने वाली झेलम नदी का उद्गम स्थल जम्मू-कश्मीर के वेरनाग में है। जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों से होकर गुजरने वाली इसी झेलम नदी पर ही वुलर झील स्थित है। उमर अब्दुल्ला इसी वुलर झील और झेलम नदी से संबंधित एक प्रोजेक्ट का जिक्र कर रहे हैं। सिंधु जल समझौते मुताबिक, झेलम का पानी पाकिस्तान जाता है। इसी झेलम नदी को पाकिस्तान में नीलम के नाम से जाना जाता है। मोटे तौर पर समझें तो उमर अब्दुल्ला चाहते हैं कि सिंधु जल समझौता निलंबित होने की स्थिति में झेलम का पानी पाकिस्तान न जाने दिया जाए।

दरअसल, झेलम नदी पर वुलर झील में ही एक प्रोजेक्ट बनाने की शुरुआत की गई थी। 439 फीट लंबा और 40 फीट चौड़ा यह लॉक सिस्टम पानी रोकने के लिए बनाया जा रहा था। यह एक तरह का बैराज है जो वुलर झील के मुहाने पर बन रहा था और नदी के पानी को नियंत्रित करता है। अगर यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाता तो सर्दियों में यहां से सिर्फ 4000 क्यूसेक पानी ही छोड़ा जाता और बाकी का पानी रोककर भारत अपने इस्तेमाल में ले लेता। कोशिश यह भी थी कि बुलर झील को पूरे साल नैविगेशन के लिए भी खोला जा सके। हालांकि, इसके लिए झील की गहराई भी बढ़ानी पड़ती।
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गर्मी के मौसम में जब वुलर झील में पानी रहता है तब तो नैविगेशन आसान हो सकता है लेकिन सर्दी के समय पानी कम होने पर झील में नाव चलाना मुश्किल हो जाता है। अगर यह बैराज बनाकर पानी रोका जा सके तो सर्दी के समय भी वुलर झील में नाव चल सकेंगी और झील के चारों तरफ बसे शहरों के बीच आवागमन आसान हो जाएगा।
पाकिस्तान क्यों करता है विरोध?
इसके बारे में भारत की राय यह रही है कि इसे बनाने से वुलर झील को नैविगेशन के लायक बनाया जा सकेगा। अगर यह प्रोजेक्ट पूरा होता तो जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से बारामुला तक माल ढुलाई का काम वुलर झील के जरिए हो सकेगा। वहीं, पाकिस्तान की राय रही है कि इससे झेलम नदी का पानी रुक जाएगा और पाकिस्तान को नुकसान पहुंचेगा। पाकिस्तान के विरोध के चलते तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने साल 1987 में फैसला लिया था कि इस प्रोजेक्ट के काम को रोक दिया जाए। उस वक्त केंद्र में राजीव गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार थी। तब जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रें की सरकार थी और मौजूदा मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पिता फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री थे।
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फिलहाल, पाकिस्तान के विरोध के चलते यह तुलबुल नैविगेशन प्रोजेक्ट रुका हुआ है लेकिन उमर अब्दुल्ला इसी को फिर से शुरू करने की मांग कर रहे हैं। भारत इस पर 20 करोड़ रुपये भी खर्च कर चुका है। तस्वीरों में आप देखेंगे तो समझ आएगा कि वुलर झील के एक किनारे पर एक लॉक जैसी आकृति बनी हुई है जो कि 440 फीट लंबी है। इसमें भारी मात्रा में पानी रोका जा सकता है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में काम न होने की वजह से इस प्रोजेक्ट को काफी नुकसान भी पहुंचा है।
दरअसल, भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता 1960 में हुआ था। इसी समझौते के तहत सिंधु, चिनाब, झेलम, ब्यास, रावी और सतलुज के पानी का बंटवारा होता है। समझौते की शर्तों के मुताबिक, रावी, ब्यास और सतलुज के पानी पर भारत का हक है और सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी पर पाकिस्तान का हक है। इन तीनों नदियों में से सिर्फ 20 पर्सेंट पानी ही भारत ले सकता है। हालिया तनाव के बाद भारत ने इस संधि को निलंबित कर दिया है। इसका मतलब यह है कि भारत अपने हिसाब से पानी रोक या छोड़ सकता है। मौजूदा स्थिति में भारत पानी रोकने या छोड़ने की जानकारी पाकिस्तान को नहीं दे रहा है।
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