केंद्र की मोदी सरकार अब ऑनलाइन गेमिंग को कानून के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि ड्रीम11 और विंजो जैसी ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कानून के दायरे में लाया जा सकता है। इसके साथ ही ऐसी कंपनियों की जवाबदेही भी तय की जा सकती है, जिसके बाद उन्हें यूजर्स की KYC और संदिग्ध ट्रांजेक्शन को टैक करने और उसकी रिपोर्ट करना जरूरी हो जाएगा।
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वित्त मंत्रालय ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA के दायरे में लाने का प्रस्ताव दिया है।
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मगर इससे होगा क्या?
अगर ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को PMLA के दायरे में लाया जाता है, तो उनकी जिम्मेदारी और जवाबदेही बढ़ जाएगी। PMLA के दायरे में आने वाली कंपनियों को अपने क्लाइंट और ट्रांजेक्शन के बारे में वित्त मंत्रालय के तहत आने वाली फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU-IND) को जानकारी देनी होती है।
इसके साथ ही ऐसी कंपनियों को सभी ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड रखना होता है। अपने यूजर्स से जुड़े सारे दस्तावेज और उनकी अकाउंट फाइल भी FIU-IND से साझा करनी होती है।
इसके अलावा, ऐसी कंपनियों को मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने वाली वैश्विक संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के नियमों का पालन भी करना होता है।
अगर केंद्र सरकार ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को PMLA के दायरे में लाती है, तो यह ऐसी कंपनियों पर दूसरी बड़ी कार्रवाई होगी। इससे पहले 2023 में ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स पर यूजर्स की जमा राशि पर 28% जीएसटी लगा दिया था।
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कितनी बड़ी है ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री?
भारत में पिछले कुछ सालों में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री काफी तेजी से बढ़ी है। मार्च 2025 में आई फिक्की और EY की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में भारत में ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने करीब 2.7 अरब डॉलर का रेवेन्यू जनरेट किया था। भारतीय करंसी में यह रकम 23,200 करोड़ रुपये होती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 15.5 करोड़ से ज्यादा भारतीय फैंटेसी स्पोर्ट्स खेलते हैं और इसमें पैसा लगाते हैं। 2023 की तुलना में यह 10 फीसदी ज्यादा है। औसतन हर दिन 11 करोड़ लोग ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं।