10 साल में ED ने 193 नेताओं के खिलाफ दर्ज किया केस, सजा सिर्फ 2 को हुई
देश
• NEW DELHI 19 Mar 2025, (अपडेटेड 19 Mar 2025, 6:03 PM IST)
केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने संसद में दिए अपने जवाब में बताया है कि पिछले 10 साल में कुल 193 नेताओं के खिलाफ ईडी ने केस दर्ज किया है लेकिन सजा सिर्फ दो को ही हुई है।

प्रवर्तन निदेशालय ने कई नेताओं के खिलाफ दर्ज किए केस, Photo Credit: Khabargaon
बीते कुछ सालों में प्रवर्तन निदेशालय खूब चर्चा में रहा है। इसकी बड़ी वजह यह है कि विपक्ष के कई बड़े नेताओं को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में गिरफ्तार किया। विपक्षी नेता लगातार यह सवाल भी उठाते रहे हैं कि ईडी ने नेताओं को गिरफ्तार तो किया लेकिन वे दोषी साबित नहीं हुए। अब संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब ने भी इसी ओर इशारा किया है। राज्यसभा में केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने बताया है कि पिछले 10 साल में कुल 193 नेताओं के खिलाफ ईडी ने केस दर्ज किया है। रोचक बात यह है कि अभी तक इसमें से सिर्फ 2 नेता ही दोषी पाए गए हैं। बाकी के 191 नेताओं के खिलाफ अभी भी केस चल ही रहा है और अब तक एक भी नेता आरोपों से मुक्त नहीं हुआ है। यह दिखाता है कि प्रवर्तन निदेशालय के केस लंबे समय तक खिंच रहे हैं और उनका निपटारा नहीं हो पा रहा है।
ईडी केस लंबे खिंचने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पिछले ही महीने ईडी को जमकर लताड़ा था। इंडियन टेलिकॉम सर्विस के अधिकारी अरुण कुमार के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए एस ओका और जस्टिस उज्जल भुयन ने कहा था, 'PMLA का मतलब यह नहीं है कि कोई आदमी जेल में ही रखा जाएगा।' सुप्रीम कोर्ट ने सवाल भी पूछे थे कि क्या दहेज कानून की तरह ही इसका भी दुरुपयोग किया जा रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने अरुण पति त्रिपाठी को पिछले महीने की 13 तारीख को जमानत भी दे दी थी।
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193 केस, सिर्फ 2 दोषी
केरल से राज्यसभा सांसद ए एर रहीम ने संसद में ईडी को लेकर सवाल पूछे थे। उन्होंने पूछा था कि पिछले 10 साल में कितने सांसदों, विधायकों और स्थानीय नेताओं के खिलाफ ईडी केस दर्ज किए गए हैं। उन्होंने इन नेताओं में से दोषी पाए गए लोगों, बरी हुए लोगों और उन केस की संख्या भी पूछी थी जिनके केस अभी चल रहे हैं। अब वित्त मंत्रालय में राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में इसका लिखित जवाब दिया है। इन आंकड़ों के मुताबिक, 2015-16 से लेकर 28 फरवरी 2025 तक कुल 193 नेताओं के खिलाफ ईडी ने केस दर्ज किया है।
इन आंकड़ों के मुताबिक, 2016-17 और 2019-20 में एक-एक नेता को दोषी करार दिया गया है। यानी इन 10 सालों में सिर्फ 2 ही लोग दोषी करार दिए गए हैं। बाकी के 191 नेताओं के खिलाफ केस चल ही रहा है। ए ए रहीम ने एक और सवाल पूछा था कि क्या विपक्ष के नेताओं के खिलाफ पिछले कुछ सालों में ईडी के मुकदमों में बढ़ोतरी हुई है। इस पर जवाब दिया गया है कि इस तरह का कोई डेटा नहीं रखा जाता है। आंकड़ों के हिसाब से देखें तो सबसे ज्यादा 32 नेताओं के खिलाफ ईडी ने साल 2022-23 में केस दर्ज किया था। सबसे कम केस साल 2017-18 में दर्ज किए गए। अगर कुल केस की बात करें तो 2020-21 में कुल 981 केस, 2021-22 में कुल 1180 केस और 2022-23 में कुल 949 केस PMLA के तहत दर्ज किए गए।
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किन नेताओं पर गिरी ईडी की गाज?
पिछले कुछ सालों में देखें तो आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, शिवसेना (UBT), समाजवादी पार्टी, डीएमके और कई अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं के खिलाफ ईडी ने केस दर्ज किए हैं। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और मंत्री रहे सत्येंद्र जैन लंबे समय तक ईडी केस में ही जेल में रहे। हालांकि, अब ये नेता जमानत पर बाहर हैं। इनके अलावा, लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत, हेमंत सोरेन, भूपेश बघेल, देवेंद्र यादव, राहुल गांधी और सोनिया गांधी समेत दर्जनों अन्य नेता भी ईडी के निशाने पर रहे हैं।
इन नेताओं के अलावा कुछ ऐसे नेता भी हैं जो पहले ईडी के निशाने पर थे लेकिन बाद में वे सत्ताधारी पार्टी यानी बीजेपी में शामिल हो गए। उदाहरण के लिए- शारदा चिटफंड घोटाले में ईडी ने हिमंत बिस्व सरमा के घर छापेमारी थी। कुछ साल बाद वह बीजेपी में शामिल हुए और अब वह असम के सीएम हैं। शुभेंदु अधिकारी टीएमसी के दिग्गत नेता हुआ करते थे। नारदा स्टिंग केस में उनके खिलाफ भी छापेमारी हुई थी। अब शुभेंदु भी बीजेपी में हैं।
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दिसंबर 2022 में आई इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 18 साल में ईडी ने जिन 147 नेताओं से पूछताछ की या उन्हें गिरफ्तार किया, उसमें 85 पर्सेंट नेता विपक्ष के ही थे। इसी रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 से 2022 के बीच ईडी ने जिन नेताओं से पूछताछ की या गिरफ्तार किया उसमें से 95 पर्सेंट नेता विपक्ष के थे। एक और रोचक बात है कि साल 2019 में PMLA में एक संशोधन करके ईडी को यह शक्ति दी गई कि वह लोगों के घर पर छापेमारी कर सकती है और उन्हें गिरफअतार भी कर सकती है। पहले कोई अन्य एजेंसी अगर PMLA के तहत केस दर्ज करती थी तब ईडी जांच करती थी लेकिन अब ईडी खुद ही एफआईआर दर्ज करके जांच कर सकती है।
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