'संघियों को अपने एजेंडे पर नचाएंगे...', जाति जनगणना पर कौन-क्या बोला?
देश
• NEW DELHI 30 Apr 2025, (अपडेटेड 30 Apr 2025, 6:00 PM IST)
जातिगत जनगणना के फैसले का स्वागत करते हुए कांग्रेस ने कहा है कि यह उसकी जीत है। लालू प्रसाद यादव ने तंज कसते हुए कहा है कि संघियों को इसी तरह अपने एजेंडे पर नचाएंगे।

जातिगत जनगणना पर विपक्षी नेताओं का जवाब, Photo Credit: Khabargaon
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार को फैसला लिया है कि अगली जनगणना के साथ ही जातिगत जनगणना भी करवाई जाएगी। अब इस पर विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया भी आने लगी है। तेलंगाना और कर्नाटक में जातिगत सर्वे करवाने वाली कांग्रेस पार्टी ने इसे अपनी जीत बताते हुए इसका स्वागत किया है। कांग्रेस ने कहा है कि 'देर आए, दुरुस्त आए।' वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू यादव ने कहा है कि इससे उन लोगों को जवाब मिलेगा जो हमें जातिवादी कहते हैं। लालू यादव ने अपने X हैंडल पर लिखा है कि इसी तरह से संघियों को एजेंडे पर नचाते रहेंगे। बिहार में जातिगत सर्वे करा चुके नीतीश कुमार ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे देश के विकास को गति मिलेगी।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बीते 9 अप्रैल को कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन में पारित उस प्रस्ताव का हवाला दिया कि जिसमें जाति जनगणना की पैरवी करते हुए कहा गया था कि सामाजिक न्याय की बुनियाद को और सशक्त बनाने के लिए यह जरूरी है। जयराम रमेश ने कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन के प्रस्ताव के कुछ अंश साझा करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, 'सामाजिक न्याय को लेकर यह बात कांग्रेस के हालिया प्रस्ताव में कही गई थी, जो 9 अप्रैल 2025 को अहमदाबाद में पारित हुआ था। देर आए, दुरुस्त आए।’
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लालू यादव ने कसा तंज
लालू यादव ने अपने X पोस्ट में लिखा है, 'मेरे जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते दिल्ली में हमारी संयुक्त मोर्चा की सरकार ने 1996-97 में कैबिनेट से 2001 की जनगणना में जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया था, जिस पर बाद में NDA की वाजपेयी सरकार ने अमल नहीं किया। 2011 की जनगणना में फिर जातिगत गणना के लिए हमने संसद में जोरदार मांग उठाई। मैंने, स्व. मुलायम सिंह जी, स्व. शरद यादव जी ने इस मांग को लेकर कई दिन संसद ठप किया और बाद में प्रधानमंत्री स्व. मनमोहन सिंह जी के सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण कराने के आश्वासन के बाद ही संसद चलने दिया। देश में सर्वप्रथम जातिगत सर्वे भी हमारी 17 महीने की महागठबंधन सरकार में बिहार में ही हुआ।'
मेरे जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते दिल्ली में हमारी संयुक्त मोर्चा की सरकार ने 1996-97 में कैबिनेट से 2001 की जनगणना में जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया था जिस पर बाद में NDA की वाजपेयी सरकार ने अमल नहीं किया।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) April 30, 2025
2011 की जनगणना में फिर जातिगत गणना के लिए हमने संसद में जोरदार…
लालू यादव ने आगे लिखा है, 'जिसे हम समाजवादी जैसे आरक्षण, जातिगणना, समानता, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता इत्यादि 30 साल पहले सोचते है उसे दूसरे लोग दशकों बाद फॉलो करते हैं। जातिगत जनगणना की माँग करने पर हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला। अभी बहुत कुछ बाक़ी है। हम इन संघियों को हमारे एजेंडा पर नचाते रहेंगे।'
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नीतीश कुमार ने भी किया स्वागत
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने लिखा है, 'जाति जनगणना कराने का केंद्र सरकार का फैसला स्वागत योग्य है। जाति जनगणना कराने की हम लोगों की मांग पुरानी है। यह बेहद खुशी की बात है कि केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय किया है। जाति जनगणना कराने से विभिन्न वर्गों के लोगों की संख्या का पता चलेगा जिससे उनके उत्थान और विकास के लिए योजनाएँ बनाने में सहूलियत होगी। इससे देश के विकास को गति मिलेगी। जाति जनगणना कराने के फैसले के लिए माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी का अभिनंदन और धन्यवाद।'
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जाति जनगणना कराने का केंद्र सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है। जाति जनगणना कराने की हमलोगों की मांग पुरानी है। यह बेहद खुशी की बात है कि केन्द्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय किया है। जाति जनगणना कराने से विभिन्न वर्गों के लोगों की संख्या का पता चलेगा जिससे उनके उत्थान एवं…
— Nitish Kumar (@NitishKumar) April 30, 2025
जाति जनगणना के सवाल पर समाजवादी पार्टी के रविदास मेहरोत्रा का कहना है, 'लंबे समय से समाजावादी पार्टी जातिगत जनगणना की मांग करती रही है। आज सरकार ने हमारी मांग स्वीकार कर ली है। यह देश के दलितों और पिछड़ों की जीत है।'
जातिगत जनगणना के फैसले का स्वागत करते हुए चिराग पासवान ने कहा, 'यह बड़ा और ऐतिहासिक फैसला है। इसके लिए मैं अपनी पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री को धन्यवाद देता हूं। आज मेरे प्रधानमंत्री ने हमारी लंबे समय से लंबित पड़ी मांग को पूरा कर दिया है। कई बार हम लोगों के बारे में कहा जाता था कि बीजेपी अलग राह पर है और हम अलग राह पर हैं। जातीय जनगणना का सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर होगा जो सबसे गरीब जातियों से आते हैं। इससे उन्हें देश की मुख्यधारा से जुड़ने का मौका मिलेगा।'
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