संसद में बजट सत्र के पहले हाफ गुरुवार को खत्म हो रहा है। राज्यसभा में वक्फ विधेयक टेबल किया गया है, जिस पर हंगामा बरपा है। कांग्रेस ने वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय टीम की रिपोर्ट पेश होने से पहले ही हंगामा किया है। कांग्रेस का कहना है कि वक्फ विधेयक पूरी तरह से असंवैधानिक है, इसमें विपक्ष के सुझावों को शामिल ही नहीं किया गया है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के दावों का खंडन किया है। उन्होंने कहा है कि संयुक्त संसदीय समिति में विपक्षी दलों ने विधेयक से जुड़ी जो आपत्तियां दर्ज कराई गई थीं, उन्हें वैसा ही रखा गया है, कोई भी हिस्सा हटाया नहीं गया है। विपक्षी दलों ने उनकी इस सफाई पर जमकर हंगाम किया है।
'विपक्ष झूठ बोल रहा है'
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, 'मैंने विपक्ष की ओर से जताई गई सभी चिंताओं की जांच की है। रिपोर्ट से कुछ हटाया या मिटाया नहीं गया है। सबकुछ सदन के पटल पर रखा गया है। किस आधार पर ऐसे सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्ष के सदस्य गैरजरूरी मुद्दों का जिक्र कर रहे हैं, जो तथ्यात्मक नहीं हैं।'
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'सदन को गुमराह कर रहा है विपक्ष'
किरेन रिजिजू ने कहा, 'आरोप झूठे लगाए जा रहे हैं। संयुक्त संसदीय समिति ने सभी प्रक्रियाओं को पूरा किया है। सब कुछ नियमों के आधार पर ही हुआ है। सभी दलों के संयुक्त संसदीय समिति के सदस्यों ने बीते 6 महीने में बैठकों में हिस्सा लिया है। जिन-जिन प्रावधानों का विरोध विपक्ष ने किया है, उन्हें नोट किया गया है। रिपोर्ट की संदर्भ सूची में इस बात का जिक्र किया गया है। वे सदन को गुमराह नहीं कर सकते हैं।'
वक्फ बिल की रिपोर्ट पर विपक्ष का वाकआउट
वक्फ विधेयक पर JPC की रिपोर्ट सदन के पटल पर जैसे ही रखा गया, हंगामा शुरू हो गया। ज्यादातर विपक्षी नेताओं ने नारेबाजी की और विरोध दिखाने के लिए सदन का बहिष्कार कर दिया। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को राज्यसभा में सदन के पटल पर खा गया है, जिस पर चर्चा होने से पहले ही हंगामा मच गया।
विपक्ष ने वक्फ विधेयक पर क्या कहा?
इंडिया ब्लॉक ने विपक्षी विधेयक पर आपत्ति जताई है। समाजवादी पार्टी की नेता डिंपल यादव ने कहा, इस विधेयक के विरोध में पूरा विपक्ष है। हम विधेयक का एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं। सत्तारूढ़ पार्ट के भी कुछ दल हैं, जिन्होंने इस पर आपत्ति जताई है।'
शिवसेना (यूबीटी) नेता अरविंद सावंत ने कहा, 'कमेटी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बिनी थी। जेपीसी चेयरमैन को पूछना चाहिए था कि क्या गवाहों की ओर से दिए गए उत्तर समिति के सदस्यों को दिए गए थे। बैठकों में विधेयक के उपबंधों पर कभी चर्चा ही नहीं हुई। हमने इसी वजह से असहमति जताई। उन्होंने असहमतियों को ही हटा दिया। हम विरोध कर रहे है कि क्यों इसे सदन में पेश किया गया।'
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सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'माननीय सदस्यों के वोट ने मुझे दुख दिया है। मैंने विपक्ष को अवसर दिया था। उनके पास अपने संवैधानिक अधिकारों का ही बहिष्कार किया है। वह सिर्फ सदन से ही नहीं जा रहे हैं, पूरे देश की नजरें वक्फ पर हैं, वे समाधान चाहते हैं।'