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रील देखने से सिर्फ दिमाग खराब होता है, ओवैसी की बच्चों को नसीहत

ओवैसी ने बच्चों को नसीहत देते हुए कहा कि रील्स देखने से आप न इंजीनियर बनेंगे, न डॉक्टर बनेंगे और न ही स्कूल टीचर बन पाएंगे। इसको देखकर वक्त बर्बाद न करें।

Asaduddin Owaisi । Photo Credit: PTI

असदुद्दीन ओवैसी । Photo Credit: PTI

हैदराबाद के सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को मुसलमानों से रील्स देखकर अपना समय बर्बाद न करने की अपील की। उनका इशारा था कि सामाजिक और शैक्षिक जागरूकता की कमी और सोशल मीडिया की लत के कारण अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर मुसलमान, राजनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ रहे हैं। उन्होंने बिहार में मतदाता सूची के विशेष संशोधन को लेकर चल रहे विवाद का उदाहरण दिया। ओवैसी AIMIM मुख्यालय में छात्रों को एजुकेशनल किट बांटने के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा, 'अगर आप रील्स की लत में पड़ जाएंगे और कल कोई बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) मतदाता सूची में संशोधन के नाम पर आपके घर आए, तो आप क्या जवाब देंगे? संशोधन के बहाने कई लोगों को बांग्लादेशी, नेपाली या म्यांमारवासी करार दिया जा रहा है।'

 

छात्रों को सोशल मीडिया, खासकर रील्स की लत से बचने की सलाह देते हुए ओवैसी ने कहा, 'घर जाकर रील्स देखने में समय बर्बाद न करें। एक-दो मिनट की रील्स देखने से आप न तो लीडर बनेंगे, न साइंटिस्ट, न टीचर, न डॉक्टर, न इंजीनियर। रील्स की लत आपका समय बर्बाद करेगी और आपको आपके लक्ष्य से भटकाएगी।' ओवैसी ने जोर देकर कहा कि भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यकों को राजनीतिक और पेशेवर रूप से सशक्त होना जरूरी है। इससे न केवल लोकतंत्र में उनकी भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि वे अपने अधिकारों की रक्षा भी कर सकेंगे और देश के भविष्य को आकार दे सकेंगे। उन्होंने कहा, 'हमारे प्यारे देश में अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। अगर हम एकजुट और मजबूत होंगे—राजनीतिक रूप से और विज्ञान, इंजीनियरिंग, मेडिसिन, कानून जैसे क्षेत्रों में—तभी इन चुनौतियों से पार पा सकेंगे।'

 

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वकीलों की जरूरत पर बल  

उन्होंने समुदाय में वकीलों की कमी पर चिंता जताई और कहा, 'मुस्लिम अल्पसंख्यकों को ऐसे वकीलों की जरूरत है जो उनकी शरिया, निजी कानूनों, मौलिक अधिकारों और पुलिस के अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकें।'

 

शिक्षा में पिछड़ापन 

ओवैसी ने मुस्लिम छात्रों के बीच स्कूल छोड़ने की उच्च दर पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि 21 लाख से अधिक बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं, जिनमें 51% लड़कियां हैं। इसका मुख्य कारण गरीब परिवारों का फीस वहन न कर पाना है। उन्होंने कहा कि यह नुकसान केवल अल्पसंख्यक समुदाय का नहीं, बल्कि पूरे देश का है। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति को सीमित करने की भी आलोचना की।

 

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‘विकसित भारत’ के लिए समान अवसर जरूरी  

ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री का ‘विकसित भारत’ का सपना तभी पूरा होगा, जब अल्पसंख्यकों को शिक्षा के समान अवसर मिलेंगे। उन्होंने कहा, 'मुस्लिम इलाकों में आपको शराब की दुकानें और पुलिस स्टेशन ज्यादा मिलेंगे। वहां स्कूल और अस्पतालों की जरूरत है। तभी देश मजबूत होगा।' उन्होंने छात्रों से मेहनत करने और अपने समुदाय व देश के लिए योगदान देने का आह्वान किया।

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