logo

ट्रेंडिंग:

भारत-पाकिस्तान के उन 11 समझौतों की कहानी, जिनसे हटे तो होगा बुरा असर

भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित किया तो पाकिस्तान ने सभी द्विपक्षीय समझौतों से बाहर निकलने की धमकी दे डाली। इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने शिमला समझौते से बाहर आने का ऐलान तक कर दिया। ऐसे में जानते हैं कि भारत-पाकिस्तान के बीच ऐसे कौनसे द्विपक्षीय समझौते हैं, जिनसे हटने का बुरा असर हो सकता है?

india pakistan

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

भारत और पाकिस्तान के बीच जबरदस्त तनाव है। बात अब जंग की धमकी तक आ गई है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जब सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया तो पाकिस्तान ने इसे 'ऐक्ट ऑफ वॉर' बता दिया। यह पहली बार है जब भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित किया है। भारत और पाकिस्तान के बीच तीन बड़ी जंग हो चुकी है लेकिन इस संधि को तब भी नहीं रोका गया था।


पहलगाम अटैक के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संकट भी खड़ा हो गया है। दोनों ही देशों ने अपने दूतावास में कर्मचारियों की संख्या 55 से कम कर 30 तक करने को कह दिया है। दोनों ही देशों ने एक-दूसरे के नागरिकों के वीजा को रद्द कर दिया है और उन्हें अपने-अपने देश लौट जाने को कहा है।


इतना ही नहीं, गुरुवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मौजूदगी में हुई नेशनल सिक्योरिटी कमेटी में 1972 के शिमला समझौते को निलंबित करने का फैसला भी लिया गया है। इस बैठक के बाद पाकिस्तान ने बयान जारी कर कहा, 'शिमला समझौते समेत भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों को तब तक स्थगित रखने के अधिकार का प्रयोग किया जाएगा, जब तक भारत पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने और कश्मीर में अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का पालन नहीं करने के अपने बर्ताव से बाज नहीं आता।'

 

यह भी पढ़ें-- 1 नहीं 7 बार, भारत के हर भरोसे पर पाकिस्तान ने दिया जख्म


भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव में अब तक दो अहम समझौते- 1972 का शिमला समझौता और 1960 की सिंधु जल संधि का जिक्र हो रहा है। हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 से लेकर अब तक कई अहम समझौते हुए हैं। पाकिस्तान ने इन सभी द्विपक्षीय समझौतों से बाहर निकलने की धमकी दी है। ऐसे में जानते हैं कि दोनों मुल्कों के बीच अब तक क्या समझौते हुए हैं और अगर इनसे बाहर निकला जाता है, तो उसका असर क्या हो सकता है?

भारत-पाकिस्तान और समझौते

1. नेहरू-लियाकत एग्रीमेंटः अप्रैल 1950 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के बीच यह समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ था कि दोनों देश अपने यहां अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करेंगे। इसके साथ ही यह भी तय हुआ कि दोनों देश अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर एक-दूसरे के प्रति जवाबदेह होंगे।

  • बाहर निकले तो क्या होगा?: इस समझौते का मकसद अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करना था। वैसे तो पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हमले होते ही रहते हैं। मगर इस समझौते से हटा जाता है तो उसकी कुछ जवाबदेही भी नहीं होगी।


2. सिंधु जल संधि: वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में 1960 में भारत-पाकिस्तान के बीच संधि हुई। तय हुआ कि पश्चिमी नदियां- सिंधु, झेलम और चेनाब का पूरा पानी पाकिस्तान को मिलेगा। भारत सीमित इस्तेमाल ही कर सकेगा। पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलुज भारत के पास आईं। भारत बिना किसी रोक-टोक इनका इस्तेमाल कर सकता है। साथ ही एक स्थायी सिंधु जल आयोग बना, जिसकी नियमित बैठकें होती हैं।

  • बाहर निकले तो क्या होगा?: भारत ने इस संधि को रोक दिया है। मतलब हुआ कि वह अब इस संधि के तहत बाध्य नहीं है। भारत चाहे तो सिंधु, झेलम और चेनाब का पानी रोक सकता है। इससे पाकिस्तान पर बुरा असर पड़ेगा, क्योंकि उसकी 90% खेती सिंचाई के लिए इसी पर निर्भर है।


3. ताशकंद समझौताः 1965 की जंग को खत्म करने के मकसद से 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में एक समझौता हुआ। इसमें तय हुआ कि दोनों देश 5 अगस्त 1965 की स्थिति बहाल करेंगे। साथ ही यह भी तय हुआ कि दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ सैन्य बल का इस्तेमाल करने की बजाय विवाद को बातचीत से हल करने की कोशिश करेंगे। इस समझौते पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने दस्तखत किए थे।

  • बाहर निकले तो क्या होगा?: अगर इस समझौते से बाहर निकला जाता है तो इससे LoC पर भयंकर तनाव बढ़ सकता है, क्योंकि इसके बाद 5 अगस्त 1965 से पहले की स्थिति बहाल करने की शर्त खत्म हो जाएगी।

यह भी पढ़ें-- 3887 करोड़ का ट्रेड, अटारी बॉर्डर बंद होने से कारोबार पर कितना असर?


4. शिमला समझौताः 1971 की जंग के बाद जुलाई 1972 में इस समझौते पर हस्ताक्षर हुआ। इसी में तय हुआ कि सीजफायर लाइन को नियंत्रण रेखा यानी LoC कहा जाएगा। साथ ही यह भी तय हुआ कि दोनों देश आपस में मिलकर विवाद सुलझाएंगे और किसी तीसरे की मध्यस्थता को मंजूर नहीं करेंगे। साथ ही दोनों ने एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करने और एकतरफा कार्रवाई न करने का वादा भी किया।

  • बाहर निकले तो क्या होगा?: पाकिस्तान ने शिमला समझौते को निलंबित कर दिया है। इससे LoC की वैधता पर भी सवाल उठ सकता है। इससे जम्मू-कश्मीर को लेकर दोनों के बीच तनाव और बढ़ सकता है, क्योंकि यह शांति से विवाद को हल करने का आधार था।


5. तीर्थ यात्रियों पर समझौताः 1974 में हुए इस समझौते का मकसद दोनों देशों के तीर्थयात्रियों को अपने-अपने देश में तीर्थस्थलों की यात्रा की सुविधा देना था। पाकिस्तान में 15 और भारत में ऐसे 5 तीर्थस्थल हैं। पाकिस्तान के सिंध में हयात पिताफी में शादानी दरबार, चकवाल में कटासराज धाम, ननकाना साहिब गुरुद्वारा और पंजा साहिब इनमें से एक हैं। भारत में अजमेर शरीफ, निजामुद्दीन दरगाह और अमीर खुसरो की कब्र काफी अहम है। समझौते के तहत दोनों देशों के तीर्थयात्रियों को वीजा मिलता है।

  • बाहर निकले तो क्या होगा?: भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ यह द्विपक्षीय समझौता तीर्थयात्रियों के लिए काफी अहम है। अगर इससे बाहर निकलते हैं तो दोनों ही देशों के तीर्थयात्रियों को फिर वीजा नहीं मिलेगा। हालांकि, पाकिस्तान का कहना है कि सिख तीर्थयात्रियों के आने-जाने पर कोई रोक-टोक नहीं है।


6. परमाणु संस्थानों को लेकर समझौताः 31 दिसंबर 1988 को यह समझौता हुआ था। हालांकि, यह 27 जनवरी 1991 से लागू हुआ। इसमें सहमति बनी कि दोनों देश एक-दूसरे के परमाणु ठिकानों पर कभी हमला नहीं करेगा। साथ ही तय हुआ कि हर साल 1 जनवरी को दोनों अपने-अपने परमाणु ठिकानों की जानकारी साझा करेंगे। साथ ही यह भी बताएंगे कि उनकी कैद में कितने आम नागरिक हैं और कितने मछुआरे हैं।

  • बाहर निकले तो क्या होगा?: अगर इससे बाहर निकला जाता है तो दोनों में से कोई भी देश एक-दूसरे के परमाणु ठिकानों पर हमला कर सकता है। इसके साथ ही यह भी पता नहीं चलेगा कि भारत और पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने कहां-कहां पर हैं।

यह भी पढ़ें-- पाकिस्तान को मिलने वाला पानी तुरंत रुकेगा? सिंधु जल संधि की पूरी कहानी


7. एयरस्पेस को लेकर समझौताः 6 अप्रैल 1991 को भारत-पाकिस्तान के बीच यह समझौता हुआ। इसमें सहमति बनी कि किसी का भी कोई सैन्य उनके एयरस्पेस के 10 किलोमीटर के दायरे में उड़ान नहीं भरेगा। साथ ही यह भी तय हुआ कि दोनों देशों का कोई भी विमा बिना अनुमति के उनके एयरस्पेस में दाखिल नहीं होगा। 

  • बाहर निकले तो क्या होगा?: कोई भी टकराव या संघर्ष को रोकने के लिए यह समझौता किया गया था, ताकि दोनों में से किसी का भी कोई सैन्य विमान एयरस्पेस का उल्लंघन न करे। अब पाकिस्तान ने अपना एयरस्पेस भारतीय विमानों के लिए बंद कर दिया है। इसका मतलब हुआ कि अब भारतीय विमानों को अब अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए दूसरा रास्ता तलाशना होगा।


8. लाहौर डिक्लेरेशनः फरवरी 1999 में भारत के तत्कालीन सीएम अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के बीच इस समझौते पर दस्तखत हुए थे। इसमें तय हुआ कि शांति और सुरक्षा का माहौल ही दोनों के हित में है और जम्मू-कश्मीर समेत विवादों का हल बातचीत से ही हो सकता है। साथ ही यह भी तय हुआ कि कोई भी देश बिना बताए बैलेस्टिक मिसाइल का टेस्ट नहीं करेगा। करगिल जंग में यह समझौता रुक गया था। हालांकि, 2004 के बाद यह फिर से लागू हो गया।

  • बाहर निकले तो क्या होगा?: बाहर निकलने का मतलब होगा कि दोनों देश शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा, बाहर निकले तो फिर बैलेस्टिक मिसाइल का टेस्ट करने से पहले किसी को बताने की जरूरत भी नहीं होगी।


9. मिसाइल टेस्ट पर समझौताः 2005 में यह समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ कि दोनों देश कोई भी बैलेस्टिक मिसाइल की टेस्टिंग से कम से कम 3 दिन पहले इसकी सूचना देंगे। साथ ही यह भी तय हुआ कि टेस्टिंग साइट अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर या LoC से 40 किलोमीटर दूर होगी। मिसाइल टेस्टिंग का प्रभाव बॉर्डर से 75 किलोमीटर दूर होगा। 

  • बाहर निकले तो क्या होगा?: इसका मतलब होगा कि दोनों देश अब बॉर्डर पर भी मिसाइल टेस्ट कर सकेंगे और वह भी बिना जानकारी दिए। पिछले साल भारत ने जब एक मिसाइल का टेस्ट किया था तो पाकिस्तान ने इस समझौते का पालन न करने का आरोप लगाया था।

यह भी पढ़ें-- पर्यटकों की खातिर आतंकियों से भिड़ने वाले सैयद आदिल हुसैन शाह कौन थे?


10. परमाणु हथियारों को लेकर समझौताः 21 फरवरी 2007 में दोनों के बीच समझौता हुआ, जिसमें तय हुआ कि अगर किसी भी देश में परमाणु हथियारों से जुड़ी कोई दुर्घटना होती है तो उसकी जानकारी देंगे। साथ ही उसकी रेडिएशन को कम करने के सभी उपाय करेंगे। इसमें यह भी तय हुआ कि ऐसी दुर्घटना के लिए कोई देश एक-दूसरे पर आरोप नहीं लगाएगा। शुरुआत यह में समझौता 5 साल के लिए हुआ था। इसके बाद इसे हर 5 साल में बढ़ाया जाता है।

  • बाहर निकले तो क्या होगा?: दोनों देशों के बीच हुए समझौते में यह काफी अहम है, क्योंकि यह परमाणु हथियारों से जुड़ा है। इससे बाहर निकलने का मतलब होगा कि परमाणु हथियारों से जुड़ी दुर्घटना के लिए किसी की कोई जवाबदेही नहीं होगी।


11. सीजफायर एग्रीमेंटः नवंबर 2003 में यह समझौता हुआ था। इसमें दोनों देश LoC और बॉर्डर बाउंड्री पर सीजफायर के लिए सहमत हुए। यह समझौता कुछ सालों तक चला लेकिन बाद में इसका उल्लंघन होता रहा। 2019 के पुलवामा अटैक के बाद जब LoC पर सीजफायर उल्लंघन बढ़ गया तो 2021 में फिर एक समझौता हुआ, जिसमें तय हुआ कि दोनों देश 2003 के समझौते का पालन करेंगे।

  • बाहर निकले तो क्या होगा?: वैसे तो पाकिस्तान इस समझौते का ठीक तरह से पालन करता नहीं है लेकिन बाहर निकलने का मतलब होगा कि उसे फिर खुली छूट मिल जाएगी। 

यह भी पढ़ें-- 'जाओ मोदी को बता दो', पहलगाम में आतंकियों ने कैसे मचाया कत्लेआम?

भारत और पाकिस्तान के रिश्ते

बंटवारे के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण भरे रहे हैं। आजादी मिलने के बाद ही 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान से हजारों कबायलिये कश्मीर में घुस आए थे। तब तक जम्मू-कश्मीर आजाद ही था। कश्मीर में घुसे इन कबायलियों को पाकिस्तान सेना का साथ था। 27 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए और अगले दिन भारतीय सेना कश्मीर में उतर गई। भारतीय सेना ने कबायलियों को खदेड़ना शुरू कर दिया लेकिन जनवरी 1948 में मामला संयुक्त राष्ट्र में चला गया।


इसके बाद 1965 में एक बार फिर पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया। भारत ने फिर पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया। 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में जारी संघर्ष के बीच पाकिस्तानी सेना ने भारत पर हवाई हमला कर दिया। सिर्फ 13 दिन में ही न सिर्फ पाकिस्तानी सेना घुटनों पर आ गई, बल्कि भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े भी कर दिए और बांग्लादेश बना दिया।


1971 की जंग के बाद 1999 में पाकिस्तानी सेना ने करगिल में हमला किया। भारतीय सेना ने महीनेभर के अंदर ही पाकिस्तानी सेना को वहां से खदेड़ दिया और करगिल में तिरंगा लहराया। 


करगिल के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कोई जंग तो नहीं हुई है लेकिन रिश्तों में तल्खी बनी रही है। 2016 में पाकिस्तानी आतंकियों ने उरी में आर्मी कैंप पर हमला किया था। इसके बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक कर दी थी। फरवरी 2019 में पाकिस्तानी आतंकियों ने पुलवामा में CRPF के काफिल पर अटैक किया, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। जवाब देते हुए भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर दी। 


अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी। पाकिस्तान ने इसे संयुक्त राष्ट्र में भी उठाया। हालांकि, भारत ने साफ कर दिया कि यह उसका अंदरूनी मामला है। पुलवामा अटैक के बाद से भारत और पाकिस्तान के रिश्ते ठंडे पड़े हुए हैं। अब पहलगाम अटैक ने इन रिश्तों को और खराब कर दिया है।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap