जंग हुई तो कहां जाएंगे लोग? समझें- भारत में कितना मजबूत है बंकर सिस्टम
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• NEW DELHI 08 May 2025, (अपडेटेड 09 May 2025, 6:19 AM IST)
पाकिस्तान से तनाव बढ़ता जा रहा है। 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और LoC पर लगातार फायरिंग और गोलाबारी कर रहा है। इससे LoC से सटे लोगों की जान का खतरा बढ़ गया है। लोग बंकरों में छिपकर रह रहे हैं।

पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी में टूटे घर के सामने रोती महिला। (Photo Credit: PTI)
भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' से पाकिस्तान बौखला गया है। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम अटैक के बाद से ही पाकिस्तान की सेना LoC पर लगातार फायरिंग कर रही थी। मगर 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद अब दो दिन से पाकिस्तानी सेना LoC पर न सिर्फ फायरिंग कर रही है, बल्कि मोर्टार भी दाग रही है। अब गुरुवार रात से पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन और मिसाइलों से भी हमला करने की कोशिश की जा रही है, जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया। इससे LoC से सटे गांवों में जबरदस्त नुकसान पहुंचा है। दर्जनों घर या तो जल गए हैं या टूट गए हैं। कई रिहायशी इमारतों को भी नुकसान हुआ है।
पाकिस्तान की सेना की तरफ से की जारी गोलीबारी में अब तक 16 मासूम भारतीयों की मौत हो गई है। सबसे ज्यादा नुकसान पुंछ में हुआ है। मारे गए सभी लोग पुंछ के ही रहने वाले थे। पाकिस्तान की फायरिंग में 59 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 44 पुंछ में हैं।
भारतीय सेना ने बताया कि पाकिस्तानी सेना जम्मू-कश्मीर के पुंछ, राजौरी, कुपावाड़ा और बारामूला में फायरिंग कर रही है। पाकिस्तान की इस हरकत का मजबूती से जवाब दिया जा रहा है। भारतीय सेना ने पाकिस्तान की कई चौकियों को भी उड़ा दिया है।
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लोग बोले- हमारी मदद करो
पाकिस्तान की तरफ से हो रही गोलीबारी ने LoC से सटे गांवों में रहे लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। पाकिस्तान की गोलाबारी में मोहम्मद नवाज मुगल के घर को काफी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI से कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ बेहतरीन कार्रवाई की है लेकिन हमारी सरकार से अपील है कि हमारी मदद करें।'
स्थानीय लोगों ने सरकार से बंकर में ले जाने की अपील की है। एक स्थानीय ने कहा कि सरकार को हमें बंकर की सुविधा देनी चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान की तरफ से भारी गोलाबारी की जा रही है। उन्होंने कहा, 'हमारा इलाका बॉर्डर से सटा हुआ है, फिर भी हमें बंकर नहीं दिया गया। हमारी अपील है कि सरकार हमें बंकर दे।'
पाकिस्तान की गोलाबारी में 3 महिलाओं और 5 बच्चों की मौत भी हुई है। 10 साल के मोहम्मद जैन खान और उनकी 12 साल की बहन जोया खान की भी मौत हो गई है। 7 साल की मरियम खातून और 13 साल के विहान भार्गव भी पाकिस्तानी गोलाबारी में मारे गए हैं।
LoC से सटे गांवों में रहने वाले बहुत से परिवार अपना घर छोड़कर या तो बंकरों में चले गए हैं या किसी सुरक्षित जगह जा रहे हैं।
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क्या बंकरों की सुविधा नहीं है?
LoC के पास बहुत से ऐसे गांव हैं, जहां से पाकिस्तानी सेना की चौकियां 500 मीटर की दूरी पर हैं। पाकिस्तानी पोस्ट से महज 500 मीटर दूर बने चंदू चाक गांव में 2014, 2018 और 2020 में पाकिस्तान की सेना ने जमकर गोलाबारी की थी। अब फिर से यहां हालात खराब होने लगे हैं।
चंदू चाक गांव के रहने वाले सुचेत सिंह ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा, 'ज्यादातर बंकर खराब हो गए हैं। इनमें बिजली नहीं है, पानी नहीं है, टॉयलेट नहीं है और यहां तक कि छत भी नहीं है।' सुचेत सिंह ने दावा किया कि 'दो साल पहले इन बंकरों के काम को अधूरा छोड़ दिया गया था। हमें नहीं पता कि काम क्यों रोक दिया था।'
मोदी सरकार में बॉर्डर से सटे कई गांवों में बंकर बनवाए गए थे लेकिन रखरखाव और देखरेख नहीं होने के कारण ज्यादातर की हालत खराब हो गई है। परमजीत कौर ने कहा, 'पहले यह बंकर जान बचाने में काम आते थे लेकिन अब इनकी हालत देखकर लगता है कि यहां जान बच पाना मुश्किल है।' उन्होंने कहा, 'अगर गोलाबारी शुरू हो गई तो हम अपने बच्चों और जानवरों को लेकर कहां जाएंगे? हम गरीब लोग हैं। हम अपील करते हैं कि सरकार जल्द से जल्द इन बंकरों को पूरा तैयार करे।'
छठी कक्षा में पढ़ने वाले मंजूत चौधरी ने कहा, 'मोदी जी को जल्द हमारे बंकर की छत ठीक करवा देनी चाहिए। मैं पहले गोलाबारी देख चुका है। वह बहुत डरावना था।'
स्थानीयों का कहना है कि रात में सो नहीं पा रहे हैं और हर आवाज से डर लगता है। जसपाल ने कहा, 'हम अपनों को पहले खो चुके हैं। यह डर अब भी बना हुआ है। खेती-बाड़ी भी बाधित हुई है। हमारे खेत खाली पड़े हैं। गोलाबारी के डर से कोई बाहर निकलने की हिम्मत नहीं कर पाता।'
इसी तरह की स्थिति जोराफार्म, महाशे-दी-कोठे, बुल्ला चाक, मंगू चाक, अब्दुल्लियां, कोरोतान कलां, पिंडी, कोटली शाह दौला, पिंडी चराकान, साई और त्रेवा गांवों में भी बनी है। यहां के लोगों ने भी बंकरों की हालत पर चिंता जताई है।
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जम्मू-कश्मीर में कितने बंकर हैं?
गृह मंत्रालय ने मार्च 2018 में संसद में बताया था कि सरकार ने LoC से सटे जम्मू के 5 जिलों में 14,460 बंकरों को बनाने की मंजूरी दी थी। इसके लिए 415 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे। इनमें से 1,431 पब्लिक बंकर थे, जबकि 13,029 बंकर इंडीविजुअल यानी किसी परिवार या व्यक्तियों के लिए मंजूर हुए थे। बाद में सरकार ने 4 हजार और बंकरों को मंजूरी दी थी। यह बंकर सांबा, जम्मू, कठुआ, पुंछ और राजौरी में बनाए जाने हैं।
न्यूज एजेंसी PTI ने अधिकारियों के हवाले से बताया है कि अब तक 7,923 बंकर बनकर तैयार हो गए हैं। इनमें से 6,964 इंडीविजुअल और 959 पब्लिक बंकर बंकर हैं। अभी 9,905 बंकरों पर भी काम चल रहा है। इन बंकरों में 8 से 40 लोग रह सकते हैं।
बताया जा रहा है कि अब तक सांबा में 1,592, जम्मू में 1,228, कठुआ में 1,521, राजौरी में 2,656 और पुंछ में 926 बंकर तैयार हो चुके हैं।
इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर में कई जगहों पर सुरक्षाबलों के लिए भी बंकर बने हैं। हालांकि, सुरक्षा कारणों से उनकी जानकारी सार्वजनिक नहीं है।
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कितने सुरक्षित होते हैं यह बंकर?
बंकर को तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि इन्हें किसके लिए बनाया जा रहा है। अगर आम लोगों के लिए हैं तो यह बंकर गोलीबारी और गोलाबारी झेल सकते हैं। अगर इन्हें सेना के लिए बनाया जा रहा है तो यह और ज्यादा मजबूत होते हैं। यह बड़े हमले तक झेल सकते हैं। अब जमीन के कई फीट नीचे तक भी बंकर बनाए जाते हैं, ताकि परमाणु हमले से भी बचा जा सके।
कुछ बंकर जमीन के ऊपर भी बनाए जाते हैं जो गोलीबारी और गोलाबारी झेलने में सक्षम होते हैं। जम्मू में ज्यादातर इसी तरह के बंकर हैं। जमीन के नीचे बनने वाले बंकर को अंडरग्राउंड बंकर कहा जाता है। वर्टिकल बंकर भी होते हैं, जिन्हें ऐसी जगहों पर बनाया जाता है जहां की जमीन दलदली होती है। वर्टिकल बंकर जमीन से कई फीट ऊपर बनते हैं। इसके लिए खंभों को इस्तेमाल होता है, जिन्हें जमीन में काफी अंदर तक गाड़ा जाता है। गुजरात के सिर क्रीक और हरामी नाला में BSF के लिए 8 बंकर बनाए जा रहे हैं। यह अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास है।
बंकरों में 2-3 मीटर मोटी कंक्रीट की दीवारें होती हैं। इनमें वेंटिलेशन की सुविधा होने के साथ-साथ खाने-पीने और बिजली की व्यवस्था भी होती है। बंकरों में आमतौर पर कई महीनों का राशन रखा जाता है।
अब प्राइवेट बिल्डर्स भी बंकर बना रहे हैं। दिल्ली में कीर्ति नगर में लीला स्काई विला प्रोजेक्ट बन रहा है। 40 मंजिला इस इमारत में परमाणु हमले से निपटने वाले बंकर बनाए जा रहे हैं। यहां फ्लैट की कीमत 6 करोड़ से लेकर 35 करोड़ तक है।
दिल्ली की ही एक और प्राइवेट कंपनी शूलिन सिस्टम भी बंकर बनाती है। कंपनी का दावा है कि यह बंकर परमाणु हमला झेलने के साथ-साथ केमिकल अटैक और बायोलॉजिकल अटैक में भी काम आते हैं। यह कंपनी 4 डिजाइन के बंकर बनाते हैं। सबसे छोटा बंकर 14X12 फीट का है, जिसमें दो वयस्क और एक बच्चा रह सकता है। इसमें 100 दिन तक रहने की सारी सुविधा का इंतजाम है। इससे बड़े बंकर 39X14 फीट के हैं, जिसमें 4 वयस्क और 2 बच्चे रह सकते हैं। इसमें 200 दिन तक रहने का इंतजाम है। इसके बाद जो बंकर हैं, उनका साइज 56X16 फीट है। इसमें 6 वयस्क और 2 बच्चे रह सकते हैं। यहां 300 दिन तक रहने का इंतजाम है। सबसे बड़े बंकर में 15 लोग रह सकते हैं। इसमें 6 कमरे हैं। हालांकि, कंपनी की वेबसाइट पर इन बंकरों की कीमत की जानकारी नहीं है।
खैर, वापस लौटते हैं जम्मू-कश्मीर में। यहां अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 5 किलोमीटर दूर अरनिया शहर में लोगों ने खुद से बंकर तैयार किए हैं। 2018 और 2020 में जब पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी तेज हो गई थी तो लोग यहां से चले गए थे। अरनिया के रहने वाले सुनील चौधरी ने PTI को बताया, 'हमारे यहां 50 इंडीविजुअल और 7 कम्युनिटी बंकर हैं। बिजली की व्यवस्था कर दी है और राशन भी भर दिया है।'
पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ने के साथ-साथ सीमा से सटे गांवों में रहने वाले लोग सुरक्षा के साथ-साथ सख्त ऐक्शन की मांग भी कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि भारत को पाकिस्तान को ऐसा जवाब देना चाहिए, जिससे वह दोबारा ऐसी हरकत न करे।
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