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कभी हंगामा, कभी नारेबाजी; संसद के मॉनसून सत्र में कितना काम हुआ?

संसद का मॉनसून सत्र 18वीं लोकसभा का सबसे कम प्रोडक्टिव सेशन रहा है। इस दौरान लोकसभा में 31% और राज्यसभा में 39% ही काम हो पाया है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: PTI)

संसद का मॉनसून सत्र खत्म हो गया है। यह सत्र काफी हंगामेदार रहा। बिहार में हुए वोटर रिविजर यानी SIR और भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर विपक्ष ने खूब हंगामा किया। सत्र के आखिरी दो दिन में गंभीर मामलों में गिरफ्तार प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री को पद से हटाने वाले बिल पर जबरदस्त हंगामा हुआ। विपक्ष ने इसे संघीय ढांचे पर हमला बताया।

 

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने मॉनसून सेशन को देश और सरकार के 'सफल और उपयोगी' बताया। वहीं विपक्ष के लिए इसे 'नुकसानदेह' बताया। संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चला।

 

रिजिजू ने कहा कि सरकार ने अपना सारा काम निपटाया और इस सेशन का सक्सेस रेट 100% रहा। उन्होंने कहा कि सरकार को हंगामे के बीच बिल पास करने पड़े, क्योंकि विपक्ष चर्चा के लिए तैयार ही नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि विपक्ष अपने विरोध प्रदर्शनों के जरिए सरकार को काम करने से नहीं रोक सकता।

 

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने विपक्ष के हंगामे को 'असंसदीय व्यवहार' बताया। उन्होंने कहा कि सत्र की शुरुआत में सभी दलों ने तय किया था कि 120 घंटे चर्चा होगी लेकिन लगातार हंगामे के कारण मुश्किल से 37 घंटे ही काम कर पाए। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि शायद ही ऐसा कोई दिन बीता हो जब विपक्ष ने बाधा न डाली हो, नारेबाजी न की हो और प्लेकार्ड्स न दिखाए हों।

 

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तो कितना काम हो पाया संसद में?

लोकसभा में क्या हुआ?

संसदीय कार्य मंत्रालय ने बताया कि लोकसभा में इस बार 14 बिल पेश किए गए, जिनमें से 12 बिल पास हुए। इनमें खेल संगठनों से जुड़ा 'नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल 2025' और पैसे वाले ऑनलाइन गेम पर रोक लगाने वाला 'द प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग 2025' भी शामिल है।

 

पहलगाम अटैक के बाद हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' पर भी चर्चा हुई। इस पर लोकसभा में 18 घंटे 41 मिनट चर्चा हुई। इस चर्चा में 73 सांसदों ने हिस्सा लिया। इसका जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया था।

 

21 जुलाई से शुरू हुए सत्र में 21 दिन लोकसभा की कार्यवाही हुई। सेशन में 120 घंटे चर्चा होनी थी लेकिन 37 घंटे 7 मिनट ही चर्चा हो सकी। इसका मतलब हुआ कि 82 घंटे 53 मिनट कुछ काम नहीं हुआ।

राज्यसभा में क्या हुआ?

राज्यसभा में 120 घंटे चर्चा होनी थी लेकिन यहां भी 41 घंटे 15 मिनट ही चर्चा हो सकी। यानी कि 78 घंटे और 45 मिनट ऐसे ही बर्बाद हो गए। राज्यसभा में 15 बिल पास हुए। 

 

'ऑपरेशन सिंदूर' पर राज्यसभा में 29 और 30 जुलाई को चर्चा हुई थी। इस पर राज्यसभा में 16 घंटे और 25 मिनट चर्चा हुई। इस दौरान 65 सांसदों ने हिस्सा लिया। इसका जवाब गृह मंत्री अमित शाह ने दिया था।

 

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18वीं लोकसभा का सबसे कम प्रोडक्टिव सेशन

संसदीय कार्य मंत्रालय के मुताबिक, लोकसभा में 31% और राज्यसभा में 39% ही काम हो सका। बजट सत्र की तुलना में मॉनसून सत्र में आधे से भी कम हो पाया। बजट सत्र के दौरान लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 118% और राज्यसभा की 119% रही थी।

 

मॉनसून सत्र 18वीं लोकसभा का सबसे कम प्रोडक्टिव सेशन रहा है। 18वीं लोकसभा का पहला सत्र पिछले साल जून में हुआ था। अब तक 5 सत्र हो चुके हैं।

 

पिछले साल हुए जून-जुलाई में जब पहला सेशन हुआ था, तब लोकसभा में 95% और राज्यसभा में 101% काम हुआ था। उसके बाद हुए बजट सत्र में लोकसभा में 135% और राज्यसभा में 112% काम हुआ था। शीतकालीन सत्र में भी लोकसभा में 52% और राज्यसभा में 39% काम हुआ था।

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