राजधानी दिल्ली ही नहीं बल्कि भारत के कई शहरों की आबोहवा खराब होती जा रही है। साल में कई बार तो 'गैस चैंबर' जैसे हालात भी बन जाते हैं। मगर इस बीच संसदीय समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदूषण को काबू करने के लिए जितना पैसा दिया गया था, उसमें से नाममात्र का खर्चा भी नहीं हुआ है।
पर्यावरण मंत्रालय पर बनी संसदीय समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024-25 में प्रदूषण को काबू करने के लिए 858 करोड़ रुपये का फंड दिया गया था लेकिन इसमें से 1% से भी कम खर्च हुआ। इस पर मंत्रालय ने हैरानी जताई है और जांच के आदेश दे दिए हैं कि इतना फंड जारी होने के बाद भी इसका इस्तेमाल क्यों नहीं हुआ।
संसद में पेश रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024-25 में 858 करोड़ रुपये का फंड मिला था लेकिन उसमें से सिर्फ 7.22 करोड़ ही खर्च हुए। अधिकारियों का कहना है कि योजनाओं को मंजूरी नहीं मिल पाने के कारण फंड खर्च नहीं हो सका। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इससे पहले के पिछले दो साल में जारी पूरा बजट खर्च हो गया था।
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योजनाओं को मंजूरी का इंतजार
वायु प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए केंद्र सरकार ने नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) शुरू किया है। इसके तहत 2026 तक 131 शहरों में PM10 को कम करना है। इसके लिए NCAP को फंड दिया जाता है। संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2019-20 से 2025-26 के बीच केंद्रीय योजनाओं के लिए 3,072 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'यह जानकारी हैरानी हुई कि प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए 858 करोड़ रुपये के बजट का इस्तेमाल इसलिए नहीं हो पाया, क्योंकि योजनाओं को 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी नहीं मिली है।'
इसमें कहा गया है, 'ऐसे वक्त जब एयर क्वालिटी में सुधार लाने की गंभीर और महत्वपूर्ण चुनौती से निपटने की जरूरत है, तब मंत्रालय योजनाओं को जारी रखने का फैसला नहीं ले पाया है। इसके कारण योजनाओं के लिए आवंटित बजट का 1% भी इस्तेमाल नहीं हो पाया है।'
समिति ने सिफारिश की है कि इसलिए मंत्रालय को 'आत्मनिरीक्षण' करने और बजट के कम इस्तेमाल पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।
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पर्यावरण मंत्रालय भी नहीं कर रहा खर्च
संसदीय समिति ने पर्यावरण मंत्रालय के सालाना खर्च का ब्योरा भी दिया है। इसमें बताया है कि 2024-25 में पर्यावरण मंत्रालय को 3,126.96 करोड़ रुपये का बजट मिला था, जिसमें से 31 जनवरी तक सिर्फ 54 फीसदी यानी 1,712.48 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए।
हालांकि, मंत्रालय के सचिव ने समिति को बताया है कि जारी बजट में से 69 फीसदी का इस्तेमाल किया गया है। इस पर समिति ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि 2024-25 में फंड का इस्तेमाल नहीं हुआ और खासकर तब जब मौजूदा वित्त वर्ष को खत्म होने में 40 दिन ही बचे हैं।
दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है दिल्ली
पर्यावरण मंत्रालय की संसदीय समिति की रिपोर्ट ऐसे वक्त आई है, जब भारत प्रदूषण की मार से जूझ रहा है। दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर भारत में ही हैं। हाल ही में आई वर्ल्ड एयर क्वालिटी की 2024 की रिपोर्ट में बताया गया था कि दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है। इसमें यह भी कहा गया था कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में हैं।