पहलगाम अटैक को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव है। बात जंग तक आ पहुंची है। इस बीच संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पहलगाम अटैक के बाद से कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म देश हित के खिलाफ काम कर रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को आतंकियों ने हमला कर 26 लोगों की हत्या कर दी थी। संसदीय समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि 22 अप्रैल के बाद से ही कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स राष्ट्रीय हित के खिलाफ काम कर रहे हैं, जिससे हिंसा भड़क सकती है। कम्युनिकेशन और इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी पर बनी संसदीय समिति ने यह रिपोर्ट दी है। इस समिति के प्रमुख बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे हैं।
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बैन लगाने की मांग
न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, संसदीय समिति ने इसे लेकर सूचना प्रसारण और आईटी मंत्रालय को पत्र लिखा है और राष्ट्रविरोधी काम करने वाले इन्फ्लुएंसर्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आईटी एक्ट और 2021 के आईटी रूल्स के तहत बैन लगाने की मांग की है। सूत्रों ने बताया है कि इस पर 8 मई तक दोनों मंत्रालयों से जानकारी मांगी गई है।
हालांकि, इस बीच इस पर थोड़ा विवाद भी हुआ। संसदीय समिति के सदस्य और टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने X पर पोस्ट कर दावा किया था कि उन्हें समिति की तरफ से कोई पत्र नहीं मिला है और समिति के अध्यक्ष सदस्यों की मंजूरी के बिना कोई बयान जारी नहीं कर सकते। हालांकि, बाद में गोखले ने इस पोस्ट को डिलीट कर दिया।
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22 अप्रैल को हुआ था अटैक
पहलगाम से 6 किलोमीटर दूर बैसरन घाटी में आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें से ज्यादातर पर्यटक थे। चश्मदीदों का दावा है कि आतंकियों ने उनका धर्म पूछकर गोली मारी थी।
इस हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फोर्स (TRF) ने ली थी। यह पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है। अब तक की जांच में भी सामने आया है कि इस हमले में 5-7 आतंकी थे, जिनमें से 3 पाकिस्तानी थे।