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नेहरू-एडविना की चिट्ठियों पर संसद में क्यों बरपा हंगामा?

इतिहासकार रिजवान कादरी ने सोनिया गांधी से अपील की है कि वे जवाहर लाल नेहरू के निजी खत को प्रधानमंत्री संग्रहालय को वापस सौंप दें। उनका कहना है कि अब ये पत्र देश की निधि हैं, उन्हें वापस कर देना चाहिए।

Jawahar Lal Nehru

जवाहर लाल नेहरू, लेडी माउंटबेटेन और इंदिरा गांधी। (तस्वीर-PTI)

लोकसभा में नेहरू-एडविना पर एक बार फिर हंगामा बरप गया है। भारतीय जनता पार्टी पार्टी (BJP) के सांसद संबित पात्रा ने नेहरू-एडविना से जुड़ा एक सवाल संस्कृति मंत्रालय से किया, जिसके बाद सदन में हंगामा होने लगा। संबित पात्रा से पहले देश के प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक रिजवान कादरी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की चिट्ठियां मांगी थीं।

संबित पात्रा ने संसद में लोकसभा में कहा, 'हमें आज सालाना बैठक में पता चला कि 2008 में सोनिया गांधी प्रधानमंत्री संग्रहालय से जवाहर लाल नेहरू द्वारा लिखे गए 51 कार्टन पत्रों को ले गईं। इन पत्रों में एडविना माउंटबेटन, जेपी नारायण को लिखे गए पत्र शामिल थे। इतिहासकार रिजवान कादरी ने राहुल गांधी को स्पष्ट रूप से लिखा है कि उनकी मां ने उन पत्रों को ले लिया था जो सार्वजनिक संपत्ति थे। उन्हें वापस किया जाना चाहिए। मुझे नहीं पता कि चिट्ठी में क्या था जिसे छिपाने की कोशिश हो रही है।' उनके इस बयान के बाद कांग्रेस सांसदों ने विरोध दर्ज कराया। 

रिजवान कादरी का क्या कहना है?

रिजवान कादरी, प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) सोसाइटी के सदस्य भी हैं। उन्होंने कहा है कि वे प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निजी कागजात लौटा दें या उनकी प्रतियां उपलब्ध करा दें, या उनका डिजिटल एक्सेस दें। रिजवान कादरी ने कहा है कि जवाहर लाल नेहरू के दस्तावेजों वाले 51 बॉक्स लौटा दें। सोनिया गांधी के कार्यालय ने PMML से नेहरू के दस्तावेजों वाले 51 बॉक्स वापस लिए थे। वे नेहरू परिवार की जमाकर्ता थीं, इसलिए यह उनका अधिकार था। पहले प्रधानमंत्री संग्रहालय को नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) के नाम से जाना जाता था। 

'2008 में 51 डिब्बे सोनिया ने वापस लिए'
रिजवान कादरी ने कहा, 'मैंने सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा है। उनसे नेहरू के निजी पत्रों को वापस करने के लिए कहा है। उनके कार्यालय ने इसे वापस लिया था। वह नेहरू परिवार की प्रतिनिधि और दानकर्ता थीं। साल 2008 में वहां से 51 बक्से वापस ले लिए गए थे। वापस लिए गए संग्रह में जयप्रकाश नारायण, बाबू जगजीवन राम, एडविना माउंटबेटन के खत और कई अन्य संग्रह शामिल थे।'

'क्या चिट्ठी में कुछ आपत्तिजनक था?'
रिजवान कादरी ने कहा, 'अगर चिट्ठी में कुछ आपत्तिजनक था? अगर नहीं तो कागजात वापस लेना का मकसद क्या था? एक बार दान किए गए संग्रह को वापस नहीं लिया जा सकता है, लेकिन इसे वापस ले लिया गया है। नेहरू और एडविना माउंटबेटन के बीच लिखी गई चिट्ठियों को वापस लेने का मकसद क्या था? इसे मूल दाता ने संस्थान को दान किया था। क्या इसमें कोई आपत्तिजनक बात थी? इस संग्रह को वापस लेने का क्या मकसद था।

'फोटोकॉपी ही उपलब्ध कराए गांधी परिवार'
इतिहासकार और लेखक ने कहा कि उन्होंने हमारे देश के इतिहास की व्यापक समझ सुनिश्चित करने के लिए इन दस्तावेजों की मांग की है। रिजवान कादरी ने कहा, 'सोनिया गांधी को लिखे पत्र में मैंने उनसे इसे प्रधानमंत्री संग्रहालय को वापस करने या इसकी प्रति देने के लिए कहा है। मुझे विश्वास है कि इन अमूल्य दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए यह सद्भावनापूर्वक किया गया है। मेरे जैसे इतिहासकारों को इनका पता लगाने में गहरी दिलचस्पी है।'

क्यों बार-बार नेहरू एडविना के रिश्तों पर सवाल उठते थे?
एडविना माउंटबेटन और जवाहर लाल नेहरू के बीच अच्छी दोस्ती थी। एडविना और नेहरू की कई तस्वीरें अखबारों में खूब छपीं। नेहरू का असर माउंटबेटेन परिवार पर नजर आता है। माउंटबेटेन दंपति भी नेहरू को पसंद करता था। दोनों के बीच अच्छी दोस्ती थी, दोनों एक-दूसरे को खूब चिट्ठियां लिखते थे। दोनों सार्वजनिक मंचों पर कई बार साथ नजर आते थे और दुनिया से बेपरवाह भी दिखते थे। कई इतिहासकारों ने अपनी किताबों में लिखा है कि नेहरू के आकर्षक व्यक्तित्व से वह प्रभावित थीं। लार्ड माउंट को नेहरू के साथ उनकी दोस्ती पर ऐतराज नहीं था। 

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