मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे लेकर गुरुवार को लोकसभा में प्रस्ताव पेश किया था, जिसे मंजूरी मिल गई है। अब इसे शुक्रवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का यह कदम ऐसे वक्त उठाया गया है, जब मणिपुर के मैतेई और नगा विधायक राज्य में नई सरकार गठन की लंबे समय से मांग कर रहे हैं।
मणिपुर में इस साल मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। संविधान के मुताबिक, किसी भी राज्य में एक बार में सिर्फ 6 महीने के लिए ही राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। इसकी अवधि 12 अगस्त को खत्म हो रही थी।
13 अगस्त से लागू होगा
अमित शाह ने गुरुवार को लोकसभा में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने को लेकर प्रस्ताव पेश किया था, जिसे आज राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का यह विस्तार 13 अगस्त 2025 से लागू होगा। यह 12 फरवरी 2026 तक लागू रहेगा। अगर इसके बाद राष्ट्रपति शासन को बढ़ाना है तो संसद में फिर से प्रस्ताव पास कराना होगा।
यह भी पढ़ें-- 2041 तक असम में 50:50 होंगे हिंदू-मुस्लिम? हिमंता के दावे में कितना दम
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन क्यों?
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने फरवरी में इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया था। दावा किया गया कि उनके बाद किसी ने भी सरकार बनाने का दावा नहीं किया था।
हालांकि, अप्रैल से एनडीए के ही विधायक राष्ट्रपति शासन का विरोध कर रहे हैं और राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने का हवाला देते हुए 'पॉपुलर गवर्नमेंट' बनाने की मांग कर रहे हैं। मांग करने वाले विधायकों में बीरेन सिंह के करीबी भी शामिल हैं।
3 मई 2023 से हिंसा में जल रहा है मणिपुर
मणिपुर 3 मई 2023 से हिंसा की आग में जल रहा है। चुराचांदपुर में मैतेई समुदाय की आरक्षण की मांग के खिलाफ कुकी समुदाय ने एक रैली निकाली थी। इसी रैली में हिंसा भड़क गई थी और तब से मणिपुर में जातीय हिंसा जारी है।
मई 2023 से अब तक इस हिंसा में 260 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, जबकि हजारों की संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद इस साल 13 फरवरी को यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।