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'J&K को पूर्ण राज्य का दर्जा दो', राहुल-खड़गे ने PM को लिखी चिट्ठी

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को लिखी एक चिट्ठी में मांग की है कि जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए।

rahul gandhi and kharge

मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी, Photo Credit: PTI

जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा लगभग 6 साल पहले खत्म कर दिया गया था। साथ में जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग किया गया था और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखकर मांग की है कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाए। रोचक बात है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। कांग्रेस के इन वरिष्ठ नेताओं ने मांग की है कि संसद के आगामी सत्र में एक प्रस्ताव लाकर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए।

 

इसी चिट्ठी में एक मांग लद्दाख को लेकर भी की गई है। राहुल और खड़गे ने मांग की है कि सरकार एक कानून लाकर केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करे। यहां यह जान लेना जरूरी है कि भारतीय संविधान की छटी अनुसूची के तहत कुछ राज्यों को कई विशेष अधिकार मिलते हैं। उदाहरण के लिए- असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में आदिवासी मामलों के प्रशासन के कुछ अलग प्रावधान इसी अनुसूची के तहत आते हैं। इन अधिकारों के तहत इन राज्यों की सरकारें ऑटोनॉमस जिले बना या खत्म कर सकती है, उनकी सीमाएं बदल सकती है या सीमाएं निर्धारित कर सकती है।

 

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चिट्ठी में क्या लिखा है?

 

इस चिट्ठी में दोनों नेताओं ने लिखा है, 'पिछले 5 साल से जम्मू-कश्मीर के लोग लगातार मांग कर रहे हैं कि पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाए। यह मांग पूरी तरह से सही है और उनके संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों पर आधारित है। यह ध्यान देना है कि पूर्व में कई केंद्र शासित प्रदेशों को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया भी गया है लेकिन जम्मू-कश्मीर के मामले में ऐसा पहली बार हुआ कि एक पूर्ण राज्य को बांट दिया गया और उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया।'

 

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राहुल और खड़गे ने लिखा है, 'आपने खुद ही कई बार कहा है कि सरकार पूर्ण राज्य का दर्जा लौटाने के लिए प्रतिबद्ध है। 19 मई 2024 को भुवनेश्वर में दिए एक इंटरव्यू में आपने कहा था- पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना एक ऐसा वादा है, जिसके साथ हम आज भी खड़े हैं। इसके बाद 19 सितंबर 2024 को श्रीनगर की एक रैली में भी अपना कहा था- हमने संसद में कहा है कि हम पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करेंगे।'

 

लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं ने यह भी तर्क दिया है कि सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने जवाब में भी केंद्र सरकार ने कहा है कि जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। चिट्ठी में आगे लिखा है, 'ऐसे में हम आपसे मांग करते हैं कि आगामी मॉनसून सत्र में एक कानून लाकर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। साथ ही, लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि इस क्षेत्र का विकास हो सके।'

 

क्या है जम्मू-कश्मीर की स्थिति?

 

दरअसल, अगस्त 2019 से पहले भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त था। भारत की संसद ने अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म कर दिया जिससे यह विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया। इसी के साथ, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया जबकि पहले दोनों एक ही थे। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश तो लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। अब इन दोनों ही केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल की नियुक्ति की जाती है।

 

सितंबर-अक्तूबर 2024 में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनाव कराए गए और नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने चुनाव में जीत हासिल की। इससे पहले, जम्मू-कश्मीर की विधानसभाओं का परिसीमन भी हुआ था। इस चुनाव में जीत के बाद उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने। वह पहले भी जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे हैं लेकिन तब जम्मू-कश्मीर अलग संविधान वाला एक पूर्ण और विशेष दर्जा प्राप्त राज्य था। अब जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश है और कई शक्तियां उपराज्यपाल के पास हैं। ऐसे में लगातार मांग हो रही है कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाए।

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