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रूह आफजा: जिस पर 'शरबत जिहाद' का आरोप, वह वक्फ संस्था करती है समाजसेवा

रूह अफजा बनाने वाली हमदर्द इंडिया कपंनी का सारा मुनाफा हमदर्द नेशनल फाउंडेशन के पास जाता है। यह कंपनी 1906 में शुरू हुई और 1948 में इसे एक वक्फ संस्था घोषित कर दिया गया।

Hamdard Rooh Afza and Ramdev controversy

रूह अफजा, Photo Credit: Pixabay

हाल ही में योग गुरु रामदेव ने अपने एक प्रचार वीडियो में 'शरबत जिहाद' शब्द का इस्तेमाल किया, जिससे विवाद बढ़ता जा रहा है। रामदेव ने बिना किसी कंपनी का नाम लिए आरोप लगाया कि एक फेमस शरबत कंपनी अपने मुनाफे का इस्तेमाल मस्जिदों और मदरसों के निर्माण में करती है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे पतंजलि का गुलाब शरबत खरीदें। रामदेव ने इस दौरान 'शरबत जिहाद' शब्द का इस्तेमाल किया, जिसकी तुलना उन्होंने 'लव जिहाद' और 'वोट जिहाद' से की। रामदेव के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी। रामदेव ने भले ही किसी ड्रिंक का नाम नहीं लिया लेकिन वह निश्चित तौर पर रूह अफजा का जिक्र कर रहे थे, जिसे हमदर्द इंडिया तैयार करती है। ऐसे में आइए जानते हैं रूह अफजा को तैयार करने वाली कंपनी हमदर्द के बारे में सबकुछ।

 

रूह अफजा एक ऐसा ब्रांड है जो भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश तीनों देशों में मौजूद है। हालांकि, इन तीनों देशों में तैयार होने वाली कंपनियां बेहद अलग-अलग हैं। भारत में रूह अफजा शरबत को हमदर्द लैबोरेट्रीज (इंडिया) तैयार करती है जिसकी स्थापना 1906 में हकीम हाफिज अब्दुल मजीद ने पुरानी दिल्ली में की थी। इसका प्रोडक्शन और बिक्री केवल भारत में ही होता है। 1948 में हमदर्द भारत को वक्फ संस्था घोषित कर दिया गया था जिसकी वजह से इसका पूरा मुनाफा समाजसेवा में लगा दिया जाता है, जैसे-शिक्षा, स्कूल और अस्पताल आदि। हमदर्द फाउंडेशन के तहत कई संस्था भी तैयार किए गए है जैसे हमदर्द विश्वविद्यालय और हमदर्द नेशनल फाउंडेशन।

 

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मुनाफा और कारोबार 

हमदर्द लैबोरेट्रीज के सबसे अधिक बिकने वाले प्रोडटक्स में रूह अफजा, साफी, रोगन बादाम शीरीं, सुआलीन, जोशीना और सिंकारा शामिल हैं। 2016 में रूह अफजा ने लगभग 600 करोड़ का कारोबार किया था और 2018 में हमदर्द ने 1000 करोड़ की बिक्री का टारगेट रखा था। 2023-24 में हमदर्द का शु्द्ध लाभ 1.843 करोड़ हुआ था जो पिछले साल की तुलना में 7.9 प्रतिशत अधिक है। रूह अफजा की 750 ml की बोतल की कीमत 171 रुपये है। ऐसे में हमदर्द इंडिया का सारा मुनाफा हमदर्द नेशनल फाउंडेशन के पास जाता है। यह फाउंडेशन जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी, हमदर्द वेलनेस क्लिनिक्स, अस्पताल, स्कूल-कॉलेज और कई चैरिटेबल प्रोजेक्ट्स चलाता है। हमदर्द कंपनी बाकी कंपनियों से इसलिए भी अलग है क्योंकि बाकी कंपनियां मुनाफा शेयरहोल्डर्स या मालिकों को देती हैं। जबकि हमदर्द का मुनाफा समाज के हित में खर्च होता है। 

 

रूह अफजा का पाकिस्तान से कोई संबंध?

अगर आप भारत में रूह अफजा खरीद रहे हैं तो वह हमदर्द इंडिया ही तैयार करती है। पाकिस्तान से इसका कोई भी संबंध नहीं है, क्योंकि भारतीय पैकेजिंग और पाकिस्तानी पैकेजिंग में बहुत फर्क होता है। पाकिस्तान में बिकने वाले रूह हफजा कंपनी का नाम हमदर्द पाकिस्तान है, जिसकी स्थापना 1948 में हकीम मोहम्मद सईद ने कराची में की थी। यह भारत से बेहद अलग कंपनी है और इसका प्रोडक्शन केवल पाकिस्तान के मार्केट में होता है। 

 

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अमेजन इंडिया विवाद क्या था?

रूह अफजा का प्रोडक्शन भारत और पाकिस्तान दोनों में होता है लेकिन कुछ समय पहले अमेजन इंडिया पर पाकिस्तान निर्मित रूह अफजा बेचा जा रहा था जिसके निर्माता की जानकारी स्पष्ट नहीं थी। इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सितंबर 2022 में अमेजन इंडिया को निर्देश दिया कि वह पाकिस्तान में निर्मित रूह अफजा की लिस्टिंग हटा दे क्योंकि यह भारतीय खाद्य सुरक्षा गाइडलाइंस का पालन नहीं कर सकता। वहीं, हमदर्द पाकिस्तान ने दावा किया था कि उन्होंने भारत में रूह अफजा का निर्यात नहीं किया है जबकि कुछ व्यक्तिगत विक्रेता दुबई से इस प्रोडक्ट को भारत में बेच रहे थे। 

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