शरबत जिहाद वाले बयान के बाद अब योग गुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि ने देशभर के अखबारों में एक ऐड पब्लिश करवा दिया। इस ऐड में उन्होंने पूछा है कि 'पुराने ढर्रे वाले शरबत पर धन और धर्म की बर्बादी क्यों'? इस ऐड में पतंजलि के गुलाब शरबत, बेल शरबत, ब्राह्मी शरबत को दिखाते हुए उपभोक्ताओं से इन्हें अपनाने का आग्रह किया है। इसके साथ ही 'सर्वधर्म और राष्ट्रधर्म सर्वोपरि' जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर ऐड को धार्मिक और राष्ट्रवादी रंग देने की कोशिश की गई है।
ऐड में क्या लिखा?
पतंजलि ने लिखा, 'समस्त ऋषि, ऋषिकाओं के वंशधरों से आह्नन है कि अपनी दुकान की प्रमुख शेल्फ पर पतंजलि शरबत को सबसे आगे रखें। जब पतंजलि का क्षेष्ठतम गुलाब शरबत, मैंगो पन्ना, बेल शरबत, ब्राह्मी शरबत, खस शरबत और ठंडाई पाउडर आदि उपलब्ध हैं को फिर ढर्रे वाले शरबत पर धन और घर्म की बर्बादी क्यों?'
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शरबत जिहाद से विवादों में घिरे
इससे पहले रामदेव ने एक वीडियो में 'शरबत जिहाद' शब्द का उपयोग करते हुए दावा किया था कि एक प्रसिद्ध शरबत ब्रांड अपनी कमाई का हिस्सा मस्जिद और मदरसे बनाने में खर्च करता है। उन्होंने इन शरबतों की तुलना टॉयलेट क्लीनर से करते हुए लोगों से पतंजलि के प्रोडक्ट को अपनाने की अपील की थी। हालांकि, इस तरह के ऐड और बयानों के कारण रामदेव और पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट की आलोचना का भी सामना करना पड़ा है। कोर्ट ने भ्रामक ऐड को लेकर कड़ी फटकार लगाई थी और पूछा कि क्या माफीनामे का आकार भी उतना ही बड़ा था जितना कि विवादित ऐड का था?
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'शरबत जिहाद' पर लोगों का रिएक्शन
योग गुरु रामदेव के शरबत जिहाद वाले बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने अपनी मिली-जुली प्रतिक्रिया दी। कुछ यूजर्स ने रामदेव के बयान का खुलकर समर्थन किया तो किसी ने इसे मार्केटिंग स्ट्रेटेजी कहा। एक यूजर ने लिखा, 'अगर आप शरबत पिएंगे तो मदरसे बनाए जाएंगे और अगर आप पतंजलि गुलाब शरबत पिएंगे तो गुरुकुल बनाए जाएंगे। रामदेव इस्लामोफोबिया का इस्तेमाल मार्केटिंग स्ट्रेटेजी के रूप में कर रहे हैं।