कन्नड़ एक्ट्रेस रान्या राव को 3 मार्च, 2025 को सोने की स्मगलिंग के आरोप बेंगलुरु एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) लगातार रान्या से पूछताछ कर रही है।
रान्या ने अधिकारियों को एक और चौंकाने वाला खुलासा किया है। एक्ट्रेस ने बताया कि दुबई से बेंगलुरु सोने की तस्करी उन्होंने पहली बार की थीं और यूट्यूब वीडियो देखकर गोल्ड छिपाना सीखा था।
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You Tube कंटेट कर रहा अपराधियों की मदद
You tube जैसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उद्देश्य ज्ञान और सूचना का प्रसार करना है लेकिन कुछ लोग इनका दुरुपयोग करके आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए जानकारी हासिल करते हैं। रान्या जैसे न जाने कितने ऐसे लोग है जिन्होंने बम बनाने से लेकर सोने की तस्करी तक, यूट्यूब पर उपलब्ध सामग्री का गलत उपयोग किया होगा। ऐसे में यह समझना होगा कि यूट्यूब क्रीमिन्लस की कैसे मदद कर रहा है? आइये उदाहरण से समझें..
हरियाणा में You Tube देख बनाया बम
हरियाणा के हिसार जिले में एक घटना सामने आई, जहां 12वीं कक्षा के छात्रों ने यूट्यूब पर बम बनाने का तरीका सीखकर एक विस्फोटक उपकरण तैयार किया। उन्होंने इसे अपनी साइंस की टीचर की कुर्सी के नीचे रखा और रिमोट से विस्फोट कर दिया। सौभाग्य से, टीचर को कोई चोट नहीं आई लेकिन इस घटना ने ऑनलाइन कंटेट पर दी जा रही जानकारी पर सवाल जरूर खड़े कर दिए।
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You Tube से सीखा गोल्ड स्मगलिंग
हाल ही में, कन्नड़ अभिनेत्री रान्या राव को दुबई से भारत में 14 किलोग्राम सोने की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। ऐसे में सोने की तस्करी के नए-नए तरीकों की जानकारी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स पर उपलब्ध होती है जो तस्करों के लिए खूब मददगार साबित होती है।
ऐसे कंटेट पर क्यों जरूरी है बैन?
दरअसल, youtube पर अगर ऐसे ही कंटेट बनते रहे तो अपराधियों को आसानी से जानकारी मिलती रहेगी। कई अपराधी और आतंकवादी यूट्यूब जैसी ओपन-सोर्स वेबसाइट्स का इस्तेमाल कर खतरनाक चीजें सीख सकते हैं। हरियाणा में छात्रों द्वारा यूट्यूब देखकर बम बनाना इसका उदाहरण है।
इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है। अगर खतरनाक गैंग, आतंकवादी संगठन या तस्कर इस तरह की जानकारी आसानी से ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं, तो यह किसी भी देश की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। वहीं, कई देशों में पहले से ही खतरनाक सामग्रियों (बम, ड्रग्स, हथियार) से जुड़ी जानकारी को शेयर करना गैर-कानूनी है। ऐसे में अगर यूट्यूब पर ऐसे कंटेंट बने रहेंगे, तो सरकारों को सख्त कदम उठाने पड़ सकते हैं।
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बैन के खिलाफ क्या तर्क?
कुछ वैज्ञानिक, मिलिट्री और पुलिस ट्रेनिंग के लिए एक्सप्लोसिव्स की जानकारी की जरूरत होती है। वहीं, अगर बम बनाने की जानकारी बैन कर दी जाए, तो कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मान सकते हैं। ऐसे में पूरी तरह बैन करने की बजाय, यूट्यूब को ऐसी वीडियो की मॉनिटरिंग करनी चाहिए और संदिग्ध कंटेंट को ऑटोमैटिक हटा देना चाहिए। केवल वैज्ञानिक, फॉरेंसिक और सरकारी रिसर्च के लिए ही ऐसी जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए।
क्या किया जा सकता है?
अगर कोई यूजर किसी संदिग्ध वीडियो को देखता है, तो उसे तुरंत रिपोर्ट करने का ऑप्शन दिया जाए। साथ ही यूट्यूब को अपने AI सिस्टम को और बेहतर बनाना चाहिए ताकि यह खुद ही खतरनाक कंटेंट को पहचानकर ब्लॉक कर सके।