हम भारतीयों के लिए क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि जज्बात है। टेस्ट मैच हो या आईपीएल, लोग खाना-पीना छोड़कर टीवी या स्टेडियम से चिपक जाते हैं। जब अपनी फेवरेट टीम जीतती है तो ऐसा लगता है जैसे पूरे देश में दिवाली मन रही हो लेकिन सोचिए, अगर उसी जीत के जश्न के दौरान कोई ऐसा हादसा हो जाए जो खुशी को एक पल में गम में बदल दे तो क्या होगा? हाल की एक घटना ने ठीक ऐसा ही सवाल हमारे सामने खड़ा कर दिया है।
बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भी ऐसा ही कुछ हुआ। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की IPL 2025 में जीत के बाद स्टेडियम के बाहर लाखों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी लेकिन भीड़ को संभालने के इंतजाम पूरे नहीं थे। नतीजा ये हुआ कि अफरातफरी मच गई और भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई, जबकि कई लोग घायल हो गए। यह हादसा एक बार फिर याद दिलाता है कि ऐसे बड़े आयोजनों में सुरक्षा और भीड़ को संभालने की सही योजना कितनी जरूरी होती है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ इससे पहले भी देश में कई मौके ऐसे आए हैं जब खेल का जश्न दुखद हादसों में बदल गया। आइए, ऐसी ही कुछ घटनाओं पर एक नजर डालते हैं जो जश्न से शुरू होकर गम में खत्म हो गईं।
बेंगलुरु विक्ट्री परेड भगदड़, 2025
4 जून 2025 को बेंगलुरु में RCB की पहली आईपीएल ट्रॉफी जीत का जश्न मनाने के लिए चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भारी भीड़ जुटी। प्रशासन ने 2 लाख लोगों की उम्मीद की थी लेकिन 6 लाख से ज्यादा लोग पहुंच गए। स्टेडियम की क्षमता 32,000 थी, फिर भी लाखों लोग अंदर-बाहर जमा हो गए। भीड़ बेकाबू हुई और भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई, जिसमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थे। कई लोग घायल हुए, जिन्हें बॉवरिंग अस्पताल ले जाया गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने प्रशासन और आयोजकों की लापरवाही पर गुस्सा जाहिर किया।
यह भी पढ़ें: भीड़, अफवाह और मातम..., बेंगलुरु में RCB के जश्न में भगदड़ कैसे मच गई?
हैदराबाद स्टेडियम में भगदड़ (2022)
सितंबर 2022 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाले T20 मैच के टिकटों की बिक्री के दौरान हालात बेकाबू हो गए। टिकट काउंटर पर जबरदस्त भीड़ उमड़ पड़ी और लंबी कतारों में अव्यवस्था फैल गई। धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। इस अफरा-तफरी में कई लोग घायल हो गए और हालात काबू में लाने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा।
पटना क्रिकेट स्टेडियम में स्टांपेड (2014)
19 जनवरी 2014 को भारत और वेस्ट इंडीज लेजेंड्स के बीच एक क्रिकेट मैच के दौरान एक अफरातफरी भरा हादसा हो गया। टिकट बांटने के समय स्टेडियम के बाहर भारी भीड़ जमा हो गई और व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ गई। लंबी कतारों में खड़े लोग धक्का-मुक्की करने लगे, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। इस घटना में दर्जनों लोग घायल हो गए और माहौल तनावपूर्ण हो गया।
यह भी पढ़ें: बेंगलुरु भगदड़: तैयारियों की खामी या लोग हुए बेकाबू, पढ़ें पूरी ABCD
ईडन गार्डन्स भगदड़ , 1996
16 मार्च 1996 को कोलकाता के ईडन गार्डन्स स्टेडियम में क्रिकेट वर्ल्ड कप सेमीफाइनल मुकाबले में भारत और श्रीलंका आमने-सामने थे। मैच के दौरान जब भारतीय टीम लगातार विकेट गंवाने लगी और जीत की उम्मीदें धुंधली पड़ने लगीं, तो दर्शकों में भारी हताशा और गुस्सा फैल गया। भीड़ का गुस्सा इस हद तक बढ़ गया कि कुछ लोगों ने स्टैंड में आग लगा दी और मैदान की ओर चीजें फेंकनी शुरू कर दीं। हालात बेकाबू होते देख पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। सुरक्षा कारणों से मैच को बीच में ही रोकना पड़ा और अंततः श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया गया। इस अफरा-तफरी में कई दर्शक घायल हो गए, और एक उत्सव जैसा माहौल क्षण भर में दुखद अनुभव में बदल गया।
यह भी पढ़ें: IPL 2025: पंजाब हारी और भड़क गए योगराज, बोले- श्रेयस अय्यर को बैन करो
कोलकाता फुटबॉल स्टेडियम भगदड़ (1980)
16 अगस्त 1980 को कोलकाता के ईडन गार्डन्स स्टेडियम में मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के बीच आईएफए शील्ड फुटबॉल मुकाबले के दौरान एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। दोनों टीमों के बीच लंबे समय से चली आ रही कट्टर प्रतिद्वंद्विता के कारण माहौल तनावपूर्ण था। मैच के दौरान दर्शकों के बीच झड़प शुरू हो गई, जिसने जल्द ही हिंसक रूप ले लिया। स्थिति पर काबू पाने के प्रयास में पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई और अचानक मची अफरा-तफरी ने भगदड़ का रूप ले लिया। इस भयावह हादसे में 16 लोगों की मौत हो गई, जिनमें अधिकांश स्कूली बच्चे थे। यह घटना भारतीय खेल इतिहास की सबसे दुखद दुर्घटनाओं में से एक मानी जाती है।