कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की में जिस डॉक्टर की कथित रेप और के बाद हत्या हुई थी, उस केस से जुड़ी एक बड़ी जानकारी सामने आई है। पीड़िता के शरीर के पास पड़ी चीजों पर कोई भी फिंगर प्रिंट नहीं पाया गया है। द न्यूज एरिना की एक रिपोर्ट के मुताबिक जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों के हवाले से यह खबर सामने आई है।
पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर की हत्या को लेकर देशभर के डॉक्टरों ने हड़ताल किया था। डॉक्टरों ने मांग की थी कि उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जाए। महीनों तक कोलकाता में डॉक्टर, धरने पर बैठे रहे। सोमवार को इस केस के ट्रायल का पहला दिन था। केस के दौरान प्रथम दृष्टया कॉलेज के प्रिंसिपल और स्थानीय पुलिस पर साक्ष्यों के साथ छेड़-छाड़ करने के आरोप लगे थे। अब सीबीआई से जुड़े सूत्रो ने ये हैरान करने वाला दावा किया है।
लाश के पास पड़े सामानों पर कोई फिंगर प्रिंट नहीं
अब जांच एजेंसी को कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष और पुलिस इन चार्ज अभीजीत मंडल के खिलाफ 14 नवंबर से पहले कोर्ट में चार्जशीट दायर करनी होगी। एक CBI जांच अधिकारी ने कहा, 'पीड़िता के लैपटॉप, सेलफोन और पानी के बोतल, जिसकी बरामदगी कोलकाता पुलिस ने की है, जिसे जांच के लिए द सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री भेजा गया था, फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट ने जांच के बाद कहा है कि ये चीजें, पूरी तरह से साफ थीं, कोई फिंगर प्रिंट ही नहीं है, पीड़िता के भी फिंगर प्रिंट वहां नहीं हैं।'
क्या हैं CBI के सवाल?
कोलकाता हाई कोर्ट के निर्देश के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी CBI ने कोलकाता रेप एंड मर्डर केस की जांच संभाली थी। इस केस को लेकर लोगों में उबाल था, कोलकाता से लेकर दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों के डॉक्टर सड़कों पर आ गए थे। अब ये बात हैरान करने वाली है कि आखिर कैसे उन चीजों पर फिंगर प्रिंट के निशान क्यों नहीं मिले, जो मृतका के पास पड़े थे। सीबीआई से जुड़े ही एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'पीड़िता के हाथों के निशान उसके इस्तेमाल की जाने वाली चीजों पर होने चाहिए थे। यह कैसे हो सकता है कि कुछ भी न मिले। यह हो सकता है कि किसी ने जानबूझकर इसे मिटा दिया हो।'
इस हालत में मिली थी पीड़िता की लाश
वीडियो फुटेज में यह साफ नजर आ रहा है कि भीड़, तीसरे फ्लोर के सेमिनार हॉल में घुस गई थी, जहां पीड़िता की लाश पड़ी थी। पीड़िता की लाश पर चोटों के निशान थे, यह साफ था कि उसके साथ जघन्य वारदात को अंजाम दिया गया है। उसके शरीर पर खून के छींटे पड़े थे। चेहरा, नाक और आंखों पर खून के धब्बे नजर आ रहे थे।
क्राइम सीन को किसने किया तबाह?
जूनियर डॉक्टरों ने दावा किया था कि कोलकाता पुलिस इस केस में मिली हुई है, उसी ने भीड़ को अंदर घुसने की इजजात दी है और क्राइम सीन पर तोड़-फोड़ करने दिया है। पुलिस ने अपने बचाव में कहा कि भीड़ वहां नहीं गए थी।
इसके पीछे क्या हो सकता है मकसद?
जांच एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं हो सकता है कि सिविल वॉलंटियर को बचाने के लिए ऐसा कर दिया गया हो, जो कोलकाता पुलिस के साथ काम करता है। 13 अगस्त को सीबीआई को केस सौंपे जाने से पहले पुलिस ने 9 अगस्त की दोपहर में साक्ष्य जुटाए थे। यह हादसे के घंटों बाद हुआ था।
कैसे पकड़ा गया था मुख्य आरोपी?
तब तक यह नहीं पता था कि इस हत्या में संजय रॉय की भूमिका हो सकती है। उसका नाम एक दिन बाद आया, जब सीसीटीवी फुटेज की जांच पुलिस ने की। वह सेमिनार हॉल की तरफ जाता नजर आया। संजय रॉय 9 अगस्त को ही वहां से निकलता नजर आया था। उसे उसी रात ब्लूटुथ हेडसेट की वजह से पकड़ा गया था। वह पीड़िता के पास पड़ा मिला था, जिससे उसका फोन खुद-ब-खुद कनेक्ट हो गया था। पुलिस को शक हुआ कि वह भी इस केस में शामिल है।