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'हम फैसला लेते तो इतना समय नहीं लगता', BJP अध्यक्ष चुनाव पर भागवत बोले

अगले बीजेपी अध्यक्ष के लिए पार्टी और संघ के अंदर काफी समय से चर्चा चल रही है। नए अध्यक्ष के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं। इस बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि उनका संगठन बीजेपी के अंदर फैसले नहीं लेता।

RSS and BJP

मोहन भागवत। Photo Credit (@RSSorg)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को साफ किया कि उसके बीजेपी के साथ कोई मतभेद नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस के विचार अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन उनके उद्देश्य एक जैसे हैं। भागवत राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम में मीडिया द्वारा सवालों के जवाब दे रहे थे। संघ प्रमुख का यह बयान इस समय काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि विपक्ष बार-बार आरोप लगा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ के रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं।

 

इस दौरान उनसे पूछा गया कि क्या बीजेपी के अध्यक्ष और पार्टी से जुड़े अहम फैसला आरएसएस ही करता है? इसपर उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से गलत धारणा है। ऐसा नहीं हो सकता।

 

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'मैं 50 सालों से शाखा चला रहा हूं'

उन्होंने तर्क देते हुए कहा, 'मैं 50 सालों से शाखा चला रहा हूं, इसलिए अगर कोई मुझे इस बारे में सलाह देता है, तो मैं उसका विशेषज्ञ हूं। जब राज्य चलाने की बात आती है, तो वे लंबे समय से सरकार चला रहे हैं, इसलिए वे इसके विशेषज्ञ हैं। हां, यह जरूर है कि इसमें सुझाव दिए जा सकते हैं लेकिन उनके क्षेत्र में फैसला उनका है, और हमारे क्षेत्र में हमारा' इसके बाद, उन्होंने कुछ देर रुककर कहा, 'हम तय करते तो इतना समय लगता क्या?'

 

 

बता दें कि बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का कार्यकाल दो साल पहले समाप्त हो गया है। लेकिन सेवा विस्तार के चलते वह अभी भी पार्टी अध्यक्ष बने हुए हैं। जेपी नड्डा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री का भी जिम्मा संभाल रहे हैं।

फैसले कौन लेता है?

संघ प्रमुख ने इस बारे में आगे कहा, 'हम फैसले नहीं लेते। हम फैसला नहीं लेना चाहते। अपना समय लें!' दरअसल, अगले बीजेपी अध्यक्ष के लिए पार्टी और संघ के अंदर काफी समय से चर्चा चल रही है। नए अध्यक्ष के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं। इसी सिलसिले में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की मोहन भागवत से मुलाकात शामिल थी

 

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जनसांख्यिकीय असंतुलन की वजह क्या?

वहीं, संघ प्रमुख ने देश की जनसांख्यिकीय असंतुलन के पीछे धर्मांतरण और अवैध प्रवास को प्रमुख कारण बताया। उन्होंने कहा कि सरकार अवैध प्रवास को रोकने की कोशिश कर रही है, लेकिन समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। भागवत ने कहा कि धर्म व्यक्तिगत पसंद का विषय है और इसमें किसी प्रकार का प्रलोभन या जोर-जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'धर्मांतरण और अवैध प्रवास जनसांख्यिकीय असंतुलन के प्रमुख कारण हैं। हमें अवैध प्रवासियों को नौकरी नहीं देनी चाहिए; हमें मुसलमानों सहित अपने लोगों को नौकरी देनी चाहिए।' 

 

गुरुकुल शिक्षा पर दिया जोर

मोहन भागवत ने गुरुकुल शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा के साथ जोड़ने का आह्वान करते कहा कि गुरुकुल शिक्षा का मतलब आश्रम में रहना नहीं बल्कि देश की परंपराओं के बारे में सीखना हैभागवत ने कहा कि वह संस्कृत को अनिवार्य बनाने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन देश की परंपरा और इतिहास को समझना महत्वपूर्ण हैउन्होंने कहा, 'वैदिक काल के प्रासंगिक 64 पहलुओं को पढ़ाया जाना चाहिएगुरुकुल शिक्षा को मुख्यधारा में शामिल किया जाना चाहिए, न कि उसे प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए।'

आरएसएस की 100 वर्ष की यात्रा

भागवत ने विज्ञान भवन में 'आरएसएस की 100 वर्ष की यात्रा: नए क्षितिज' कार्यक्रम को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में लगभग 24 दूतावासों और उच्चायोगों के 50 से अधिक राजनयिकों ने भाग लिया। बता दें कि बड़े पैमाने पर जनसंपर्क अभियान करने के लिए आरएसएस ने अपने शताब्दी वर्ष के मौके पर देशभर में एक लाख से ज्यादा हिंदू सम्मेलनों समेत कई कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसकी शुरुआत इस वर्ष दो अक्टूबर को विजयादशमी के दिन नागपुर में संगठन के मुख्यालय में भागवत के संबोधन से होगी।

 

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