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'बांग्लादेश से हिंदू भागेगा नहीं, लड़ेगा,' उत्पीड़न पर बोले मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक विविधता के लिए एकता, समावेशिता और शक्ति को अनिवार्य बताया है। उन्होंने और क्या कहा है, पढ़ें इस रिपोर्ट में।

Mohan Bhagwat

संघ प्रमुख मोहन भागवत। (Photo Credit: PTI)

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि देश में अलग-अलग भाषाएं, धर्म और संस्कृतियां हैं लेकिन इन्हें एकता के सूत्र में पिरोने वाला सगठन संघ है। उन्होंने कहा कि संघ चाहता है कि भारत इतना शक्तिशाली बने कि कोई भी देश, चाहे कई देश मिलकर भी हमला करें, हमें हरा न सके। उन्होंने कहा कि RSS में हर भाषा और पृष्ठभूमि के लोग खुशी से एक साथ काम करते हैं। संघ के गीत भी हिंदी के अलावा कई भाषाओं में हैं। सब अपनी पहचान बनाए रखते हुए देश की एकता के लिए काम करते हैं।

मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ आदिवासी इलाकों और पूर्वोत्तर भारत में अपनी शाखाएं बढ़ा रहा है। पूर्वोत्तर के लोग अपना नेतृत्व खुद करें और देश के साथ कदम ताल मिलाकर चलें। उन्होंने कहा कि भारत को इतना मजबूत होना चाहिए कि कोई हमें चुनौती न दे सके। दुनिया में कुछ बुरे लोग हैं जो हमला कर सकते हैं, इसलिए ताकत के साथ-साथ अच्छाई भी रखनी होगी। अगर कोई बुरी ताकत अगर हमला करे तो देश के पास उसे रोकने की क्षमता हो।

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'हिंदू भागेगा नहीं, लड़ेगा'
मोहन भागवत ने कहा, 'बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ इस बार दुनिया ने ज्यादा ध्यान दिया है। वहां के हिंदू अब कह रहे हैं कि वे भागेंगे नहीं, बल्कि अपने हक के लिए लड़ेंगे। हिन्दू की चिंता तब होगी, जब हिन्दू इतना सशक्त बनेगा क्योंकि हिन्दू समाज और भारत देश जुड़े हैं, हिन्दू समाज का बहुत अच्छा स्वरूप भारत को भी बहुत अच्छा देश बनाएगा जो अपने आप को भारत में हिन्दू नहीं कहते उनको भी साथ लेकर चल सकेगा क्योंकि वे भी हिन्दू ही थे। भारत का हिन्दू समाज सामर्थ्यवान होगा तो विश्व भर के हिन्दुओं को अपने आप सामर्थ्य लाभ होगा। यह काम चल रहा है, परन्तु पूरा नहीं हुआ है। धीरे-धीरे वह स्थिति आ रही है।'

मोहन भागवत ने कहा, 'बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हुए अत्याचार पर आक्रोश का प्रकटीकरण इस बार जितना हुआ है, वैसा पहले नहीं होता था। यही नहीं, वहां के हिन्दुओं ने यह भी कहा है कि वे भागेंगे नहीं, बल्कि वहीं रहकर अपने अधिकार प्राप्त करेंगे । अब हिन्दू समाज का आतंरिक सामर्थ्य बढ़ रहा है।'

मोहन भागवत ने कहा, 'एक तरह से संगठन बढ़ रहा है, उसका परिणाम अपने आप आएगा। तब तक इसके लिए लड़ना पड़ेगा। दुनिया में जहां-जहां भी हिन्दू हैं, उनके लिए हिन्दू संगठन के नाते अपनी मर्यादा में रहकर जो कुछ कर सकते हैं वो सब कुछ करेंगे, उसी के लिए संघ है। स्वयंसेवक की प्रतिज्ञा ही धर्म, संस्कृति और समाज का संरक्षण कर राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति है।'



महिलाओं पर मोहन भागवत ने क्या कहा?
मोहन भागवत ने कहा कि संघ की महिला शाखा 'राष्ट्र सेविका समिति' है। संघ की शाखाएं पुरुषों के लिए हैं, लेकिन महिलाएं भी इसमें शामिल होती हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को खुद सशक्त बनना चाहिए। इस काम में संघ उनकी मदद करता है। 

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हिंदू राष्ट्र पर मोहन भागवत ने क्या कहा?
मोहन भागवत ने कहा, 'भारत पहले से ही हिंदू राष्ट्र है, क्योंकि यहां की संस्कृति और प्रकृति हिंदू है। हिंदू समाज को देश का रक्षक माना जाता है।'

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