विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025 में अमेरिकी टैरिफ और पाकिस्तान के साथ डोनाल्ड ट्रंप की बढ़ती नजदीकियों पर खुलकर बात की। उन्होंने ओसामा बिन लादेन का भी जिक्र और अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्तों पर कटाक्ष किया। विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों का खुद का इतिहास नजरअंदाज करने का इतिहास रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि ट्रंप के टैरिफ एलान से पहले भारत ने रूसी तेल खरीदने के मुद्दे पर चर्चा नहीं की थी। विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में भारत की कुछ रेड लाइन है। भारत किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा।
पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "उनका (अमेरिका-पाकिस्तान) एक-दूसरे के साथ इतिहास रहा है। दोनों देशों का अपने इतिहास को नजरअंदाज करने का भी इतिहास रहा है। हम यह कोई पहली बार नहीं देख रहे हैं। यह वही सेना है, जो एबटाबाद (पाकिस्तान में) गई थी और वहां कौन मिला था?
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मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा भारत
अपनी बातचीत में विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्ता को स्वीकार नहीं करता है। उन्होंने कहा, 'मध्यस्थता के मुद्दे पर 1970 यानी 50 वर्षों से ज्यादा समय से देश में राष्ट्रीय सहमति है कि हम पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे।'
व्यापार समझौते पर चल रही बातचीत
टैरिफ के मुद्दे पर भारत और अमेरिका के बीच तनाव है। मगर जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि व्यापार समझौते पर बातचीत का सिलसिला जारी है। उन्होने कहा, 'हम दो बड़े देश हैं। हमारे बीच कोई सीमा नहीं है। लोग एक-दूसरे से बात कर रहे हैं और देखेंगे कि आगे क्या होता है। मगर मूल बात यह है कि हमारे सामने कुछ रेड लाइन हैं। किसी ने यह नहीं कहा कि बातचीत बंद हो गई है। हमारी रेड लाइन हमारे किसानों और कुछ हद तक हमारे छोटे उत्पादकों के हित हैं।'
बदलाव सिर्फ भारत तक सीमित नहीं: जयशंकर
विदेश मंत्री जयशंकर का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अधिकांश मामलों में विदेश नीति को सार्वजनिक तरीके से चलाते हैं। ट्रंप का अपने देश और विश्व के साथ व्यवहार करने का तरीका पारंपरिक रूढ़िवादी तरीके से काफी अलग है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा कोई अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं है, जिसने मौजूदा राष्ट्रपति की तरह विदेश नीति को सार्वजनिक रूप में चलाया हो। यह अपने आप में एक बदलाव है, जो सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है।
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'भारत से मत खरीदों तेल'
विदेश मंत्री ने कहा कि रूस से भारत के तेल खरीदने को एक मुद्दे के तौर पर पेश किया जा रहा है। जिन बातों के आधार पर भारत को निशाना बनाया जा रहा है, वही तर्क सबसे बड़े रूसी तेल आयातक चीन और गैस आयातक यूरोपीय संघ पर लागू नहीं होते हैं।
ट्रंप प्रशान के कुछ अधिकारियों ने भारत पर कम कीमत पर रूस से तेल खरीदकर मुनाफा कमाने का आरोप लगाया। इस पर जयशंकर ने कहा, 'यह वाकई अजीब है। अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड उत्पाद खरीदने में कोई दिक्कत है तो उसे न खरीदें। कोई खरीदने के लिए मजबूर नहीं करता। मगर यूरोप और अमेरिका खरीदते हैं। इसलिए अगर आपको वह पसंद नहीं है, तो उसे न खरीदें।'