मालेगांव बम धमाका मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने हाल ही में पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत से बरी होने के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने एजेंसियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि मुझे पर योगी आदित्यनाथ, मोहन भागवत और पीएम मोदी का नाम लेने का दबाव बनाया गया। अधिकारियों ने यहां तक कहा कि अगर नाम ले लिया तो उनकी पिटाई नहीं की जाएगी। बकौल प्रज्ञा ठाकुर वह असत्य कहलवाना चाहते थे, लेकिन हमने किसी का नाम नहीं लिया।
पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने शनिवार को दावा किया कि अधिकारियों ने मुझे बुरी तरह से प्रताड़ित किया। मुझ पर योगी आदित्यनाथ, मोहन भागवत, सुदर्शन, संघ नेता इंद्रेश और राम माधव का नाम लेने का दबाव बनाया गया। कहा गया कि अगर आपने नाम लिया तो पिटाई नहीं की जाएगी। अगर नाम नहीं लिया तो प्रताड़ित किया जाएगा। साध्वी का दावा है कि मुझे प्रताड़ित करना ही उनका उद्देश्य था।
यह भी पढ़ें: दुनिया पर टैरिफ लगाकर कितना कमा रहा है ट्रंप का अमेरिका?
फेफड़े की झिल्ली फटी, मैं बेहोश हो गई
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का कहना है कि प्रताड़ना के कारण हमारे फेफड़ी की झिल्ली फट गई और मैं बेहोश हो गई। मुझे गैर-कानूनी तौर पर अस्पताल में रखा गया। मैं अपनी पूरी कहानी में यह सभी बातें लिख रही हूं। मैं गुजरात में रहती थी। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी का भी नाम कहलवाने का प्रयास किया, लेकिन मैंने किसी का भी नाम नहीं लिया, क्योंकि सब असत्य कहलवाना चाह रहे थे।
'हिंदुत्व और सनातन धर्म की जीत'
अदालत से बरी होने के सवाल पर प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि यह हिंदुत्व और सनातन धर्म की जीत है। ये लोग कभी पराजित नहीं कर पाएंगे। यह सनातनी राष्ट्र है और सनातनी राष्ट्र की हमेशा विजय ही विजय है, लेकिन इन्होंने टॉर्चर करके जो कुत्सित प्रयास किया है, उसकी मैं भर्त्सना करती हूं। सभी को दंड के लिए हम प्रयास भी करेंगे। प्रज्ञा ठाकुर ने आगे दावा किया कि यह पूरा केस बनाया हुआ था, इसलिए इसका कोई आधार नहीं था और असत्य का कोई आधार होता भी नहीं है। सत्य प्रकट और सिद्ध होता है और वह हुआ है।
परमवीर सिंह पर लगाया बड़ा आरोप
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह को धूर्त, मक्कार व्यक्ति था। वह अधिकारी कहलाने लायक नहीं था। उसने कानून के तहत गैर-कानूनी काम किया है। उन्होंने परमवीर सिंह, हेमंत करकरे और सुखविंदर सिंह पर टार्चर करने का आरोप लगाया। उनका आरोप है कि इन अधिकारियों ने बुरी तरह से प्रताड़ित करके बहुत कुछ कहलवाना चाहा, लेकिन हमने असत्य नहीं बोला।
यह भी पढ़ें: उम्रकैद की सजा, 10 लाख का जुर्माना; कोर्ट में रो पड़ा प्रज्वल रेवन्ना
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में बम धमाके में छह लोगों की जान गई थी। 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। आरोप के मुताबिक धमाका एक मोटरसाइकिल में लगे बम से हुआ था। जांच एजेंसियों ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मोटरसाइकिल का मालिक बताया था। 17 साल बाद एनआईए की विशेष अदालत ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत का कहना है कि मोटरसाइकिल का चेसिस नंबर मिटा दिया गया था और इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि उस मोटरसाइकिल की मालिक प्रज्ञा ठाकुर हैं।