1984 दंगा केस: पूर्व कांग्रेस MP सज्जन कुमार दोषी, 18 को सजा पर सुनवाई
दिल्ली में साल 1984 में हुए दंगों के दौरान मारे गए पिता-पुत्र की हत्या के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को दोषी करार दिया है।

सज्जन कुमार, File Photo Credit: PTI
साल 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को दोषी पाया गया है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सरस्वती विहार इलाके में पिता-पुत्र की हत्या के मामले में सज्जन कुमार को दोषी पाया है। सज्जन कुमार ऐसे ही एक और मामले में पहले से ही दोषी पाए जा चुके हैं और फिलहाल आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं। सज्जन कुमार वही शख्स हैं जो एक समय पर संजय गांधी के करीबी हुआ करते थे। सज्जन कुमार ने दिल्ली के दो-दो मुख्यमंत्रियों चौधरी ब्रह्म प्रकाश और साहब सिंह वर्मा को लोकसभा का चुनाव हराया था।
इस मामले में सुनवाई कर रही दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन कुमार को 1 नवंबर 1984 को सरस्वती विहार में मारे गए पिता-पुत्र की हत्या के आरोप में दोषी पाया गया है। अब इस मामले पर सजा का फैसला 18 फरवरी को सुनवाई के बाद होगा। सिख विरोधी दंगे से जुड़े एक और मामले में पहले ही दोषी करार दिए गए सज्जन कुमार को साल 2018 में उम्रकैद की सजा हुई थी और फिलहाल वह सजा काट रहे हैं। इस केस में उन्हें क्या सजा होगी, अभी इस पर सुनवाई होना बाकी है।
फैसले के बाद वकील एच एस फुल्का ने कहा, 'आज CBI स्पेशल कोर्ट जज कावेरी बावेजा ने सज्जन कुमार को दो सिखों की हत्या के मामले में दोषी पाया है। यह केस जसवंत सिंह और उनके बेटे तरनदीप सिंह की हत्या से जुड़ा है। इस केस को पुलिस ने क्लोज कर दिया है। साल 2015 में जब मोदी सरकार ने SIT गठित की तब इस केस को फिर से खोला गया। हम इस केस के पब्लिक प्रोसेक्यूर मनीष रावत और जांच अधिकारी जगदीश कुमार के आभारी हैं क्योंकि उन्होंने इस केस में बहुत मेहनत की। 18 फरवरी को अदालत सजा का ऐलान करेगी।'
सरस्वती विहार में क्या हुआ था?
साल 1984 में दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान सरस्वती विहार में भी एक घटना हुई थी। अब सज्जन कुमार को जिस केस में दोषी पाया गया है वह यही है। 1 नवंबर 1984 को सरस्वती विहार में एक सिख व्यक्ति और उसके बेटे की हत्या कर दी गई थी। आरोप है कि सज्जन कुमार ने ही उस भीड़ को उकसाया था जिसने इन दोनों को जिंदा जला दिया था। दोनों को जिंदा जलाने के बाद उनके घर में लूटपाट की गई और घर में मौजूद अन्य लोगों के साथ भी मारपीट की गई। मारे गए लोगों का नाम जसवंत सिंह और तरुणदीप सिंह था।
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#WATCH | Delhi: Visuals of former Congress MP Sajjan Kumar after the Rouse Avenue court convicted him in a 1984 Anti-Sikh riots case linked with the killing of a father-son duo in the Saraswati Vihar area on November 1, 1984. The matter has been listed for arguments on sentence… pic.twitter.com/hj31rnZByX
— ANI (@ANI) February 12, 2025
कहां फंसे सज्जन कुमार?
31 अक्तूबर 1984 को दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके ही अंगरक्षकों ने गोली मार दी। हत्या करने वाले लोग सिख समुदाय से आते थे ऐसे में पूरे देश में सिखों के खिलाफ दंगे शुरू हो गए। दिल्ली में भी इसका असर दिखा। उसी दौरान दिल्ली कैंटर इलाकों में कुल 5 सिखों की हत्या कर दी। इस केस में सज्जन कुमार पर भीड़ को उकसाने की आपराधिक साजिश रचने के आरोप लगे। दिल्ली कैंट वाले इसी मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने साल 2018 में अपना फैसला सुनाया था। इस केस में सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई और पांच लाख रुपये का जुर्माना लगा। इसी केस में वह जेल में बंद हैं और उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
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सज्जन कुमार की कहानी
साल 1945 में जन्मे सज्जन कुमार के बारे में कहा जाता है कि एक समय पर वह दिल्ली में चाय बेचते थे। 1970 का दशक आया और देश की राजनीति रोचक हुई तो सज्जन कुमार की दिलचस्पी भी बढ़ी। दिल्ली में नगरपालिका का चुनाव लड़ गए तो संजय गांधी की नजर में आए। यहीं से वह संजय गांधी के करीब आए और साल 1980 दिल्ली से पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा। दिल्ली के पहले सीएम रहे चौधरी ब्रह्म प्रकाश को चुनाव हराकर सज्जन कुमार एक झटके में चर्चा में आए।
कहा जाता है कि सज्जन कुमार और संजय गांधी की करीबी इतनी बढ़ी कि संजय ने अपने 'पांच सूत्रीय' कार्यक्रम को लागू करवाने की जिम्मेदारी जिन लोगों को दी थी उनमें सज्जन कुमार भी थे। समय के साथ सज्जन कुमार का कद कांग्रेस में बढ़ता गया। हालांकि, जैसे-जैसे सज्जन कुमार सिख दंगों के केस में फंसते गए, कांग्रेस ने उनसे दूरी बना ली। साल 2018 में ही सज्जन कुमार ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था।
जाएंट किलर सज्जन कुमार
सज्जन कुमार ने चौधरी ब्रह्म प्रकाश को तो चुनाव हराया ही था साल 1991 के लोकसभा चुनाव में बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट पर साहब सिंह वर्मा को भी चुनाव हराया। 2004 में सज्जन कुमार को फिर जीत मिली लेकिन 2009 में कांग्रेस ने सज्जन कुमार को टिकट नहीं दिया।
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