भारत में सामाजिक और आर्थिक बदलाव की दिशा में एक सकारात्मक तस्वीर सामने आई है। हाल ही में जारी हुई ‘सतत विकास लक्ष्य (SDG) – नैशनल इंडीकेटर प्रोग्रेस रिपोर्ट 2025’ से यह सामने आया है कि देश कई अहम क्षेत्रों में तेजी से प्रगति हुई है। इस रिपोर्ट को आंकड़ा मंत्रालय ने स्टेटिस्टिक्स डे के मौके पर प्रस्तुत किया।
2016 में देश की केवल 22% आबादी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में थी, जो 2025 तक बढ़कर 64.3% हो चुकी है। इसका अर्थ है कि अब ज्यादा संख्या में लोग पेंशन, बीमा, स्वास्थ्य और रोजगार सुरक्षा जैसी योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं। यह सामाजिक सुरक्षा के विस्तार की एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।
गरीबी में आई है गिरावट
रिपोर्ट के अनुसार, गरीबी में भी उल्लेखनीय कमी आई है। 2015-16 में देश की कुल जनसंख्या का 24.85% गरीबी से जूझ रहा था, जो 2019-21 तक घटकर 14.96% रह गया। यह गिरावट शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सरकारी योजनाओं की पहुंच में सुधार के कारण संभव हुई है।
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चरम गरीबी का स्तर और वैश्विक मानक
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में चरम गरीबी (extreme poverty) का स्तर भी तेजी से घटा है। विश्व बैंक के अनुसार, यह दर 2011-12 में 27.1% थी, जो 2022-23 में घटकर 5.3% रह गई। यानी लगभग 269 मिलियन लोग (26.9 करोड़) गरीबी से बाहर निकले हैं। हालांकि, वैश्विक मानकों के अनुसार अब गरीबी की रेखा को 2.15 डॉलर से बढ़ाकर 3 से 4.20 डॉलर प्रतिदिन किया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में जल सुविधा और कृषि आय में वृद्धि
रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित पेयजल स्रोत का उपयोग 2015-16 में 94.57% था, जो 2024-25 में 99.62% हो गया। इसके साथ ही, प्रति कृषि कर्मी औसत आय भी 61,247 रुपये से बढ़कर 94,110 रुपये हो चुकी है, जिससे किसानों की आय में सुधार हुआ है।
इंटरनेट यूजर्स की संख्या 2015 में 30 करोड़ थी, जो 2024 तक 95 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। वहीं, 'स्टार्टअप इंडिया' के तहत पंजीकृत स्टार्टअप की संख्या 2016 में केवल 453 थी, जो अब 34,293 तक पहुँच चुकी है। यह भारत में उद्यमिता की ताकत को दर्शाता है।