मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता और इनोवेटर सोनम वांगचुक ने बुधवार से एक बार फिर से अनशन शुरू कर दिया है। इस बार की मांग है कि लद्दाख को राज्य का दर्जा दिया जाए। सोनम वांगचुक के साथ-साथ कई स्थानीय कार्यकर्ता भी 35 दिन की भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। इन लोगों का कहना है कि पहले भी इस तरह की मांगें उठाई गईं, प्रदर्शन हुए लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले दो महीने से कोई बैठक भी नहीं बुलाई है। भूख हड़ताल पर बैठ रहे लोगों का कहना है कि मजबूर होकर वे एक बार फिर से प्रदर्शन शुरू कर रहे हैं।
सोनम वांगचुक और लेह एपेक्स बॉडी ने घोषणा की कि वे लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल कराने और राज्य का दर्जा देने की अपनी मांगों को लेकर लेह में 35 दिन की भूख हड़ताल शुरू कर रहे हैं। एक सर्वधर्म प्रार्थना सभा के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में जलवायु कार्यकर्ता, शिक्षाविद् और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक ने कहा कि उन्होंने बुधवार से एक और अनशन शुरू करने का फैसला किया है क्योंकि उनकी मांगों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले दो महीने से कोई बैठक नहीं बुलाई है। वांगचुक ने कहा कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और संरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर केंद्र सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है, इसलिए वह अपना प्रदर्शन तेज करने को मजबूर हो रहे हैं।
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कहां रुक गई बातचीत?
सोनम वांगचुक ने आगे कहा, 'करीब दो महीने पहले केंद्र सरकार के साथ बातचीत रुक गई थी। जैसे ही बातचीत इस मोड़ पर पहुंचने वाली थी जहां मुख्य मांगों पर चर्चा शुरू होती, सरकार ने आगे कोई बैठक नहीं बुलाई।’ वांगचुक ने कहा कि लेह में ‘हिल काउंसिल’ के चुनाव जल्द ही होने वाले हैं और उन्होंने केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को यह याद दिलाया कि पिछले काउंसिल चुनाव में उसने लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने का वादा किया था।
उन्होंने कहा, ‘आगामी चुनाव से पहले वादा पूरा किया जाना चाहिए।' वांगचुक ने कहा कि 35 दिन तक अनशन किया जाएगा और उनके इस प्रदर्शन में गांधी जयंती (2 अक्टूबर) एक ऐतिहासिक दिन रहेगा। उन्होंने कहा, ‘लेह एपेक्स बॉडी ने यह संदेश देने के लिए एक सर्व-धर्म प्रार्थना सभा आयोजित की थी कि हमारा विरोध शांतिपूर्ण, अहिंसक है और हमारी मांगें भारतीय संविधान के दायरे में हैं।'
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पिछले साल दिल्ली तक हुई थी पैदल यात्रा
बताते चलें कि पिछले साल भी ऐसी ही मांगों को लेकर सोनम वांगचुक की अगुवाई वाला एक दल लद्दाख से दिल्ली तक पैदल आया था। 1 सितंबर 2024 से शुरू हुआ यह मार्च कारगिल डेमोक्रैटिक अलायंस और लेह एपेक्स बॉडी ने मिलकर आयोजित किया था और सोनम वांगुचक इसके प्रमुख चेहरे थे। हालांकि, बाद में सभी लोगों को दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया था और यात्रा समाप्त हो गई थी।
2024 में ही जनवरी के महीने में सोनम वांगचुक ने 26 जनवरी से 30 जनवरी तक भूख हड़ताल की थी। फिर मार्च के महीने में उन्होंने 21 दिन की भूख हड़ताल की थी और पानी पीकर ही रहते थे।