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अब श्रीलंका में भारत की जासूसी नहीं कर पाएगा चीन, दिसानायके का वादा

राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने भारत को समुद्री सीमा सुरक्षा पर मजबूत भरोसे का वादा दिया है। पढ़ें उन्होंने क्या कहा है।

Narendra Modi and Disanayake

राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (Photo-PTI)

राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने वादा किया है श्रीलंका अपनी जमीन का इस्तेमाल भारतीय हितों के खिलाफ नहीं होने देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राजधानी कोलंबों में उन्होंने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में शनिवार को यह बातें कहीं हैं। राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने कहा है कि श्रीलंका भारत के साथ सुरक्षा के मुद्दे पर कदम से कदम मिलाकर खड़ा है। श्रीलंका अपनी सीमा का इस्तेमाल, भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होने देगा। 

राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने भरोसा दिया है कि वह अपनी समुद्री सीमाओं में भारत विरोधी किसी साजिश को होने नहीं देंगे। भारत और श्रीलंका के बीच हिंद महासागार की विस्तृत समुद्री सीमाएं हैं। यही समुद्र दोनों देशों को भौगोलिक तौर पर जोड़ता है। चीन हिंद महासागर में अपनी पैठ बनाना चाहता है, जिस पर भारत कई बार आपत्ति जता चुका है।

श्रीलंका में चीन भारत के लिए खतरनाक क्यों?
चीन पाल्क स्ट्रेट से लेकर मन्नार की खाड़ी तक भारत की जासूसी करना चाहता है। हिंद महासागर के हर कोने पर चीन अपना दबदबा चाहता है, क्योंकि यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति के लिए बेहद अहम माने जाते हैं। चीन इन क्षेत्रों में कई बार खोजी जहाजों के नाम पर अपने जासूसी जहाजों को उतार चुका है।

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श्रीलंका के वादे का असर क्या होगा?
श्रीलंका भारतीय सीमाओं के इर्दगिर्द अपने हिस्से की ओर, चीन के जासूसी जहाजों और पनडुब्बियों को आने की इजाजत नहीं देगा तो भारत के लिए रणनीतिक तौर यह ठीक होगा। भारत की समुद्री सुरक्षा प्रभावित नहीं होगी।

श्रीलंका के किस नाजुक हिस्से पर चीन का दबदबा?
चीन की नजर हम्बनटोटा बंदरगाह पर रहती है। इन इलाकों में चीन अपनी नौसैनिक गतिविधियों को अंजाम देना चाहता है। भारत के कड़े विरोध के बाद अब यहां जासूसी गतिविधियों को चोरी-छिपे करता है। हंबनटोटा पोर्ट को चीन ने श्रीलंका से 99 साल की लीज पर लिया है। यह क्षेत्र क्षेत्री सुरक्षा के लिए बेहद अहम है। 

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भारत के लिए खतरा क्यों?

चीन की 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' रणनीति के तहत हिंद महासागर में उसकी उपस्थिति भारत को घेरने की कोशिश के रूप में देखी जाती है। तीसरा, श्रीलंका में आर्थिक और सैन्य निर्भरता बढ़ने से चीन क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है। यह भारत के लिए भू-राजनीतिक और आर्थिक दोनों दृष्टिकोण से चिंता का विषय है।

श्रीलंका भारत का पड़ोसी देस है। चीन लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक, भारतीय सीमाओं का बार-बार अतिक्रमण करता रहा है। चीन स्टिंग ऑफ पर्ल्स की नीति पर काम करता है। वह हिंद महासागर में अपना दबदबा दिखाना चाहता है। श्रीलंका की चीन पर आर्थिक और सैन्य निर्भरता, भारत के लिए खतरे की घंटी है।  

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क्या है स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स?
चीन का मकसद है कि हिंद महासागर में उसकी उपस्थिति मजबूत हो। दक्षिण चीन सागर से लेकर अफ्रीका के हॉर्न पोर्ट तक, चीन समुद्री जहाजों का बड़ा नेटवर्क तैयार कर रहा हैम्यांमार में क्याउकफ्यू, श्रीलंका में हंबनटोटा, और पाकिस्तान में ग्वादर जैसे बंदरगाहों पर चीन मजबूती से टिका है। चीन का मकसद है कि इन देशों को एनर्जी सेक्टर में अपने ऊपर निर्भर बनाए। भारत इसे अपनी घेराबंदी मानता है। यही वजह है कि बार-बार दोनों देशों में तनाव की स्थितियां बनती हैं। 

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