कर्मचारी चयन आयोग (SSC) ने सोमवार को एक बेहद अहम नोटिस जारी कर उम्मीदवारों, कोचिंग संस्थानों और कॉन्टेंट क्रिएटर्स को सख्त चेतावनी दी है। आयोग ने साफ कहा है कि वर्तमान में चल रही परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों की चर्चा, विश्लेषण या सोशल मीडिया पर साझा करना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। अगर कोई व्यक्ति या संस्था ऐसा करता है तो उसके खिलाफ न केवल कानूनी कार्रवाई होगी, बल्कि उसे जेल और भारी जुर्माने का सामना भी करना पड़ सकता है। यह नोटिस 08 सितंबर 2025 को जारी किया गया है।
आयोग ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, 'यह आयोग के संज्ञान में आया है कि कुछ व्यक्ति कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित या चल रही परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों के कॉन्टेंट पर सोशल मीडिया पर चर्चा या विश्लेषण कर रहे हैं। यह गतिविधियां सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 (PEA Act, 2024) के प्रावधानों के तहत पूरी तरह वर्जित हैं।'
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सोशल मीडिया पर होता है शेयर
आयोग ने पाया है कि कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम पर कुछ लोग और संस्थान प्रश्नपत्रों पर तुरंत चर्चा और विश्लेषण शेयर कर रहे हैं। यह प्रवृत्ति अभ्यर्थियों को अपनी ओर खींचती है और उनके बीच लोकप्रिय हो रही है। लेकिन आयोग का मानना है कि इस तरह की गतिविधियां परीक्षा की गोपनीयता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर गंभीर असर डाल सकती हैं। इसी कारण अब एसएससी ने सख्त कदम उठाने का फैसला किया है।

क्या हैं प्रावधान?
सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम, 2024 के तहत प्रश्नपत्रों से संबंधित किसी भी तरह की छेड़छाड़, उनका प्रसार या विश्लेषण करना दंडनीय अपराध है।
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धारा 3 – अनुचित साधन: इस धारा के तहत बिना अनुमति प्रश्नपत्रों, उत्तर कुंजियों या उनके किसी भी हिस्से को लीक करना, साझा करना या कब्जे में रखना प्रतिबंधित है।
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धारा 9 – अपराधों की प्रकृति: इस अधिनियम के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती हैं। यानी आरोपी को आसानी से जमानत नहीं मिलेगी और मामले का निपटारा आपसी समझौते से नहीं किया जा सकेगा।
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धारा 10 – दंड:
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व्यक्तियों पर: 3 से 5 साल की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना।
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संस्थान/सेवा प्रदाताओं पर: 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना, भविष्य की परीक्षाओं से अयोग्यता और लागत की वसूली।
- संगठित अपराध परः 5 से 10 साल की कैद और एक करोड़ से कम नहीं का जुर्माना।
संस्थानों पर होगा सीधा असर
यह चेतावनी केवल उम्मीदवारों तक सीमित नहीं है। कोचिंग संस्थान, यूट्यूब चैनल चलाने वाले कंटेंट क्रिएटर्स, टेलीग्राम ग्रुप्स और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सक्रिय लोग भी इसके दायरे में आते हैं। आयोग ने साफ कहा है कि प्रश्नपत्र से संबंधित किसी भी तरह का कंटेंट शेयर करना या उस पर चर्चा करना अब गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
अगर कोई संस्था या कोचिंग सेंटर इस तरह की गतिविधियों में शामिल पाया जाता है तो उसे न सिर्फ भारी जुर्माना भरना पड़ेगा, बल्कि भविष्य की परीक्षाओं में भाग लेने से भी अयोग्य करार दिया जा सकता है। वहीं, संगठित अपराध के मामलों में कठोर दंड के साथ-साथ 1 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया जाएगा।
क्यों की गई सख्ती?
डिजिटल युग में जानकारी तेजी से वायरल होती है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर परीक्षा के तुरंत बाद प्रश्नपत्रों पर चर्चा और विश्लेषण फैल जाना आम बात हो गई है। इससे जहां कुछ अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ मिलता है, वहीं परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिह्न लगते हैं। आयोग का मानना है कि अगर इस प्रवृत्ति पर रोक नहीं लगाई गई तो परीक्षा की पवित्रता और विश्वसनीयता पूरी तरह प्रभावित हो सकती है।
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आयोग की अपील
आयोग ने सभी उम्मीदवारों और हितधारकों से अपील की है कि वे परीक्षा की गरिमा बनाए रखें। बयान में कहा गया है, 'सभी उम्मीदवार और संस्थान यह सुनिश्चित करें कि वे ऐसे किसी भी कंटेंट का निर्माण, साझा या प्रचार न करें, जिससे परीक्षा की विश्वसनीयता और पारदर्शिता प्रभावित हो।'
एसएससी ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर कोई व्यक्ति या संस्था इस चेतावनी की अनदेखी करता है तो उसके खिलाफ न केवल PEA अधिनियम, 2024 के तहत बल्कि अन्य लागू कानूनों के तहत भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।