सांसद, विधायक से कितनी अलग है सरकारी कर्मचारियों की पेंशन? समझिए
देश
• NEW DELHI 03 Sept 2025, (अपडेटेड 03 Sept 2025, 3:20 PM IST)
जगदीप धनखड़ ने उप राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के कई दिनों बाद पेंशन का आवेदन किया है। उनको उप राष्ट्रपति, सांसद और विधायक के तौर पर पेंशन मिलेगी। देश में नागरिकों के लिए भी सरकार की ओर से पेंशन दी जाती हैं।

भारत में पेंशन, Photo Credit- AI Generated Image
हाल ही में जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था। उसके कई दिनों बाद जगदीप धनखड़ ने पेंशन के लिए आवेदन किया है। धनखड़ ने यह आवेदन राजस्थान विधानसभा सचिवालय में किया है दशकों के राजनीतिक करियर के बाद जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे के बाद से कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। कुछ दिनों पहले ही सिर्फ खबरें आई थीं कि अब उन्होंने उपराष्ट्रपति निवास खाली कर दिया है और पेंशन के लिए आवेदन किया है।
यह भी बता दें कि जगदीप धनखड़ अब 3 पेंशन सकेंगे। इसकी वजह यह है कि वह उपराष्ट्रपति बनने से पहले विधायक, सांसद और राज्यपाल भी रहे हैं। ऐसे में उन्हें उपराष्ट्रपति के अलावा विधायक और सांसद पद की पेंशन भी मिलेगी। हालांकि, जगदीप धनखड़ को राज्यपाल पद के लिए खोई पेंशन नहीं मिलेगी। इसकी वजह यह है कि राज्यपाल के पद से हटने के बाद कोई पेंशन नहीं दी जाती है। क्या आप जानते हैं कि देश में सरकारी नौकरी करने वाले लोगों के लिए पेंशन की व्यवस्था बिल्कुल अलग है। आइए समझते हैं दोनों में अंतर।
तीन पेंशन क्यों लेंगे जगदीप धनखड़?
जगदीप धनखड़ ने इस्तीफे के बाद पूर्व विधायक के नाते मिलने वाली पेंशन के लिए फिर से आवेदन किया है। इसके बाद उन्हें एक नहीं बल्कि तीन अलग-अलग पदों के लिए पेंशन मिल सकती है। उन्हें विधायक (राजस्थान- किशनगढ़), सासंद (राजस्थान-झुंझुनू) और उप राष्ट्रपति के तौर पर तीन पेंशन मिलेगी। इसके बाद से उनकी मासिक पेंशन बढ़कर 2.73 लाख रुपये हो जाएगी।
यह भी पढ़ें- BJP MLA का फोन और केस से अलग हो गए हाई कोर्ट के जज, क्या है मामला?
देश में नागरिकों के लिए पूरी तरह से अलग व्यवस्था है। अगर किसी ने राज्य सरकार के अंतर्गत काम किया है तो राज्य सरकार ही उसे अपने राज्य के अनुसार पेंशन की व्यवस्था करेगी। केंद्र सरकार में काम करने वाला व्यक्ति केवल केंद्र के अधीन ही पेंशन का उपभोगी होगा। दिलचस्प बात यह है कि अगर किसी ने राज्य सरकार के अंदर काम किया है और कुछ दिनों के लिए केंद्र में भी अपनी ड्यूटी की है। फिर भी उसको राज्य के अनुसार तय राशि में ही पेंशन मिलेगी।
सभी राज्यों में एक ही स्तर के अधिकारियों के लिए पेंशन की राशि बिल्कुल अलग है। राज्य के अधीन कार्यरत व्यक्ति उसी राज्य के अनुसार पेंशन पाता है। अभी देश में सबसे अधिक पेंशन हरियाणा राज्य में काम करने वाले अधिकारियों को मिलती है। कुछ राज्यों जैसे कि राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब और झारखंड ने पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का ऐलान किया था। यह पुरानी व्यवस्था सेवा के अंतिम वेतन पर आधारित होती है।
अब समझते हैं पेंशन का गणित
भारत में सांसद और विधायक की पेंशन की गणना उनके कार्यकाल की अवधि पर निर्भर करता है। सांसदों के लिए न्यूनतम पेंशन 25000 रुपये है। अगर किसी ने 5 साल से ज्यादा समय के लिए काम किया है तो उस 5 साल के अलावा हर साल के लिए 2000 रुपये अलग से पेंशन मिलती है। इसी तरह राज्यों में भी पूर्व विधायकों को हर कार्यकाल के लिए निश्चित राशि के रूप में पेंशन मिलती है। विधायकों ने भी 5 साल के अलावा जितने भी समय के लिए काम किया होगा उसके अनुसार उनकी पेंशन की राशि तय होती है।
यह भी पढ़ें- बगैर दस्तावेज के भी भारत में रह सकेंगे इन देशों से आए हिंदू: MHA
सांसद की पेंशन गणना
पूर्व सांसद को न्यूनतम 25000 रुपये हर महीने के हिसाब से पेंशन मिलती है। 5 साल के अधिक जितनी भी सेवा होगी उसके लिए 2000 रुपये हर साल जोड़े जाते हैं। जैसे- किसी ने 10 साल तक काम किया है, तो उन्हें 25000+ (5 साल x 2000 रुपये/साल) की अतिरिक्त पेंशन मिलेगी। मतलब उस सांसद की पेंशन राशि 35000 होगी। इसके अलावा हेल्थ, घर में सामान्य खर्चों के लिए अलग से राशि मिलती है।
विधायकों का गणित
राजस्थान में एक विधायक को 35,000 रुपये हर महीने पेंशन मिलती है, जो दो या दो से अधिक कार्यकाल के लिए बढ़ाई जाती है, जहां हर अतिरिक्त कार्यकाल के लिए 8,000 रुपये की वृद्धि होती है। यदि कोई व्यक्ति विधायक (MLA) के रूप में कार्य करने के बाद सांसद (MP) बन जाता है, तो वह दोनों पदों की पेंशन प्राप्त कर सकता है। अलग-अलग राज्य में विधायकों की पेंशन अलग हो सकती है।
यह भी पढ़ें- मनोज जरांगे ने तोड़ा अनशन, कहा- आज दीवाली है जो चाहते थे वह मिल गया
नागरिकों के लिए गणित
भारत में नागरिकों के लिए पेंशन की गणितीय गणना, पेंशन योजना के प्रकार पर निर्भर करती है। सरकारी कर्मचारियों के लिए, पेंशन आमतौर पर अंतिम 10 महीनों की औसत वेतन के 50% के बराबर होती है। वहीं, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के अंतर्गत आने वाली कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में, पेंशन की गणना 'पेंशनेबल सैलरी × पेंशनेबल सर्विस' को 70 से विभाजित करके की जाती है।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए किसी सरकारी कर्मचारी का अंतिम 10 महीनों का औसत वेतन ₹60,000 है। तो उनकी मासिक पेंशन होगी: ₹60,000 x 50% = ₹30,000। EPFO-EPS के तहत आने वाले सदस्यों की सैलरी का मान- अगर किसी सदस्य की पेंशनेबल सैलरी ₹15,000 है और उनकी पेंशनेबल सर्विस 30 साल है तो उनकी लगभग मासिक पेंशन होगी: ₹15,000 × 30)/ 70 = ₹6,428.57।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap