आधार-वोटर ID कार्ड नागरिकता का सबूत क्यों नहीं? SIR पर SC ने बताया
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• NEW DELHI 13 Aug 2025, (अपडेटेड 13 Aug 2025, 8:26 AM IST)
बिहार के SIR मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड या वोटर आईडी को नागरिकता का सबूत नहीं माना जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट। (Photo Credit: PTI)
बिहार में वोटर वेरिफिकेशन के लिए हुए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के मुद्दे पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि वोटर लिस्ट में किसी को शामिल करना या किसी को हटाना पूरी तरह से चुनाव आयोग के दायरे में है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की इस दलील को भी माना कि आधार कार्ड या वोटर आईडी को नागरिकता का सबूत नहीं माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट में SIR को चुनौती दी गई थी। इस पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिक जॉयमाला बागची की बेंच सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि अभी सिर्फ ड्राफ्ट आया है। दावे-आपत्तियां मांगी गई हैं।
चुनाव आयोग ने 24 जून से 25 जुलाई तक SIR की प्रक्रिया पूरी की थी। इसका ड्राफ्ट 1 अगस्त को जारी किया गया है। इसमें बिहार में 7.89 करोड़ वोटर्स में से 65 लाख नाम काट दिया गया है। आयोग का दावा है कि जिनका नाम काटा गया है, उनमें से 22.34 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 36.28 लाख वोटरों ने अपना पता बदल लिया है। जबकि 7 लाख से ज्यादा वोटर ऐसे हैं, जिनके नाम दो जगह पाए गए हैं, इसलिए उनका नाम हटा दिया गया है।
इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह 'विश्वास की कमी का मुद्दा' लगता है, क्योंकि चुनाव आयोग का कहना है कि 7.89 करोड़ वोटर्स में से 6.5 करोड़ को कोई दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं थी।
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SIR के विरोध में क्या दलीलें दीं?
- अभिषेक मनु सिंघवीः सीनियर एडवोकेट सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि SIR के जरिए 5 करोड़ लोगों को बाहर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2003 से 2025 के बीच लोगों ने 5-6 चुनावों में वोट डाला था और अब चुनाव से दो महीने पहले उन्हें वोटर लिस्ट से अचानक बाहर किया जा रहा है। उन्होंने दलील दी कि 5 करोड़ लोगों की नागरिकता पर संदेह नहीं किया जा सकता।
- कपिल सिब्बलः आरजेडी सांसद मनोज झा की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें रखीं। उन्होंने कहा, लोगों के पास आधार कार्ड, राशन कार्ड या EPIC कार्ड होने के बावजूद चुनाव आयोग इन दस्तावेजों को स्वीकार नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों को अपने माता-पिता के बर्थ सर्टिफिकेट या दूसरे दस्तावेज ढूंढने में कठिनाई हो रही है।
- प्रशांत भूषणः एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने डेटा की पारदर्शिता पर सवाल उठाया। उन्होंने कोर्ट में पूछा कि यह कैसे माना गया कि 65 लाख वोटर्स या तो मर चुके हैं या पलायन कर चुके हैं?
- योगेंद्र यादवः उन्होंने अदालत में दावा किया कि बिहार में वयस्क आबादी 8.8 करोड़ है न कि 7.9 करोड़। उन्होंने दलील दी कि SIR का मकसद वोटर्स के नाम काटना था। उन्होंने अदालत में तीन ऐसे लोगों को पेश किया, जिन्हें आयोग ने कथित तौर पर मृत घोषित कर वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया था। उन्होंने SIR को 'वोट के अधिकार से पूरी तरह से वंचित' करने वाला बताया।
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चुनाव आयोग ने क्या कहा?
चुनाव आयोग की तरफ से सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने दलीलें रखीं। उन्होंने योगेंद्र यादव की तरफ से तीन लोगों को पेश किए जाने पर आपत्ति जताई। द्विवेदी ने इसे 'ड्रामा' बताया और कहा कि अगर योगेंद्र यादव को इतनी ही चिंता है तो वे रिकॉर्ड को अपडेट करने में चुनाव आयोग की मदद कर सकते हैं।
राकेश द्विवेदी ने कहा कि 'SIR जैसी बड़ी प्रक्रिया में थोड़ी-बहुत खामियां होना स्वाभाविक हैं।' उन्होंने कहा कि अगर किसी जिंदा व्यक्ति को मृत और किसी मृत को जिंदा घोषित कर दिया गया है तो उसे सुधारा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा?
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बागची की बेंच ने साफ किया कि वोटर लिस्ट में किसी को जोड़ना और किसी को हटाना पूरी तरह से चुनाव आयोग के दायरे में आता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'नागरिकता देने या छीनने का कानून सिर्फ संसद बना सकती है लेकिन नागरिकों और गैर-नागरिकों को वोटर लिस्ट में शामिल करना या बाहर करना चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है।'
कोर्ट ने चुनाव आयोग के इस फैसले पर भी सहमति जताई, जिसमें आयोग ने आधार या वोटर आईडी कार्ड को नागरिकता का सबूत नहीं माना है। कोर्ट ने कहा, 'चुनाव आयोग का कहना सही है कि आधार कार्ड को नागरिकता के सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। आधार ऐक्ट की धारा 9 में भी ऐसा ही कहा गया है।'
कपिल सिब्बल ने कहा था कि आधार कार्ड और वोटर आई को स्वीकार नहीं किया जा रहा है। इस पर बेंच ने उनसे पूछा, 'क्या आपका यह कहना है कि जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं है लेकिन वे बिहार में हैं, इसलिए उन्हें राज्य का वोटर माना जाना चाहिए? ऐसा किया जा सकता है लेकिन उन्हें कुछ दस्तावेज दिखाने या जमा करने होंगे।'
जिंदा व्यक्ति को मृत व्यक्ति घोषित करने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अगर अनजाने में कोई गलती हुई हो तो उसमें सुधार किया जा सकता है, क्योंकि यह अभी ड्राफ्ट है।'
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