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संभल जामा मस्जिद के सामने मौजूद कुएं पर SC का बड़ा आदेश, क्या कहा?

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा कि दूसरों को कुएं का इस्तेमाल करने की अनुमति देने में क्या बुराई है।

Shahi Jama Masjid Sambhal

फाइल फोटो।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल नगर निगम के एक फैसले पर रोक लगा दी। संभल नगर निगम ने जिले की शाही जामा मस्जिद क्षेत्र के पास 'कुएं' के संबंध में एक नोटिस जारी किया है, जिसपर कोर्ट ने यथास्थिती बरकरार रखने का आदेश दिया है। दरअसल, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए सिविल कोर्ट के आदेश के खिलाफ संभल शाही जामा मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

 

इससे पहले वकील हरि शंकर जैन और सात अन्य लोगों ने सिविल कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया था, इसी मामले में सिविल कोर्ट ने यह निर्देश जारी किया था। इसमें दावा किया गया था कि शाही जामा मस्जिद एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। 

 

कुएं वाले क्षेत्र को 'हरि मंदिर' कहा जा रहा...

 

वहीं, शाही जामा मस्जिद समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुफेज़ा अहमदी पेश हुए। उन्होंने पीठ का ध्यान मस्जिद के पास कुएं के संबंध में नगर पालिका द्वारा जारी नोटिस पर दिलाया। नोटिस में संभल नगर पालिका ने कुएं वाले क्षेत्र को 'हरि मंदिर' कहा गया है और कुएं वाली जगह पर पूजा करने का आह्वान किया है।

 

इस्तेमाल करने में क्या बुराई है?

 

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा कि दूसरों को इसका इस्तेमाल करने की अनुमति देने में क्या बुराई है। इस पर वकील अहमदी ने कहा, 'नगर पालिका द्वारा जारी नोटिस में कुआं हरि मंदिर कहा गया है, अब वे इसका उपयोग पूजा, स्नान आदि के लिए करना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि ‌कुएं का उपयोग मस्जिद के लिए किया जा रहा है। वरिष्ठ वकील अहमदी ने कुएं के ऐतिहासिक महत्व पर जोर देते हुए कहा कि आदि काल से इस कुएं से पानी निकाला जाता रहा है।

 

संभल में शांति भंग हो सकती है

 

मस्जिद कमेटी ने कोर्ट में तर्क देते हुए कहा कि हिंदू प्रार्थना के लिए कुएं को खोलने की अनुमति देने से संभल में शांति भंग हो सकती है। वहां पिछले साल नवंबर में हिंसक झड़पें हो चुकी हैं। मुस्लिम पक्ष ने नगर पालिका द्वारा जारी नोटिस पर चिंता जताते कहा कि हरि मंदिर बताते हुए वहां धार्मिक गतिविधियां शुरू करने की योजना बनाई गई है। 

 

इसके बाद सीजेआई खन्ना ने कहा कि वहां पर ऐसी किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह टिप्पणी करते हुए उन्होंने सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने और कुएं के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। हिंदू पक्ष की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन ने पीठ को बताया कि कुआं मस्जिद के दायरे से बाहर है और ऐतिहासिक रूप से इसका इस्तेमाल पूजा के लिए किया जाता रहा है। मामले की सुनवाई 21 फरवरी को होगी। 

 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम से संबंधित मामले में दिसंबर 2024 में एक आदेश जारी किया। इसमें कहा गया है कि देश भर की ट्रायल अदालतें मौजूदा धार्मिक संरचनाओं के खिलाफ ऐसे ढांचों के धार्मिक चरित्र को लेकर दायर मुकदमों में कोई प्रभावी आदेश या सर्वेक्षण पारित नहीं कर सकतीं।

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