जस्टिस यशवंत वर्मा पर FIR दर्ज कराने से जुड़ी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। यशवंत वर्मा के घर के बाहर करोड़ों रुपयों के कथित तौर पर अधजले नोट मिले थे। यशवंत वर्मा के घर आग लग गई थी। जस्टिस अभय एस ओका ने याचिकाकर्ता से कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर करने से पहले राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास इसकी लिखित सूचना भेजी जानी चाहिए। बेंच ने कहा, 'पहले उन अधिकारियों के पास कार्रवाई करने के लिए लिखें, फिर सुप्रीम कोर्ट में रिट के जरिए परमादेश के लिए याचिका दायर करें।' बेंच ने सुनवाई से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।
यशवंत वर्मा केस में अब तक क्या पता चला?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल में ही एक वीडियो जारी किया था, जिसमें जस्टिस वर्मा के घर के बाहर अधजले नोटों के बंडल दिखाई दिए थे। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को सौंपी रिपोर्ट में बताया है कि जस्टिस वर्मा के घर के बाहर 4-5 बोरियों में अधजले नोट मिले हैं। जस्टिस वर्मा के ज्यूडिशियल वर्क करने पर रोक है। उनके घर से 15 करोड़ रुपये कैश मिलने की बात कही गई है।
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जस्टिस वर्मा का क्या कहना है?
जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने घर मिले अधजले नोटों पर कहा है कि ये नोट उनके नहीं हैं, इससे उनका कोई नाता नहीं है। जब तक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश उनके खिलाफ FIR की इजाजत नहीं देते हैं, FIR नहीं दर्ज की जा सकती है।
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कब उनके खिलाफ FIR हो सकती है?
किसी मौजूदा हाई कोर्ट जज या चीफ जस्टिस के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी राष्ट्रपति देते हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की सलाह के बिना किसी भी जज या चीफ जस्टिस पर FIR दर्ज नहीं की जा सकती है। संविधान के तहत, राष्ट्रपति किसी जज या चीफ जस्टिस के खिलाफ FIR या मुकदमा दर्ज करने की मंजूरी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की सलाह पर देंगे। अगर चीफ जस्टिस को लगता है कि FIR दर्ज करना जरूरी नहीं है तो राष्ट्रपति इसकी मंजूरी नहीं देंगे।