सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) के डेटा की 100% वीवीपैट (VVPAT) पर्चियों से मैन्युअल गिनती की मांग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि अदालत रोज-रोज और बार-बार एक ही मामले की सुनवाई नहीं करती रहेगी। इसस पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने भी अगस्त 2024 में इसी तरह की एक याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के पहले के निर्णयों का हवाला दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के निर्णय में कहा था कि EVMs सुरक्षित, सरल और उपयोगकर्ता के अनुकूल हैं।
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दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को दी चुनौती
7 अप्रैल यानी सोमवार को जस्टिस संजीव खन्ना वाली बेंच ने मतगणना प्रक्रिया वाली याचिका पर सुनवाई की, इसमें हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। याचिका हंसराज जैन ने दायर की थी जिसमें मतगणना प्रणाली में बदलाव की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी।
इस याचिका पर सुनवाई करने से CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपील करने से साफ इनकार कर दिया। जस्टिस खन्ना ने कहा, 'पहले भी हमने इस पर फैसल कर दिया है। बार-बार हम इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते।' याचिकाकर्ता हंसराज ने दिल्ली हाई कोर्ट के अगस्त 2024 के फैसले को चुनौती दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुलझाया जा चुका है।
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पहले भी सुप्रीम कोर्ट में हुई थी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व निर्णयों में EVM और VVPAT की विश्वसनीयता और सुरक्षा पर भरोसा जताया है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सिंबल लोडिंग यूनिट (Symbol Loading Units) को चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद कम से कम 45 दिनों तक सील करके सुरक्षित रखा जाए। इसके अलावा, यदि कोई उम्मीदवार लिखित अनुरोध करता है, तो 5% EVMs की जांच इंजीनियरों की एक टीम द्वारा की जा सकती है, जिसमें खर्च उम्मीदवार द्वारा खर्च किया जाएगा।