सुप्रीम कोर्ट ने NEET-PG 2025 की परीक्षा को लेकर बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस साल होने वाली NEET-PG की परीक्षा एक ही शिफ्ट में होगी। नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (NBE) ने इस परीक्षा को दो शिफ्ट में कराने का फैसला किया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दो-दो शिफ्ट में परीक्षा करवाना 'मनमानी' होगी। कोर्ट ने NBE को आदेश दिया है कि वह पारदर्शिता बनाए रखने के लिए एक ही शिफ्ट में एग्जाम करवाने की व्यवस्था करे। अदालत ने कहा कि 15 जून को होने वाली परीक्षा के लिए व्यवस्था करने के लिए अभी भी समय बचा है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'दो शिफ्ट में परीक्षा करवाना मनमानी है और इससे बराबरी के मौके नहीं मिल पाते। दो शिफ्ट में होने वाली परीक्षा में कठिनाई का स्तर एक सा नहीं हो सकता। पिछले साल की स्थितियों के आधार पर यह परीक्षा दो शिफ्ट में हुई होगी लेकिन NBE को यह परीक्षा एक ही शिफ्ट में करवाने की व्यवस्था करने के बारे में सोचना चाहिए था।'
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने यह फैसला दिया है। NBE ने तर्क दिया था कि एक ही शिफ्ट में एग्जाम करने के लिए पर्याप्त सेंटर नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने NBE की इस दलील को खारिज कर दिया।
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नॉर्मलाइजेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान NBE ने यह भी तर्क दिया कि दो शिफ्ट में होने वाले एग्जाम में कठिनाई के स्तर को बराबर लाने के लिए नॉर्मलाइजेशन लागू किया जाता।
इस पर तीन जजों की बेंच ने कहा, 'दो शिफ्ट में एग्जाम करने से मनमानी होती है। कभी भी दो अलग-अलग क्वेश्चन पेपर के कठिनाई के स्तर को एक समान नहीं कहा जा सकता है। नॉर्मलाइजेशन को असाधारण मामलों में लागू किया जा सकता है, लेकिन हर साल नियमित तरीके से नहीं।'
बेंच ने आगे कहा, 'इस साल की परीक्षा 15 जून को होनी है। एक शिफ्ट में पेपर करवाने के लिए एग्जाम सेंटर की पहचान करने के लिए NBE के पास अभी भी दो हफ्ते से ज्यादा का समय है। इसलिए NBE एक ही शिफ्ट में एग्जाम करवाने की व्यवस्था करे।'
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क्या है यह पूरा मामला?
NEET-PG की परीक्षा दो शिफ्ट में पिछले साल भी करवाई गई थी, जिस पर काफी बवाल भी हुआ था। इस साल भी 15 जून को NEET-PG की परीक्षा दो शिफ्ट में ही होनी थी। इस एग्जाम को एक ही शिफ्ट में करवाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
याचिका में तर्क दिया गया था कि दो शिफ्ट में एग्जाम करवाना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि मॉडरेशन और नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखना नामुमकीन है। इस याचिका में यह भी तर्क दिया गया था कि निष्पक्ष तरीके से एग्जाम न करवाना अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया है कि नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया में कई तरह की खामियां हैं, जो नंबर और रैंकिंग को बढ़ा सकती है, जिससे कुछ उम्मीदवारों को अनुचित लाभ मिल सकता है और यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा। इसमें कहा गया था कि NEET-PG 2024 के एग्जाम में दूसरी शिफ्ट का पेपर आसाना था, जिससे पहली शिफ्ट के उम्मीदवारों को नुकसान हो सकता है। इसलिए इस तरह की असमानताओं को खत्म करने के लिए NEET-PG 2025 को एक ही शिफ्ट में करवाया जाना चाहिए।